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बुजुर्गों की आपत्ति के बाद भी बेटियों ने निभाया बेटे का फर्ज, पिता की चिता को दी मुखाग्नि

मंडी में तीन बेटियों ने अपने पिता के अंतिम संस्कार की सारी रस्में निभाकर बेटे का फर्ज पूरा किया. गांव के लोगों ने भी बेटियों की इस कवायद की सराहना कर दुख की घड़ी में उनका मनोबल बढ़ाया है. तीनों बेटियों का कहना था कि भले ही उनका कोई सगा भाई नहीं है, लेकिन माता-पिता ने उनकी बेटों की तरह ही परवरिश की है.

daughters cremated their father in mandi
मंडी में तीन बेटियों ने किया अपने पिता का अंतिम संस्कार
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Published : Jan 28, 2020, 11:45 AM IST

मंडी: जिला मंडी के कोठूआ गांव में तीन बेटियों ने अपने पिता के अंतिम संस्कार की सारी रस्में निभाकर बेटे का फर्ज पूरा किया. तीनों बेटियों ने पिता को मुखाग्नि देकर सदियों से चली आ रही रुढ़ीवादी परपंराओं को तोड़कर पुरूष प्रधान समाज में एक नई मिसाल पेश की है.

बता दें कि रविवार रात को सेना से सेवानिवृत हुए बलदेव राज ठाकुर(62) का ह्रदय गति रुकने से देहांत हो गया था. सोमवार सुबह जब अंतिम संस्कार का समय आया तो बेटियों ने आगे बढ़कर स्वयं इस रस्म को निभाने की बात कही. हालांकि गांव के कुछ बुजुर्गों ने इस पर आपत्ति जताई और पुत्र न होने पर किसी अन्य रिश्तेदार से यह रस्म करवाने की सलाह दी, लेकिन बेटियों ने यह रस्म को स्वयं ही निभाने की बात कही.

गौर रहे कि अंतिम संस्कार की सारी विधियां बलदेव ठाकुर की तीनों बेटियों पूनम ठाकुर, रिंपल ठाकुर और सोनिया ठाकुर ने मिल कर निभाई और पिता को मुखाग्नि दी. तीनों बेटियों का कहना था कि भले ही उनका कोई सगा भाई नहीं है, लेकिन माता-पिता ने उनकी बेटों की तरह ही परवरिश की है. उन्होंने कहा कि पिता की आकस्मिक मृत्यु होने पर उन्होंने बेटों का फर्ज निभाया है. अंतिम संस्कार की रस्म निभाकर उन्होंने जता दिया है कि बेटियां भी किसी से कम नहीं हैं.

वहीं, रिंपल ठाकुर के पति सूरज कौंडल का कहना है कि समाज ने भी बेटियों की इस कवायद की सराहना कर दुख की घड़ी में उनका मनोबल बढ़ाया है. उन्होंने कहा कि बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ सिर्फ कागजों तक की सोच नहीं है, बल्कि वह इस पर अमल करते हुए समाज में महिलाओं का बराबर का दर्जा दे रहें हैं.

ये भी पढ़ें: लंबाथाच के जंगलों में दुर्लभ प्रजाति के पेड़ों पर चली कुल्हाड़ी, अंधेरे का फायदा उठाकर तस्कर फरार

मंडी: जिला मंडी के कोठूआ गांव में तीन बेटियों ने अपने पिता के अंतिम संस्कार की सारी रस्में निभाकर बेटे का फर्ज पूरा किया. तीनों बेटियों ने पिता को मुखाग्नि देकर सदियों से चली आ रही रुढ़ीवादी परपंराओं को तोड़कर पुरूष प्रधान समाज में एक नई मिसाल पेश की है.

बता दें कि रविवार रात को सेना से सेवानिवृत हुए बलदेव राज ठाकुर(62) का ह्रदय गति रुकने से देहांत हो गया था. सोमवार सुबह जब अंतिम संस्कार का समय आया तो बेटियों ने आगे बढ़कर स्वयं इस रस्म को निभाने की बात कही. हालांकि गांव के कुछ बुजुर्गों ने इस पर आपत्ति जताई और पुत्र न होने पर किसी अन्य रिश्तेदार से यह रस्म करवाने की सलाह दी, लेकिन बेटियों ने यह रस्म को स्वयं ही निभाने की बात कही.

गौर रहे कि अंतिम संस्कार की सारी विधियां बलदेव ठाकुर की तीनों बेटियों पूनम ठाकुर, रिंपल ठाकुर और सोनिया ठाकुर ने मिल कर निभाई और पिता को मुखाग्नि दी. तीनों बेटियों का कहना था कि भले ही उनका कोई सगा भाई नहीं है, लेकिन माता-पिता ने उनकी बेटों की तरह ही परवरिश की है. उन्होंने कहा कि पिता की आकस्मिक मृत्यु होने पर उन्होंने बेटों का फर्ज निभाया है. अंतिम संस्कार की रस्म निभाकर उन्होंने जता दिया है कि बेटियां भी किसी से कम नहीं हैं.

वहीं, रिंपल ठाकुर के पति सूरज कौंडल का कहना है कि समाज ने भी बेटियों की इस कवायद की सराहना कर दुख की घड़ी में उनका मनोबल बढ़ाया है. उन्होंने कहा कि बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ सिर्फ कागजों तक की सोच नहीं है, बल्कि वह इस पर अमल करते हुए समाज में महिलाओं का बराबर का दर्जा दे रहें हैं.

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Intro:मंडी। रुढ़ीवादी परपंराओं को छोड़कर मंडी जिला के संधोल क्षेत्र के कोठूआ गांव में तीन बेटियों ने अपने पिता का अंतिम संस्कार किया और उन्हें मुखाग्नि देकर महिला सशक्तिकरण की मिसाल पेश की है। Body:रविवार रात को सेना में बतौर अधीक्षक सेवानिवृत हुए बलदेव राज ठाकुर(62) का ह्रदय गति रुकने से देहांत हो गया। बलदेव राज अपने पीछे पत्नी सरिता देवी और तीन बेटियों पूनम ठाकुर, रिंपल ठाकुर और सोनिया ठाकुर को छोड़ गये। सोमवार सुबह के समय जब कर्मकांड और अंतिम संस्कार के लिए तैयारियां हुई तो बेटियों ने आगे बढ़कर यह स्वयं इस रस्म को निभाने की बात कही। हालांकि गांव के कुछ बुजुर्गों ने इस पर आपति जताई और पुत्र न होने पर किसी अन्य रिश्तेदार से यह रस्म करवाने की सलाह दी। लेकिन बेटियों ने यह रस्म स्वयं ही निभाने की बात कही। जिसके बाद अंतिम संस्कार की सारी विधियां बेटियों ने मिल कर निभाई और पिता को मुखाग्नि दी। बेटियों का कहना था कि उनके भले ही कोई सगा भाई नहीं है, लेकिन माता-पिता ने उनकी बेटों की तरह ही परवरिश की है और उन्हें खूब पढ़ा लिखा कर धूमधाम से विवाह करवाया। अब पिता की आकस्मिक मृत्यु होने पर उन्होंने बेटों का फर्ज निभा अंतिम संस्कार की रस्म निभा कर जता दिया है कि बेटियां भी किसी से कम नहीं है। पिता का बिछोड़ा उन्हें दर्द दे गया है, लेकिन उन्होंने बेटे का स्वयं ही फर्ज निभा दिया है। रिंपल ठाकुर के पति सूरज कौंडल का कहना है कि समाज ने भी बेटियों की इस कवायद की सराहना कर इस दुख की घड़ी में उनका मनोबल बढ़ा जता दिया है कि बेटी पढ़ाओं बेटी बचाओं सिर्फ कागजों तक ही सोच नहीं है बल्कि वह इस पर अमल करते हुए समाज में महिलाओं का बराबर का अधिमान दे रहें है।Conclusion:Note : No video available. Only two photos.
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