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हिमाचल में एम फॉर्म विवाद: सरकार से आरपार की लड़ाई के मूड में ठेकेदार, करसोग में कार्यकारिणी का गठन - Contractors formed executive committee in Karsog

हिमाचल प्रदेश में सरकारी विभागों के अधीन किए जा रहे निर्माण कार्यों में एम फॉर्म लगाने के सरकार के फैसले का ठेकेदार (M form controversy in Himachal) विरोध कर रहे हैं. इसी कड़ी में लोक निर्माण विभाग के रेस्ट हाउस में मंगलवार को ठेकेदारों ने कार्यकारणी (Contractors formed executive committee in Karsog ) का गठन किया. यूनियन के पदाधिकारियों का कहना है कि सरकार की गलत नितियों का खामियाजा ठेकेदारों को भुगतना पड़ रहा है. ऐसे में सरकार जीएसटी इनपुट को भी जल्द रिलीज करे.

Contractors formed executive committee in Karsog
करसोग में कार्यकारिणी का गठन
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Published : Feb 8, 2022, 6:40 PM IST

करसोग: मंडी जिले के करसोग में एम और एक्स फॉर्म की जटिलताओं से परेशान ठेकेदार कई अन्य मांगों को लेकर सरकार से आरपार की लड़ाई लड़ने के मूड में हैं. हड़ताल पर बैठे ठेकेदारों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कार्यकारिणी का गठन (contractors held meeting in karsog) किया है, जो कई अन्य मांगों को लेकर भी सरकार से अपनी लड़ाई लड़ेंगी. यहां बरल में स्थित लोक निर्माण विभाग के रेस्ट हाउस में मंगलवार को ठेकेदारों ने कार्यकारणी का गठन (Contractors formed executive committee in Karsog ) किया, जिसमें नरेंद्र भारद्वाज को सर्वसम्मति से करसोग ठेकेदार यूनियन का अध्यक्ष बनाया गया.

इसके अलावा चमन खाची, तरुण ठाकुर और जितेंद्र कुमार को उपाध्यक्ष, ओमप्रकाश व तोमल कुमार महासचिव, घनश्याम शर्मा को कोषाध्यक्ष, ठाकुर सैन को मुख्य प्रवक्ता सहित चेतन शर्मा व खेमराज को मीडिया प्रभारी का जिम्मा सौंपा गया है. इस मौके पर नवगठित कार्यकारिणी ने एम और एक्स फॉर्म (M form controversy in Himachal) को लेकर पेश आ रही परेशानियों के बारे में सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए एसडीएम के माध्यम से एक ज्ञापन भी सौंपा. ज्ञापन के माध्यम से ठेकेदार यूनियन ने जीएसटी इनपुट को लेकर भी समस्या का समाधान किए जाने की मांग रखी है.

यूनियन के पदाधिकारियों का कहना है कि ठेकेदारों को जुलाई 2017 से पहले जो काम आवार्ड हुए थे, लेकिन ये कार्य बाद में शुरू हुए. इस पर भी ठेकेदारों से जीएसटी (increasing gst in himachal) काटा गया, जोकि नहीं कटना चाहिए था. इस तरह सरकार की गलत नितियों का खामियाजा ठेकेदारों को भुगतना पड़ रहा है. ऐसे में सरकार जीएसटी इनपुट को भी जल्द रिलीज करे. इसके साथ यूनियन ने चेतावनी दी है कि समस्या का लिखित में समाधान नहीं होने तक हड़ताल जारी रहेगी. हालांकि इस दौरान प्रोजेक्टों में कार्य कर रहे मजदूरों को दिहाड़ी मिलती रहेगी.

इससे पूर्व 7 फरवरी को नाराज ठेकेदार लोक निर्माण विभाग की टेंडर प्रक्रिया में शामिल नहीं हुए. इसके अलावा हड़ताल पर बैठे ठेकेदारों ने बर्फ हटाने में लगी जेसीबी को सड़कों के किनारे खड़ी कर दिया है. यही नहीं सड़कों सहित अस्पताल, मिनी सचिवालय, सरकारी आवासों की मरम्मत, डंगों और नालियों के निर्माण के सभी कार्य बंद कर दिए हैं, जिससे अब आम जनता की भी परेशानी बढ़ने वाली है. ठेकेदारों ने सरकार के सामने माइनिंग के नियमों में संशोधन कर सरलीकरण करने की भी मांग रखी है.

ठेकेदारों का कहना है कि नियम सख्त होने की वजह से क्रशर से रोड़ी, रेत-बजरी नहीं मिल रही है. जिसके चलते विकासकार्य भी प्रभावित हो रहे हैं. हिमाचल ठेकेदार एसोसिएशन के सदस्य (Member of Himachal Contractors Association) चेतन शर्मा का कहना है कि मुख्यमंत्री से इस मामले पर कई बार वार्ता हो चुकी है, लेकिन कोरे आश्वासन के अलावा कुछ नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि जुलाई, 2017 से पहले के आवार्ड हुए कार्यों पर काटे गए जीएसटी को भी रिलीज करे. दो बार जीएसटी देने पर ठेकेदारों पर भारी वित्तीय बोझ पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि अगर अब भी मांगें नहीं मानी गई तो हड़ताल आगे भी जारी रहेगी.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में होगी करुणामूलक आधार पर नौकरी की समीक्षा, सरकार ने बनाई कमेटी

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करसोग: मंडी जिले के करसोग में एम और एक्स फॉर्म की जटिलताओं से परेशान ठेकेदार कई अन्य मांगों को लेकर सरकार से आरपार की लड़ाई लड़ने के मूड में हैं. हड़ताल पर बैठे ठेकेदारों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कार्यकारिणी का गठन (contractors held meeting in karsog) किया है, जो कई अन्य मांगों को लेकर भी सरकार से अपनी लड़ाई लड़ेंगी. यहां बरल में स्थित लोक निर्माण विभाग के रेस्ट हाउस में मंगलवार को ठेकेदारों ने कार्यकारणी का गठन (Contractors formed executive committee in Karsog ) किया, जिसमें नरेंद्र भारद्वाज को सर्वसम्मति से करसोग ठेकेदार यूनियन का अध्यक्ष बनाया गया.

इसके अलावा चमन खाची, तरुण ठाकुर और जितेंद्र कुमार को उपाध्यक्ष, ओमप्रकाश व तोमल कुमार महासचिव, घनश्याम शर्मा को कोषाध्यक्ष, ठाकुर सैन को मुख्य प्रवक्ता सहित चेतन शर्मा व खेमराज को मीडिया प्रभारी का जिम्मा सौंपा गया है. इस मौके पर नवगठित कार्यकारिणी ने एम और एक्स फॉर्म (M form controversy in Himachal) को लेकर पेश आ रही परेशानियों के बारे में सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए एसडीएम के माध्यम से एक ज्ञापन भी सौंपा. ज्ञापन के माध्यम से ठेकेदार यूनियन ने जीएसटी इनपुट को लेकर भी समस्या का समाधान किए जाने की मांग रखी है.

यूनियन के पदाधिकारियों का कहना है कि ठेकेदारों को जुलाई 2017 से पहले जो काम आवार्ड हुए थे, लेकिन ये कार्य बाद में शुरू हुए. इस पर भी ठेकेदारों से जीएसटी (increasing gst in himachal) काटा गया, जोकि नहीं कटना चाहिए था. इस तरह सरकार की गलत नितियों का खामियाजा ठेकेदारों को भुगतना पड़ रहा है. ऐसे में सरकार जीएसटी इनपुट को भी जल्द रिलीज करे. इसके साथ यूनियन ने चेतावनी दी है कि समस्या का लिखित में समाधान नहीं होने तक हड़ताल जारी रहेगी. हालांकि इस दौरान प्रोजेक्टों में कार्य कर रहे मजदूरों को दिहाड़ी मिलती रहेगी.

इससे पूर्व 7 फरवरी को नाराज ठेकेदार लोक निर्माण विभाग की टेंडर प्रक्रिया में शामिल नहीं हुए. इसके अलावा हड़ताल पर बैठे ठेकेदारों ने बर्फ हटाने में लगी जेसीबी को सड़कों के किनारे खड़ी कर दिया है. यही नहीं सड़कों सहित अस्पताल, मिनी सचिवालय, सरकारी आवासों की मरम्मत, डंगों और नालियों के निर्माण के सभी कार्य बंद कर दिए हैं, जिससे अब आम जनता की भी परेशानी बढ़ने वाली है. ठेकेदारों ने सरकार के सामने माइनिंग के नियमों में संशोधन कर सरलीकरण करने की भी मांग रखी है.

ठेकेदारों का कहना है कि नियम सख्त होने की वजह से क्रशर से रोड़ी, रेत-बजरी नहीं मिल रही है. जिसके चलते विकासकार्य भी प्रभावित हो रहे हैं. हिमाचल ठेकेदार एसोसिएशन के सदस्य (Member of Himachal Contractors Association) चेतन शर्मा का कहना है कि मुख्यमंत्री से इस मामले पर कई बार वार्ता हो चुकी है, लेकिन कोरे आश्वासन के अलावा कुछ नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि जुलाई, 2017 से पहले के आवार्ड हुए कार्यों पर काटे गए जीएसटी को भी रिलीज करे. दो बार जीएसटी देने पर ठेकेदारों पर भारी वित्तीय बोझ पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि अगर अब भी मांगें नहीं मानी गई तो हड़ताल आगे भी जारी रहेगी.

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