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सराज सीट की जंग: दो ठाकुर ठोक रहे ताल, क्या जयराम छठी बार करेंगे कब्जा? - HP election 2022

सराज विधानसभा सीट पर सीएम जयराम ठाकुर का कब्जा रहा है. 1993 के बाद कांग्रेस के हाथ ये सीट कभी नहीं आई. ऐसे में क्या इस बार कांग्रेस कुछ कमाल दिखा पाएगी या जयराम का जलवा बरकरार रहेगा. पढ़ें.

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Published : Nov 8, 2022, 5:52 PM IST

Updated : Nov 8, 2022, 7:48 PM IST

सराज/मंडी: साल 2017 में प्रदेश में राजनीति की दशा और दिशा बदलने वाली सराज विधानसभा सीट हिमाचल की हॉट सीट बनी हुई है. सराज विधानसभा की सीट पर हिमाचल प्रदेश के साथ साथ पूरे देश भर की निगाहें टिकी हुई हैं, क्योंकि 2017 में हुए हिमाचल चुनावों में भाजपा मुख्यमंत्री उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल और इसी साल उत्तराखंड में हुए विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री धामी का चुनाव हारने के कारण भाजपा के लिए विधानसभा चुनाव में सराज की सीट को लाना साख की लड़ाई बनी हुई है.

पढ़ें- संजय सूद ने अपने ढाबे में बनाई चाय, उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने ली चुस्की

सराज में दो ठाकुर की सीधी टक्कर: मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर लगातार छठी जीत हासिल करने की तैयारी में हैं. वहीं, कांग्रेस 1993 के बाद फिर से सराज में खाता खोलना चाह रही है. सराज विधानसभा क्षेत्र में कहने को तो 6 उम्मीदवार मैदान में हैं लेकिन असल में लड़ाई भाजपा उम्मीदवार जयराम ठाकुर और कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार पूर्व में दो बार रहे मिल्क फैड के चैयरमेन चेतराम ठाकुर के बीच ही होगा. इस सीट पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए प्रचार में डटे हुए हैं. यह सीट जीतना जयराम के साथ साथ भाजपा की साख का सवाल बनी हुई है.

क्या पहले ही हार मान चुकी हैं कांग्रेस?: जयराम ठाकुर के साथ साथ भाजपा की प्रतिष्ठा भी यहां पर दांव पर है. कांग्रेस प्रत्याशी चेतराम ठाकुर यहां पर गांव-गांव में नुक्कड़ सभाएं कर रहे हैं, लेकिन हैरानी की बात है कि कांग्रेस हाईकमान के नेता यहां पर कम ही दिखाई दिए. सराज विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस का कोई बड़ा स्टार प्रचारक न आना कांग्रेस कार्यकर्ताओं को खटक रहा है. भाजपा कार्यकर्ताओं की मानें तो कांग्रेस पार्टी ने सराज में चुनाव लड़ने से पहले ही हार मान ली है जिसके लिए उन्होंने यहां मुख्यमंत्री के सामने कोई स्टार प्रचारक तक नहीं भेजा.

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सराज सीट का इतिहास

सराज का इतिहास: साल 2012 में विधानसभा क्षेत्रों के डिलिमिटेशन (सीमांकन) में चच्यौट विधानसभा क्षेत्र को सराज विधानसभा क्षेत्र का नाम दिया गया और चच्यौट को 2012 से सराज विस क्षेत्र के नाम से जाना जाने लगा. 1998 से 2007 तक जयराम ठाकुर ने चच्यौट विधानसभा क्षेत्र में लगातार तीन दफा जीत हासिल की थी. 2012 में चच्यौट सराज बन गया और दोनों 2012 और 2017 में चुनावो में जीत का पंजा लगा चुके हैं क्या इस बार वे जीत का छक्का लगा पाएंगे आठ दिसंबर को ही तय होगा.

सराज सीट के प्रमुख मुद्दे: सराज विधानसभा क्षेत्र में भाजपा की पिछले 25 वर्षों से एक तरफा जीत को देखते हुए बदलाव का नारा कांग्रेस दे रही है. वहीं सिर्फ ठेकेदार का विकास करने की बात कह कर इसे मुद्दा बनाया गया है. वहीं दूसरी ओर भाजपा पिछले पांच सालों में सराज में हुए अथाह विकास स्कूल, सड़क, स्वास्थ्य जैसी सुविधा के बलबूते पर वोट मांग रही है. प्रदेश की हॉट सीट सराज विधानसभा क्षेत्र से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर लगातार छठी जीत के लिए मैदान में उतरे हैं. कांग्रेस ने फिर चेत राम को ही मैदान में उतारा है. जयराम ठाकुर यहां से पांच चुनाव जीत चुके हैं. कांग्रेस यहां से चेहरे बदलती रही है, लेकिन जीत हासिल नहीं कर पाई है.

जयराम से पहले कांग्रेस का गढ़ था सराज: सराज विधानसभा क्षेत्र किसी जमाने में कांग्रेस का गढ़ होता था. यहां की पहाड़ी जमीन पर कमल खिलाना पहाड़ जैसी चुनौती था. जयराम ठाकुर ने इस चुनौती को स्वीकारा 1993 में कमल की बिजाई शुरू की. जयराम ने पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ा और कांग्रेस के दिग्गज मोती राम से मुकाबला हुआ था. वह जनता दल छोड़ कांग्रेस में आए थे. मोती राम को 28.75 व जयराम ठाकुर को 23.11 प्रतिशत मत मिले थे. जयराम ठाकुर जमानत बचाने में सफल रहे थे. इस चुनाव में कांग्रेस के तीन असंतुष्ट पंडित शिवलाल, वीर सिंह व चेतराम ठाकुर मैदान में थे. अधिकृत व तीन असंतुष्टों को कुल मिलाकर 71 प्रतिशत से अधिक मत मिले थे. हार के बाद पांच साल तक जयराम ठाकुर क्षेत्र में सक्रिय रहे.

कांग्रेस पार्टी के चेहरे बदलते रहे फिर भी नहीं मिली जीत: 1998 के चुनाव में पहली बार जयराम को जीत मिली, इसके बाद से लगातार यहां से चुनाव जीत रहे हैं. कांग्रेस पांच चुनाव में चेहरे बदलती रही, लेकिन जीत नसीब नहीं हुई. इस चुनाव में जयराम ठाकुर के सामने कांग्रेस के चेतराम ठाकुर फिर मैदान में हैं. वह जयराम के सामने तीसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं. कांग्रेस को आम आदमी पार्टी में रहे संतराम का भी साथ मिला है. कांग्रेस यहां भीतरघात से जूझ रही है. असंतुष्ट नेताओं का साथ भी नहीं मिल रहा है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पांच साल में सराज विधानसभा क्षेत्र के हर गांव में विकास करवाया है. इन्हें हर गांव से समर्थन मिला रहा है.

मैदान में 6 प्रत्याशी :सराज के चुनावी रण में छह प्रत्याशी हैं. भाजपा व कांग्रेस के अलावा माकपा से महेंद्र राणा, बसपा से इंदिरा देवी, आम आदमी पार्टी से गीतानंद व नरेंद्र कुमार निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं. यहां लोगों में चर्चा है कि भाजपा को वोट देने के अर्थ मुख्यमंत्री चुनना है.

किसे कितना प्रतिशत मिला वोट?: चच्योट व सिराज विधानसभा क्षेत्रों के विगत इतिहास के मुताबिक 1993 के बाद कांग्रेस ने ये सीट नहीं जीती है। हालांकि, 1993 में जयराम ठाकुर ने कांग्रेस को टक्कर दी थी, लेकिन जीत का सेहरा कांग्रेस के दिवंगत नेता मोतीराम ठाकुर के सिर बंधा था. कांग्रेस प्रत्याशी ने 28.75 प्रतिशत वोट हासिल किए थे, जबकि जयराम ठाकुर को 23.11 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे. निर्दलीय प्रत्याशी वीर सिंह ने 16.17 प्रतिशत वोट हासिल किए थे. इसके अलावा एक अन्य निर्दलीय प्रत्याशी शिव लाल ने भी 16.3 प्रतिशत वोट प्राप्त किए.

निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चेतराम ठाकुर ने 9.85 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया था, जबकि बहुजन समाज पार्टी के बीर सिंह ने भी 4.95 प्रतिशत वोट हासिल किए थे. यानि, मैदान में उतरे तमाम 6 प्रत्याशियों ने प्रभावशाली प्रदर्शन किया था. इस चुनाव के बाद ही मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मतदाताओं में ऐसा प्रभाव बनाया कि चच्योट के बाद सिराज से भी चुनाव जीतते आ रहे हैं. 50 साल के इतिहास में चच्योट विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस तीन बार ही चुनाव जीती. 1972 में कर्म सिंह विधायक बने थे. इसके बाद 1977 में कांग्रेस विरोधी लहर में मोती राम चुनाव जीते. 1982 में मोती राम ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीता. 1985 में कांग्रेस को जीत मिली थी. 1993 के बाद कांग्रेस ने जीत का मुंह नहीं देखा.

कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती सराज सीट: उधर, सराज विधानसभा क्षेत्र में तो कांग्रेस जीती ही नहीं है. पुनर्सीमांकन के बाद 2012 व 2017 में जयराम ठाकुर ही जीते. खास बात ये रही कि 1998 में 38.74 प्रतिशत वोट हासिल करने वाले जयराम ठाकुर की ये प्रतिशतता 2017 में 56.27 प्रतिशत तक पहुंच गई. यानि, लंबे समय तक लोकप्रियता को बनाए रखा. साथ ही वोट प्रतिशत में इजाफा भी करते रहे. इस बार भी इसमें कितना इजाफा होगा भविष्य के गर्भ में है. 2012 में जयराम ठाकुर को 30,837 वोट पडे़ थे, जबकि कांग्रेस की तारा ठाकुर ने 25,085 वोट लिए थे. सीपीएम व बीएसपी का वोट शेयर 1850 रहा.

भाजपा के प्रत्याशी के तौर पर जयराम ठाकुर 2012 की तुलना में 2017 में वोट प्रतिशतता को बढ़ाने में सफल हो गए थे. जयराम ठाकुर की वोट प्रतिशतता 53.38 की तुलना में 56.27 प्रतिशत हो गई, जबकि कांग्रेस को 5 प्रतिशत का नुकसान उठाना पड़ा. 2012 के 43.42 प्रतिशत की तुलना में 2017 में कांग्रेस ने 38.44 प्रतिशत वोट हासिल किए.

जयराम ठाकुर का जीवन परिचय: जयराम ठाकुर हिमाचल भाजपा के प्रमुख नेताओं में शुमार रहे हैं, जिन्होंने राजनीतिक जीवन की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) और युवा मोर्चा करते हुए प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष और अध्यक्ष रहे तक का सफर भी तय किया. एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले जयराम ठाकुर के पिता स्वर्गीय जेठूराम पेशे से मिस्त्री का काम करते थे. जयराम का सारा बचपन गरीबी में रहा लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री शाांता कुमार के कारण राजनीतिक में कूद गए और आज हिमाचल प्रदेश केे मुख्यमंत्री पद पर आसीन हैं.

कौन ‌हैं चेतराम: चेतराम ठाकुर (उम्र 62 वर्ष) पूर्व कांग्रेस सरकार में दो बार रहे मिल्फैड के चेयरमैन बन चुके हैं. सराज विधानसभा क्षेत्र जो पहले च्चयौट विधानसभा क्षेत्र थी से चेतराम ठाकुर दो बार कांग्रेस पार्टी से टिकट लेकर विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन दोनों बार वर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से हार चुके हैं. पिता का नाम स्वर्गीय शिवदयाल के घर जंजैहली समीप रैलचौक में छह अक्टूबर 1960 को जन्मे बचपन से ही राजनीति में आना चाहते थे. चेतराम ठाकुर ने सिविल इंजीनियरिंग और बीए की पढ़ाई कर नौकरी लगना ठीक नहीं समझा और 30 वर्ष की आयु में ही राजनीति में कूद पड़े थे.

1990 से राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं चेतराम: चेतराम ठाकुर 1990 से राजनीति में सक्रिय हैं. चेतराम ठाकुर पहली बार 1991 में पंचायत प्रधान बने 1995 में बीडीसी का चुनाव लड़ा था और दो जगह रोड पंचायत समिति और ब्रयोगी पंचायत समिति से चुनाव लड़ान था. दोनों जगह से जीत हासिल की जिसके बाद वे बीडीसी चैयरमेन बने थे. 2003 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था लेकन जयराम ठाकुर से हार मिली थी. चेतराम ठाकुर ने 2003 में कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ा था. इस विधानसभा के चुनाव चेतराम ठाकुर तीसरे नम्बर पर रहे थे जिसके बाद चेतराम को कांग्रेस पार्टी ने टिकट नहीं दिया था.

2017 में फिर कांग्रेस पार्टी ने फिर चेतराम ठाकुर पर दांव खेला था लेकिन करीब 12 हजार वोटों से जयराम से चुनाव हार गए थे.
चेतराम ठाकुर को विधानसभा चुनाव 2007 और 2012 में कांग्रेस का टिकट नहीं मिला इनकी जगह अन्य उम्मीदवारों को कांग्रेस पार्टी ने टिकट दिया था जिसमें भी कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा था. अब 2022 के चुनावों में प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के सामने चुनाव लड़ने जा रहे हैं. कांग्रेस के मोतीराम ठाकुर के 1998 में चुनाव हार के बाद कांग्रेस यहां वापसी नहीं कर पाई. उनके निधन के बाद से ही जयराम ठाकुर लगातार चुनाव जीत रहे हैं.

करोड़पति हैं जयराम ठाकुर : भाजपा उम्मीदवार के अपना नामांकन पत्र भरने वाले जयराम ठाकुर छह करोड़ से अधिक संपति के मालिक हैं. उनकी चल एवं अचल संपति करीब 6.28 करोड़ है. जयराम ठाकुर की धर्मपत्नी साधना ठाकुर भी करोड़पति हैं. वहीं उनकी दोनों बेटियों के नाम 44-44 लाख की चल संपति है. जयराम ठाकुर ने नामांकन पत्रों के साथ दाखिल किए गए चुनावी हलफनामे में अपने पास 1.79 करोड़, पत्नी के पास 1.28 करोड़ और पहली बेटी के नाम 44.34 लाख और दूसरी बेटी के नाम 44.59 लाख की चल संपति होने की घोषणा की है.

इसमें उनकी बैंक जमा एवं नकदी भी शामिल है. मुख्यमंत्री के पास सेविंग के नाम पर 10 पॉलिसियां हैं. इसके अलावा तीन सोने की चेन, जिनकी कीमत तीन लाख 10 हजार है, जबकि उनकी पत्नी के पास 17 लाख की कीमत का 375 ग्राम सोना है. हलफनामे के अनुसार मुख्यमंत्री की अचल संपति 1.79 करोड़ और उनकी पत्नी की 52.50 लाख है. इसमें मंडी जिला के थुनाग में कृषि व गैर कृषि जमीन, मंडी में ही सात बिस्वा में बना एक घर भी जयराम ठाकुर के नाम पर है. मुख्यमंत्री ने अपने घर का मौजूदा बाजार मूल्य 65 लाख रुपये बताया है. शिमला में भी एक घर है, जो मुख्यमंत्री और उनकी पत्नी दोनों के नाम पर है. मुख्यमंत्री के ऊपर 26 लाख 88 हजार 280 रुपये का हाउस लोन है, जिसे उन्होंने विधानसभा से लिया है. वितीय वर्ष 2021-22 में मुख्यमंत्री ने 28 लाख 69 हज़ार 90 रुपये और उनकी धर्मपत्नी ने 32 लाख 76 हज़ार 28 रुपये का आयकर भरा है.

चेतराम की संपत्ति का ब्यौरा: 62 वर्षीय चेतराम की चल एवं अचल संपति करीब 1.14 करोड़ रुपये है. चुनावी हलफनामे के मुताबिक चेतराम के नाम 84 लाख की अचल संपत्ति है. इसमें 14-14-9 बीघा जमीन और दो घर शामिल हैं. वहीं उनके परिवार के नाम 29.41 लाख की चल संपत्ति है. चेतराम के पास नामांकन के दौरान 1.20 लाख की नकदी सहित विभिन्न बैंकों में 9.95 लाख की चल संपति है. उनके पास 4 लाख कीमत की एक टवेरा गाड़ी भी है. उनकी पत्नी के नाम 12.46 लाख की चल संपति है. वहीं आश्रित की चल संपति सात लाख है. चेतराम पर 9.64 लाख और उनके आश्रित पर 7 लाख की देनदारियां हैं.

सराज सीट पर मतदाता: कहने को तो सराज विधानसभा क्षेत्र में कुल 83957 वोटर हैं जिसमें से पुरुष मतदाताओं की तादाद 43,216 और महिला वोटर्स की संख्या 40,741 है. वहीं 55 फीसदी सवर्म के होने से यहां हमेशा ही ठाकुर समुदाय ही कब्जा करने में सफल रहे. पहले मोतीराम ठाकुर उसके बाद जयराम ठाकुर दोनों बड़ी पार्टियां ने हमेशा ठाकुर समुदाय से ताल्लुक रखने वाले को ही टिकट आवंटित किया है.


सराज/मंडी: साल 2017 में प्रदेश में राजनीति की दशा और दिशा बदलने वाली सराज विधानसभा सीट हिमाचल की हॉट सीट बनी हुई है. सराज विधानसभा की सीट पर हिमाचल प्रदेश के साथ साथ पूरे देश भर की निगाहें टिकी हुई हैं, क्योंकि 2017 में हुए हिमाचल चुनावों में भाजपा मुख्यमंत्री उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल और इसी साल उत्तराखंड में हुए विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री धामी का चुनाव हारने के कारण भाजपा के लिए विधानसभा चुनाव में सराज की सीट को लाना साख की लड़ाई बनी हुई है.

पढ़ें- संजय सूद ने अपने ढाबे में बनाई चाय, उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने ली चुस्की

सराज में दो ठाकुर की सीधी टक्कर: मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर लगातार छठी जीत हासिल करने की तैयारी में हैं. वहीं, कांग्रेस 1993 के बाद फिर से सराज में खाता खोलना चाह रही है. सराज विधानसभा क्षेत्र में कहने को तो 6 उम्मीदवार मैदान में हैं लेकिन असल में लड़ाई भाजपा उम्मीदवार जयराम ठाकुर और कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार पूर्व में दो बार रहे मिल्क फैड के चैयरमेन चेतराम ठाकुर के बीच ही होगा. इस सीट पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए प्रचार में डटे हुए हैं. यह सीट जीतना जयराम के साथ साथ भाजपा की साख का सवाल बनी हुई है.

क्या पहले ही हार मान चुकी हैं कांग्रेस?: जयराम ठाकुर के साथ साथ भाजपा की प्रतिष्ठा भी यहां पर दांव पर है. कांग्रेस प्रत्याशी चेतराम ठाकुर यहां पर गांव-गांव में नुक्कड़ सभाएं कर रहे हैं, लेकिन हैरानी की बात है कि कांग्रेस हाईकमान के नेता यहां पर कम ही दिखाई दिए. सराज विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस का कोई बड़ा स्टार प्रचारक न आना कांग्रेस कार्यकर्ताओं को खटक रहा है. भाजपा कार्यकर्ताओं की मानें तो कांग्रेस पार्टी ने सराज में चुनाव लड़ने से पहले ही हार मान ली है जिसके लिए उन्होंने यहां मुख्यमंत्री के सामने कोई स्टार प्रचारक तक नहीं भेजा.

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सराज सीट का इतिहास

सराज का इतिहास: साल 2012 में विधानसभा क्षेत्रों के डिलिमिटेशन (सीमांकन) में चच्यौट विधानसभा क्षेत्र को सराज विधानसभा क्षेत्र का नाम दिया गया और चच्यौट को 2012 से सराज विस क्षेत्र के नाम से जाना जाने लगा. 1998 से 2007 तक जयराम ठाकुर ने चच्यौट विधानसभा क्षेत्र में लगातार तीन दफा जीत हासिल की थी. 2012 में चच्यौट सराज बन गया और दोनों 2012 और 2017 में चुनावो में जीत का पंजा लगा चुके हैं क्या इस बार वे जीत का छक्का लगा पाएंगे आठ दिसंबर को ही तय होगा.

सराज सीट के प्रमुख मुद्दे: सराज विधानसभा क्षेत्र में भाजपा की पिछले 25 वर्षों से एक तरफा जीत को देखते हुए बदलाव का नारा कांग्रेस दे रही है. वहीं सिर्फ ठेकेदार का विकास करने की बात कह कर इसे मुद्दा बनाया गया है. वहीं दूसरी ओर भाजपा पिछले पांच सालों में सराज में हुए अथाह विकास स्कूल, सड़क, स्वास्थ्य जैसी सुविधा के बलबूते पर वोट मांग रही है. प्रदेश की हॉट सीट सराज विधानसभा क्षेत्र से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर लगातार छठी जीत के लिए मैदान में उतरे हैं. कांग्रेस ने फिर चेत राम को ही मैदान में उतारा है. जयराम ठाकुर यहां से पांच चुनाव जीत चुके हैं. कांग्रेस यहां से चेहरे बदलती रही है, लेकिन जीत हासिल नहीं कर पाई है.

जयराम से पहले कांग्रेस का गढ़ था सराज: सराज विधानसभा क्षेत्र किसी जमाने में कांग्रेस का गढ़ होता था. यहां की पहाड़ी जमीन पर कमल खिलाना पहाड़ जैसी चुनौती था. जयराम ठाकुर ने इस चुनौती को स्वीकारा 1993 में कमल की बिजाई शुरू की. जयराम ने पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ा और कांग्रेस के दिग्गज मोती राम से मुकाबला हुआ था. वह जनता दल छोड़ कांग्रेस में आए थे. मोती राम को 28.75 व जयराम ठाकुर को 23.11 प्रतिशत मत मिले थे. जयराम ठाकुर जमानत बचाने में सफल रहे थे. इस चुनाव में कांग्रेस के तीन असंतुष्ट पंडित शिवलाल, वीर सिंह व चेतराम ठाकुर मैदान में थे. अधिकृत व तीन असंतुष्टों को कुल मिलाकर 71 प्रतिशत से अधिक मत मिले थे. हार के बाद पांच साल तक जयराम ठाकुर क्षेत्र में सक्रिय रहे.

कांग्रेस पार्टी के चेहरे बदलते रहे फिर भी नहीं मिली जीत: 1998 के चुनाव में पहली बार जयराम को जीत मिली, इसके बाद से लगातार यहां से चुनाव जीत रहे हैं. कांग्रेस पांच चुनाव में चेहरे बदलती रही, लेकिन जीत नसीब नहीं हुई. इस चुनाव में जयराम ठाकुर के सामने कांग्रेस के चेतराम ठाकुर फिर मैदान में हैं. वह जयराम के सामने तीसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं. कांग्रेस को आम आदमी पार्टी में रहे संतराम का भी साथ मिला है. कांग्रेस यहां भीतरघात से जूझ रही है. असंतुष्ट नेताओं का साथ भी नहीं मिल रहा है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पांच साल में सराज विधानसभा क्षेत्र के हर गांव में विकास करवाया है. इन्हें हर गांव से समर्थन मिला रहा है.

मैदान में 6 प्रत्याशी :सराज के चुनावी रण में छह प्रत्याशी हैं. भाजपा व कांग्रेस के अलावा माकपा से महेंद्र राणा, बसपा से इंदिरा देवी, आम आदमी पार्टी से गीतानंद व नरेंद्र कुमार निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं. यहां लोगों में चर्चा है कि भाजपा को वोट देने के अर्थ मुख्यमंत्री चुनना है.

किसे कितना प्रतिशत मिला वोट?: चच्योट व सिराज विधानसभा क्षेत्रों के विगत इतिहास के मुताबिक 1993 के बाद कांग्रेस ने ये सीट नहीं जीती है। हालांकि, 1993 में जयराम ठाकुर ने कांग्रेस को टक्कर दी थी, लेकिन जीत का सेहरा कांग्रेस के दिवंगत नेता मोतीराम ठाकुर के सिर बंधा था. कांग्रेस प्रत्याशी ने 28.75 प्रतिशत वोट हासिल किए थे, जबकि जयराम ठाकुर को 23.11 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे. निर्दलीय प्रत्याशी वीर सिंह ने 16.17 प्रतिशत वोट हासिल किए थे. इसके अलावा एक अन्य निर्दलीय प्रत्याशी शिव लाल ने भी 16.3 प्रतिशत वोट प्राप्त किए.

निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चेतराम ठाकुर ने 9.85 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया था, जबकि बहुजन समाज पार्टी के बीर सिंह ने भी 4.95 प्रतिशत वोट हासिल किए थे. यानि, मैदान में उतरे तमाम 6 प्रत्याशियों ने प्रभावशाली प्रदर्शन किया था. इस चुनाव के बाद ही मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मतदाताओं में ऐसा प्रभाव बनाया कि चच्योट के बाद सिराज से भी चुनाव जीतते आ रहे हैं. 50 साल के इतिहास में चच्योट विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस तीन बार ही चुनाव जीती. 1972 में कर्म सिंह विधायक बने थे. इसके बाद 1977 में कांग्रेस विरोधी लहर में मोती राम चुनाव जीते. 1982 में मोती राम ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीता. 1985 में कांग्रेस को जीत मिली थी. 1993 के बाद कांग्रेस ने जीत का मुंह नहीं देखा.

कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती सराज सीट: उधर, सराज विधानसभा क्षेत्र में तो कांग्रेस जीती ही नहीं है. पुनर्सीमांकन के बाद 2012 व 2017 में जयराम ठाकुर ही जीते. खास बात ये रही कि 1998 में 38.74 प्रतिशत वोट हासिल करने वाले जयराम ठाकुर की ये प्रतिशतता 2017 में 56.27 प्रतिशत तक पहुंच गई. यानि, लंबे समय तक लोकप्रियता को बनाए रखा. साथ ही वोट प्रतिशत में इजाफा भी करते रहे. इस बार भी इसमें कितना इजाफा होगा भविष्य के गर्भ में है. 2012 में जयराम ठाकुर को 30,837 वोट पडे़ थे, जबकि कांग्रेस की तारा ठाकुर ने 25,085 वोट लिए थे. सीपीएम व बीएसपी का वोट शेयर 1850 रहा.

भाजपा के प्रत्याशी के तौर पर जयराम ठाकुर 2012 की तुलना में 2017 में वोट प्रतिशतता को बढ़ाने में सफल हो गए थे. जयराम ठाकुर की वोट प्रतिशतता 53.38 की तुलना में 56.27 प्रतिशत हो गई, जबकि कांग्रेस को 5 प्रतिशत का नुकसान उठाना पड़ा. 2012 के 43.42 प्रतिशत की तुलना में 2017 में कांग्रेस ने 38.44 प्रतिशत वोट हासिल किए.

जयराम ठाकुर का जीवन परिचय: जयराम ठाकुर हिमाचल भाजपा के प्रमुख नेताओं में शुमार रहे हैं, जिन्होंने राजनीतिक जीवन की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) और युवा मोर्चा करते हुए प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष और अध्यक्ष रहे तक का सफर भी तय किया. एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले जयराम ठाकुर के पिता स्वर्गीय जेठूराम पेशे से मिस्त्री का काम करते थे. जयराम का सारा बचपन गरीबी में रहा लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री शाांता कुमार के कारण राजनीतिक में कूद गए और आज हिमाचल प्रदेश केे मुख्यमंत्री पद पर आसीन हैं.

कौन ‌हैं चेतराम: चेतराम ठाकुर (उम्र 62 वर्ष) पूर्व कांग्रेस सरकार में दो बार रहे मिल्फैड के चेयरमैन बन चुके हैं. सराज विधानसभा क्षेत्र जो पहले च्चयौट विधानसभा क्षेत्र थी से चेतराम ठाकुर दो बार कांग्रेस पार्टी से टिकट लेकर विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन दोनों बार वर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से हार चुके हैं. पिता का नाम स्वर्गीय शिवदयाल के घर जंजैहली समीप रैलचौक में छह अक्टूबर 1960 को जन्मे बचपन से ही राजनीति में आना चाहते थे. चेतराम ठाकुर ने सिविल इंजीनियरिंग और बीए की पढ़ाई कर नौकरी लगना ठीक नहीं समझा और 30 वर्ष की आयु में ही राजनीति में कूद पड़े थे.

1990 से राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं चेतराम: चेतराम ठाकुर 1990 से राजनीति में सक्रिय हैं. चेतराम ठाकुर पहली बार 1991 में पंचायत प्रधान बने 1995 में बीडीसी का चुनाव लड़ा था और दो जगह रोड पंचायत समिति और ब्रयोगी पंचायत समिति से चुनाव लड़ान था. दोनों जगह से जीत हासिल की जिसके बाद वे बीडीसी चैयरमेन बने थे. 2003 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था लेकन जयराम ठाकुर से हार मिली थी. चेतराम ठाकुर ने 2003 में कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ा था. इस विधानसभा के चुनाव चेतराम ठाकुर तीसरे नम्बर पर रहे थे जिसके बाद चेतराम को कांग्रेस पार्टी ने टिकट नहीं दिया था.

2017 में फिर कांग्रेस पार्टी ने फिर चेतराम ठाकुर पर दांव खेला था लेकिन करीब 12 हजार वोटों से जयराम से चुनाव हार गए थे.
चेतराम ठाकुर को विधानसभा चुनाव 2007 और 2012 में कांग्रेस का टिकट नहीं मिला इनकी जगह अन्य उम्मीदवारों को कांग्रेस पार्टी ने टिकट दिया था जिसमें भी कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा था. अब 2022 के चुनावों में प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के सामने चुनाव लड़ने जा रहे हैं. कांग्रेस के मोतीराम ठाकुर के 1998 में चुनाव हार के बाद कांग्रेस यहां वापसी नहीं कर पाई. उनके निधन के बाद से ही जयराम ठाकुर लगातार चुनाव जीत रहे हैं.

करोड़पति हैं जयराम ठाकुर : भाजपा उम्मीदवार के अपना नामांकन पत्र भरने वाले जयराम ठाकुर छह करोड़ से अधिक संपति के मालिक हैं. उनकी चल एवं अचल संपति करीब 6.28 करोड़ है. जयराम ठाकुर की धर्मपत्नी साधना ठाकुर भी करोड़पति हैं. वहीं उनकी दोनों बेटियों के नाम 44-44 लाख की चल संपति है. जयराम ठाकुर ने नामांकन पत्रों के साथ दाखिल किए गए चुनावी हलफनामे में अपने पास 1.79 करोड़, पत्नी के पास 1.28 करोड़ और पहली बेटी के नाम 44.34 लाख और दूसरी बेटी के नाम 44.59 लाख की चल संपति होने की घोषणा की है.

इसमें उनकी बैंक जमा एवं नकदी भी शामिल है. मुख्यमंत्री के पास सेविंग के नाम पर 10 पॉलिसियां हैं. इसके अलावा तीन सोने की चेन, जिनकी कीमत तीन लाख 10 हजार है, जबकि उनकी पत्नी के पास 17 लाख की कीमत का 375 ग्राम सोना है. हलफनामे के अनुसार मुख्यमंत्री की अचल संपति 1.79 करोड़ और उनकी पत्नी की 52.50 लाख है. इसमें मंडी जिला के थुनाग में कृषि व गैर कृषि जमीन, मंडी में ही सात बिस्वा में बना एक घर भी जयराम ठाकुर के नाम पर है. मुख्यमंत्री ने अपने घर का मौजूदा बाजार मूल्य 65 लाख रुपये बताया है. शिमला में भी एक घर है, जो मुख्यमंत्री और उनकी पत्नी दोनों के नाम पर है. मुख्यमंत्री के ऊपर 26 लाख 88 हजार 280 रुपये का हाउस लोन है, जिसे उन्होंने विधानसभा से लिया है. वितीय वर्ष 2021-22 में मुख्यमंत्री ने 28 लाख 69 हज़ार 90 रुपये और उनकी धर्मपत्नी ने 32 लाख 76 हज़ार 28 रुपये का आयकर भरा है.

चेतराम की संपत्ति का ब्यौरा: 62 वर्षीय चेतराम की चल एवं अचल संपति करीब 1.14 करोड़ रुपये है. चुनावी हलफनामे के मुताबिक चेतराम के नाम 84 लाख की अचल संपत्ति है. इसमें 14-14-9 बीघा जमीन और दो घर शामिल हैं. वहीं उनके परिवार के नाम 29.41 लाख की चल संपत्ति है. चेतराम के पास नामांकन के दौरान 1.20 लाख की नकदी सहित विभिन्न बैंकों में 9.95 लाख की चल संपति है. उनके पास 4 लाख कीमत की एक टवेरा गाड़ी भी है. उनकी पत्नी के नाम 12.46 लाख की चल संपति है. वहीं आश्रित की चल संपति सात लाख है. चेतराम पर 9.64 लाख और उनके आश्रित पर 7 लाख की देनदारियां हैं.

सराज सीट पर मतदाता: कहने को तो सराज विधानसभा क्षेत्र में कुल 83957 वोटर हैं जिसमें से पुरुष मतदाताओं की तादाद 43,216 और महिला वोटर्स की संख्या 40,741 है. वहीं 55 फीसदी सवर्म के होने से यहां हमेशा ही ठाकुर समुदाय ही कब्जा करने में सफल रहे. पहले मोतीराम ठाकुर उसके बाद जयराम ठाकुर दोनों बड़ी पार्टियां ने हमेशा ठाकुर समुदाय से ताल्लुक रखने वाले को ही टिकट आवंटित किया है.


Last Updated : Nov 8, 2022, 7:48 PM IST
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