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मंडी में प्रवासी श्रमिकों-बेरोजगारों के लिए बना हेल्प डेस्क, स्किल्ड वर्कर का डाटा होगा तैयार

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद मंडी जिला में प्रवासी श्रमिकों एवं बाहरी राज्यों से वापस लौटे लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए काउंसलिंग केंद्र एवं हेल्प डेस्क स्थापित किए गए हैं.

help desk for labourers in mandi
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Published : Jun 30, 2020, 12:48 PM IST

मंडी: देश भर में लगे लॉकडाउन से हजारों मजूदर हिमाचल से पलायन कर वापस अपने घर चले गए. इसका खामियाजा अब प्रदेश में लंबित पड़े विकास कार्यों पर पड़ रहा है. जिला मंडी में इस समस्या से निपटने के लिए प्रवासी श्रमिकों एवं बाहरी राज्यों से वापस लौटे लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए काउंसलिंग केंद्र एवं हेल्प डेस्क स्थापित किए गए हैं.

जिला स्तरीय हेल्प डेस्क, जिला श्रम अधिकारी कार्यालय में बनाया गया है. सभी बीडीओ, जिला प्रबंधक उद्योग,आईटीआई के प्राचार्य और नेहरू युवा केंद्र के समन्वयक हेल्प डेस्क के सदस्य बनाए गए हैं.

वीडियो रिपोर्ट

उपायुक्त मंडी ऋग्वेद ठाकुर ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि यह काउंसलिंग केंद्र एवं हेल्प डेस्क प्रवासी मजदूरों और बाहरी राज्यों से वापस लौटे लोगों को रोजगार देने के लिए बनाया गया है. यह हेल्प डेस्क लोगों की स्किल मैपिंग कर उनके कौशल के अनुरूप जिला में चल रही विभिन्न योजनाओं के माध्यम से रोजगार उपलब्ध करवाएगा.

डीसी ऋग्वेद ठाकुर ने बताया कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करते हुए जिला में काउंसलिंग केंद्र एवं हेल्प डेस्क स्थापित किए गए हैं. ऋग्वेद ठाकुर सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना काल में प्रवासी मजदूरों को उनके गृह राज्य लौटने में हर सम्भव सहायता प्रदान करने और उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने के लिए काउंसलिंग केंद्र एवं हैल्प डेस्क स्थापित करने के निर्देश दिए थे.

उपायुक्त ने कहा कि इन केन्द्रों का मुख्य उद्देश्य बाहरी राज्यों से वापस आए लोगों को आर्थिक गतिविधियों में जोड़ना है. प्रशासन ने इन केंद्रों में तैनात अधिकारियों के साथ वापस आए लोगों का डाटा साझा किया है. यह काउंसलिंग केन्द्र हर व्यक्ति से सम्पर्क कर उनकी स्किल मैपिंग करेंगे ताकि प्रशासन के पास एक डाटा बेस तैयार हो जाए और यह जानकारी रहे कि जिला में किस-किस फील्ड में कितने स्किल्ड लोग हैं.

डीसी मंडी ने कहा कि जिला स्तरीय हेल्प डेस्क के अलावा ब्लॉक स्तर पर संबंधित बीडीओ के नेतृत्व में काउंसलिंग केंद्र एवं हेल्प डेस्क स्थापित किए गए हैं. एसईबीपीओ इसके सदस्य बनाए गए हैं. जिससे रोजगार की आवश्यकता वाले मामलों में मनरेगा के माध्यम से रोजगार मुहैया करवाया जा सके.

ये भी पढ़ें: हमीरपुर का बटूरहा गांव कंटेनमेंट जोन घोषित, DC हरिकेश मीणा ने जारी किए आदेश

मंडी: देश भर में लगे लॉकडाउन से हजारों मजूदर हिमाचल से पलायन कर वापस अपने घर चले गए. इसका खामियाजा अब प्रदेश में लंबित पड़े विकास कार्यों पर पड़ रहा है. जिला मंडी में इस समस्या से निपटने के लिए प्रवासी श्रमिकों एवं बाहरी राज्यों से वापस लौटे लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए काउंसलिंग केंद्र एवं हेल्प डेस्क स्थापित किए गए हैं.

जिला स्तरीय हेल्प डेस्क, जिला श्रम अधिकारी कार्यालय में बनाया गया है. सभी बीडीओ, जिला प्रबंधक उद्योग,आईटीआई के प्राचार्य और नेहरू युवा केंद्र के समन्वयक हेल्प डेस्क के सदस्य बनाए गए हैं.

वीडियो रिपोर्ट

उपायुक्त मंडी ऋग्वेद ठाकुर ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि यह काउंसलिंग केंद्र एवं हेल्प डेस्क प्रवासी मजदूरों और बाहरी राज्यों से वापस लौटे लोगों को रोजगार देने के लिए बनाया गया है. यह हेल्प डेस्क लोगों की स्किल मैपिंग कर उनके कौशल के अनुरूप जिला में चल रही विभिन्न योजनाओं के माध्यम से रोजगार उपलब्ध करवाएगा.

डीसी ऋग्वेद ठाकुर ने बताया कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करते हुए जिला में काउंसलिंग केंद्र एवं हेल्प डेस्क स्थापित किए गए हैं. ऋग्वेद ठाकुर सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना काल में प्रवासी मजदूरों को उनके गृह राज्य लौटने में हर सम्भव सहायता प्रदान करने और उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने के लिए काउंसलिंग केंद्र एवं हैल्प डेस्क स्थापित करने के निर्देश दिए थे.

उपायुक्त ने कहा कि इन केन्द्रों का मुख्य उद्देश्य बाहरी राज्यों से वापस आए लोगों को आर्थिक गतिविधियों में जोड़ना है. प्रशासन ने इन केंद्रों में तैनात अधिकारियों के साथ वापस आए लोगों का डाटा साझा किया है. यह काउंसलिंग केन्द्र हर व्यक्ति से सम्पर्क कर उनकी स्किल मैपिंग करेंगे ताकि प्रशासन के पास एक डाटा बेस तैयार हो जाए और यह जानकारी रहे कि जिला में किस-किस फील्ड में कितने स्किल्ड लोग हैं.

डीसी मंडी ने कहा कि जिला स्तरीय हेल्प डेस्क के अलावा ब्लॉक स्तर पर संबंधित बीडीओ के नेतृत्व में काउंसलिंग केंद्र एवं हेल्प डेस्क स्थापित किए गए हैं. एसईबीपीओ इसके सदस्य बनाए गए हैं. जिससे रोजगार की आवश्यकता वाले मामलों में मनरेगा के माध्यम से रोजगार मुहैया करवाया जा सके.

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