ETV Bharat / state

सदियों से एक ही मंदिर में बहन की तरफ पीठ कर बैठतें है देव कमरूनाग, जाने क्या है इसके पीछे की वजह

बड़ादेव कमरूनाग अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के दौरान 7 दिनों तक मंडी की टारना पहाड़ी पर स्थित माता श्यामा काली के मंदिर में विराजते हैं. मान्यता के अनुसार देव कमरूनाग और माता श्यामा काली रिश्ते में भाई बहन भी माने गए हैं.

देव कमरूनाग
author img

By

Published : Mar 9, 2019, 8:08 PM IST

मंडीः बड़ादेव कमरूनाग अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के दौरान 7 दिनों तक मंडी की टारना पहाड़ी पर स्थित माता श्यामा काली के मंदिर में विराजते हैं. मान्यता के अनुसार देव कमरूनाग और माता श्यामा काली रिश्ते में भाई बहन भी माने गए हैं.

kamrunaag
देव कमरूनाग

देव कमरुनाग 7 दिन तक मंदिर में आते तो हैं, लेकिन माता श्यामा काली की तरफ पीठ करके ही बैठते हैं. हालांकि देवता के गुर नीलमणि उनके माता की तरफ पीठ करके बैठने को महज एक संयोग बताते हैं, लेकिन उनके माता की तरफ पीठ करके बैठने को लेकर लोगों में कई कहानियां प्रचलित है. कहा यह भी जाता है कि देव कमरुनाग अपनी बहन से रुष्ट होकर उनकी तरफ पीठ करके बैठते हैं. सदियों से अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में देव शिरकत करते हैं, लेकिन हर बार इसी तरह से माता की तरफ पीठ करके ही विराजते हैं.

बड़ा देव कमरूनाग के मूल स्थान कमरू घाटी स्थित रहस्यमई झील सोना चांदी समेत करोड़ों की संपत्ति श्रद्धालुओं की तरफ से हर वर्ष अर्पित की जाती है. वर्तमान समय में यह खुद देवता के कारदारों को भी मालूम नहीं है कि कितनी संपत्ति इस रहस्यमई झील में दफन है. कुछ वर्षों से देश की करंसी झील में नष्ट न हो इसके लिए मंदिर कमेटी नोट को झील से निकाल देती है, लेकिन नोट के बदले में उसी कीमत की संपत्ति सोने चांदी के रूप में इस झील में डालनी पड़ती है.

kamrunaag
देव कमरूनाग

बताया जाता है कि झील में अरबों रुपये की संपत्ति आस्था के रूप में श्रद्धालुओं द्वारा अर्पित की जा चुकी है. हर वर्ष देवता के मूल स्थान पर सरनाहुली मेले का आयोजन किया जाता है. इस मेले में हजारों श्रद्धालु झील में मनोकामना पूरी होने पर सोना चांदी समेत करंसी नोट और सिक्के अर्पित करते हैं. कहा तो यह भी जाता है कि कुछ श्रद्धालु तो नौकरी लगने पर पहली सैलरी झील में अर्पित कर देते हैं. बड़ा देव कमरूनाग में लोगों की बहुत अधिक आस्था है.

इसलिए शाही जलेब में शिरकत नहीं करते देव कमरूनाग
अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के देव कारज बड़ादेव कमरुनाग के आगमन से ही शुरू होते है. देव कमरुनाग मंडी रियासत के अधिष्ठाता देवता के रूप में माने जाते हैं. अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में बड़ादेव को विशेष दर्जा प्राप्त है. जब वह शिवरात्रि में आगमन करते हैं तो मंडी नगर की सीमा पर मेला कमेटी के अध्यक्ष डीसी मंडी और आला अधिकारी उनके स्वागात को हाजिर रहते हैं.

इसके पीछे भी कारण माना गया है. कहा जाता है कि बड़ादेव पवित्रता के बेहद सख्त है. जलेब के दौरान लोगों की तादाद अधिक होती है. इस दौरान देवता का पालन करना मुश्किल हो जाता है, जिस कारण देव जलेब में शिरकत नहीं करते. बड़ादेव के गुर नीलमणि का कहना है कि सदियों की परंपरा का आज भी पूर्व की भांति ही निर्वहन किया जा रहा है.

मंडीः बड़ादेव कमरूनाग अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के दौरान 7 दिनों तक मंडी की टारना पहाड़ी पर स्थित माता श्यामा काली के मंदिर में विराजते हैं. मान्यता के अनुसार देव कमरूनाग और माता श्यामा काली रिश्ते में भाई बहन भी माने गए हैं.

kamrunaag
देव कमरूनाग

देव कमरुनाग 7 दिन तक मंदिर में आते तो हैं, लेकिन माता श्यामा काली की तरफ पीठ करके ही बैठते हैं. हालांकि देवता के गुर नीलमणि उनके माता की तरफ पीठ करके बैठने को महज एक संयोग बताते हैं, लेकिन उनके माता की तरफ पीठ करके बैठने को लेकर लोगों में कई कहानियां प्रचलित है. कहा यह भी जाता है कि देव कमरुनाग अपनी बहन से रुष्ट होकर उनकी तरफ पीठ करके बैठते हैं. सदियों से अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में देव शिरकत करते हैं, लेकिन हर बार इसी तरह से माता की तरफ पीठ करके ही विराजते हैं.

बड़ा देव कमरूनाग के मूल स्थान कमरू घाटी स्थित रहस्यमई झील सोना चांदी समेत करोड़ों की संपत्ति श्रद्धालुओं की तरफ से हर वर्ष अर्पित की जाती है. वर्तमान समय में यह खुद देवता के कारदारों को भी मालूम नहीं है कि कितनी संपत्ति इस रहस्यमई झील में दफन है. कुछ वर्षों से देश की करंसी झील में नष्ट न हो इसके लिए मंदिर कमेटी नोट को झील से निकाल देती है, लेकिन नोट के बदले में उसी कीमत की संपत्ति सोने चांदी के रूप में इस झील में डालनी पड़ती है.

kamrunaag
देव कमरूनाग

बताया जाता है कि झील में अरबों रुपये की संपत्ति आस्था के रूप में श्रद्धालुओं द्वारा अर्पित की जा चुकी है. हर वर्ष देवता के मूल स्थान पर सरनाहुली मेले का आयोजन किया जाता है. इस मेले में हजारों श्रद्धालु झील में मनोकामना पूरी होने पर सोना चांदी समेत करंसी नोट और सिक्के अर्पित करते हैं. कहा तो यह भी जाता है कि कुछ श्रद्धालु तो नौकरी लगने पर पहली सैलरी झील में अर्पित कर देते हैं. बड़ा देव कमरूनाग में लोगों की बहुत अधिक आस्था है.

इसलिए शाही जलेब में शिरकत नहीं करते देव कमरूनाग
अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के देव कारज बड़ादेव कमरुनाग के आगमन से ही शुरू होते है. देव कमरुनाग मंडी रियासत के अधिष्ठाता देवता के रूप में माने जाते हैं. अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में बड़ादेव को विशेष दर्जा प्राप्त है. जब वह शिवरात्रि में आगमन करते हैं तो मंडी नगर की सीमा पर मेला कमेटी के अध्यक्ष डीसी मंडी और आला अधिकारी उनके स्वागात को हाजिर रहते हैं.

इसके पीछे भी कारण माना गया है. कहा जाता है कि बड़ादेव पवित्रता के बेहद सख्त है. जलेब के दौरान लोगों की तादाद अधिक होती है. इस दौरान देवता का पालन करना मुश्किल हो जाता है, जिस कारण देव जलेब में शिरकत नहीं करते. बड़ादेव के गुर नीलमणि का कहना है कि सदियों की परंपरा का आज भी पूर्व की भांति ही निर्वहन किया जा रहा है.

Intro:इन नियमों के चलते अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव की शान शाही जलेब में शिरकत नहीं करते हैं बड़ादेव कमरुनाग
मंडी।
अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के देव कारज बड़ादेव कमरुनाग के आगमन से ही शुरू होते है। देव कमरुनाग मंडी रियासत के अधिष्ठाता देवता के रूप में माने जाते हैं। अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में बड़ादेव को विशेष दर्जा प्राप्त है। जब वह शुभ रात्रि में आग बंद करते हैं तो मंडी नगर की सीमा पर मेला कमेटी के अध्यक्ष डीसी मंडी और आला अधिकारी उनके स्वागत को हाजिर रहते हैं। अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में वह शिरकत करते हैं.
इसके पीछे भी कारण माना गया है। कहा जाता है कि बड़ादेव पवित्रता के बेहद सख्त है। जलेब के दौरान लोगों की तादाद अधिक होती है। इस दौरान देवता का पालन करना मुश्किल हो जाता है जिस कारण देव जलेब मे शिरकत नहीं करते।
लेकिन राजदेवता माधव राय की जलेब में शिरकत नहीं करतें है। बड़ादेव के गुर नीलमणि का कहना है कि सदियों की परंपरा का आज भी पूर्व की भांति ही निर्वहन किया जा रहा है। ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में उन्होंने कई रहस्यों से पर्दा हटाया है।


Body:

सदियों से एक ही मंदिर में अपनी बहन माता श्यामा काली की तरफ पीठ करके अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के दौरान 7 दिनों तक विराजते हैं यह देवता, यह कारण
मंडी।
बड़ादेव कमरूनाग अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के दौरान 7 दिनों तक मंडी की टारना पहाड़ी पर स्थित माता श्यामा काली के मंदिर विराजते हैं। किंवदंतियों के अनुसार देव कमरूनाग और माता श्यामा काली रिश्ते में भाई बहन भी माने गए हैं। वह 7 दिन तक मंदिर में यह रास्ते तो है लेकिन माता श्यामा काली की तरफ पीठ करके ही बैठते हैं। हालांकि देवता के गुर नीलमणि उनके माता की तरफ पीठ करके बैठने को महज एक संयोग बताते हैं, लेकिन उनके माता की तरफ पीठ करके बैठने को लेकर लोगों में कई कहानियां प्रचलित है। कहा यह भी जाता है कि देव कमरुनाग अपनी बहन से रुष्ट होकर उनकी तरफ पीठ करके बैठते हैं। सदियों से अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में देव शिरकत करते हैं लेकिन हर बार इसी तरह से माता की तरफ पीठ करके ही विराजते हैं।


देश की करंसी खराब ना हो इसलिए बड़ादेव के रहस्यमई झील से से निकाली जाते हैं नोट, लेकिन बड़ादेव की इस शर्त को करना होता है कबूल
बड़ा देव कमरूनाग के मूल स्थान कमरू घाटी स्थित रहस्यमई झील सोना चांदी समेत करोड़ों की संपत्ति श्रद्धालुओं की तरफ से हर वर्ष अर्पित की जाती है। वर्तमान समय में यह खुद देवता की कारदारों को भी मालूम नहीं है की कितनी संपत्ति इस रहस्यमई झील में दफन है। कुछ वर्षों से देश की करेंसी झील में लस्ट ना हो इसके लिए मंदिर कमेटी करंसी नोट को झील से निकाल दिया जाता है। लेकिन चीन करंसी नोट के बदले में उसी कीमत की संपत्ति सोने चांदी के रूप में इस झील में डालनी पड़ती है। बताया जाता है कि दिल में अरबों रुपए की संपत्ति आस्था के रूप में श्रद्धालुओं द्वारा अर्पित की जा चुकी है। हर वर्ष देवता के मूल स्थान पर सरनाहुली मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले में हजारों श्रद्धालु झील मैं मनोकामना पूरी होने पर सोना चांदी समेत करंसी नोट और सिक्के अर्पित करते हैं। कहा तो यह भी जाता है कि कुछ श्रद्धालु तो नौकरी लगने पर पहली सैलरी झील अर्पित कर देते हैं। बड़ा देव कमरूनाग मैं लोगों की बहुत ज्यादा आता है।




Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.