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5 दिन तक चलेगी अरबों के खजाने से भरी कमरूनाग झील की सफाई, आपस में बात नहीं करेंगे देवलू

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Published : Jul 2, 2019, 11:41 AM IST

कमरूनाग झील की सफाई कार्य शुरू हो गया है. पांच दिनों तक चलने वाले इस सफाई कार्य के दौरान काम में लगे लोग आपस में बातचीत नहीं करेंगे.

कमरूनाग झील की सफाई

मंडी: अरबों रुपये से भरी पड़ी कमरूनाग झील की सफाई कार्य शुरू हो गया है. पांच दिनों तक चलने वाले इस सफाई कार्य के दौरान काम में लगे लोग आपस में बातचीत नहीं करेंगे. इस झील में हर साल श्रद्धालु श्रद्धा के अनुसार सोना चांदी व नकदी चढ़ाते हैं. जिसे झील से निकाला नहीं जाता है.

ये भी पढ़े: राजभवन के इस टेबल पर भुट्टो को झुकाया था इंदिरा ने, शिमला में जगह-जगह ताजा हैं समझौते की यादें

जानकारी के अनुसार शिकारी देवी से लौटने के बाद बड़ा देव कमरूनाग की मूर्ति को नजरबंद कर (लेप लगाकर) देवता की पवित्र झील के देवता को जगाया गया. देवता के गूर ने रात के अंधेरे में झील की परिक्रमा की और कमरूनाग झील के देवता को पुकारने के बाद देवता के देवलू को 'खेल' आ गई.

kamrunag lake
कमरूनाग झील की सफाई

जिसके बाद 'खेल' कर रहे देवलू में प्रकट हुए झील देवता से बड़ा देव कमरूनाग के गूर ने बात की और हार द्वार की रक्षा करने का आशीर्वाद लिया. जाग के बाद रविवार सुबह कमरूनाग झील की सफाई का काम शुरू किया गया. हर तीन साल बाद कमरूनाग झील की सफाई का काम होता है. इस साल देवता का नया सूरजपखा भी बनाया गया है, जो लगातार 5 दिन देव कमरूनाग मंदिर में विराजमान रहेगा.

ये भी पढ़े: दुकान में चोरी करते रंगे हाथ पकड़ाया चोर, महिला दुकानदार ने की छित्तर परेड

पंचायत प्रधान मान सिंह ने झील की सफाई का काम शुरू होने की पुष्टि की है. कारदार निर्मल सिंह ठाकुर ने बताया कि झील की सफाई के दौरान झील आपस में कोई भी बात नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि इशारों में झील की सफाई के दौरान बात होगी.

देवता की पवित्र झील की सफाई के लिए भारी संख्या में लोग कमरूनाग पहुंच गए हैं. देवता की पवित्र झील में स्नान नहीं किया जाता है बल्कि इसमें लोग मन्नत पूरी होने पर सोना, चांदी और सिक्के चढ़ाते हैं. हर तीन साल बाद देवता की पवित्र झील की सफाई होती है. इस दौरान देवलू झील में प्रवेश करते हैं.

kamrunag lake
कमरूनाग झील की सफाई

आगामी पांच दिन तक कमरूनाग में झील की सफाई के लिए भारी संख्या में भक्तों के पहुंचने का अंदेशा हैं. देवता का नया सूरजपखा भी मंदिर में विराजमान है. जिसके दर्शनों के लिए भी लोग देवता के मंदिर में जमकर हाजिरी लगा रहे हैं.

मंडी: अरबों रुपये से भरी पड़ी कमरूनाग झील की सफाई कार्य शुरू हो गया है. पांच दिनों तक चलने वाले इस सफाई कार्य के दौरान काम में लगे लोग आपस में बातचीत नहीं करेंगे. इस झील में हर साल श्रद्धालु श्रद्धा के अनुसार सोना चांदी व नकदी चढ़ाते हैं. जिसे झील से निकाला नहीं जाता है.

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जानकारी के अनुसार शिकारी देवी से लौटने के बाद बड़ा देव कमरूनाग की मूर्ति को नजरबंद कर (लेप लगाकर) देवता की पवित्र झील के देवता को जगाया गया. देवता के गूर ने रात के अंधेरे में झील की परिक्रमा की और कमरूनाग झील के देवता को पुकारने के बाद देवता के देवलू को 'खेल' आ गई.

kamrunag lake
कमरूनाग झील की सफाई

जिसके बाद 'खेल' कर रहे देवलू में प्रकट हुए झील देवता से बड़ा देव कमरूनाग के गूर ने बात की और हार द्वार की रक्षा करने का आशीर्वाद लिया. जाग के बाद रविवार सुबह कमरूनाग झील की सफाई का काम शुरू किया गया. हर तीन साल बाद कमरूनाग झील की सफाई का काम होता है. इस साल देवता का नया सूरजपखा भी बनाया गया है, जो लगातार 5 दिन देव कमरूनाग मंदिर में विराजमान रहेगा.

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पंचायत प्रधान मान सिंह ने झील की सफाई का काम शुरू होने की पुष्टि की है. कारदार निर्मल सिंह ठाकुर ने बताया कि झील की सफाई के दौरान झील आपस में कोई भी बात नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि इशारों में झील की सफाई के दौरान बात होगी.

देवता की पवित्र झील की सफाई के लिए भारी संख्या में लोग कमरूनाग पहुंच गए हैं. देवता की पवित्र झील में स्नान नहीं किया जाता है बल्कि इसमें लोग मन्नत पूरी होने पर सोना, चांदी और सिक्के चढ़ाते हैं. हर तीन साल बाद देवता की पवित्र झील की सफाई होती है. इस दौरान देवलू झील में प्रवेश करते हैं.

kamrunag lake
कमरूनाग झील की सफाई

आगामी पांच दिन तक कमरूनाग में झील की सफाई के लिए भारी संख्या में भक्तों के पहुंचने का अंदेशा हैं. देवता का नया सूरजपखा भी मंदिर में विराजमान है. जिसके दर्शनों के लिए भी लोग देवता के मंदिर में जमकर हाजिरी लगा रहे हैं.

Intro:मंडी। अरबों रुपये से भरी पड़ी कमरूनाग झील का सफाई कार्य शुरू हो गया है। पांच दिनों तक चलने वाले इस सफाई कार्य के दौरान काम में लगे लोग आपस में बातचीत नहीं करेंगे। इस झील में हर साल श्रद्धालु श्रद्धा के अनुसार सोना चांदी व नकदी चढ़ाते हैं। जिसे झील से निकालने की हिम्‍मत आज दिन तक नहीं की है।
Body:शिकारी देवी से लौटने के बाद बड़ा देव कमरुनाग की मूर्ति को नजरबंद कर (लेप लगाकर) देवता की पवित्र झील के देवता को जगाया गया। देवता के गूर ने रात के अंधेरे में झील की परिक्रमा की और कमरुनाग झील के देवता को पुकारने के बाद देवता के देवलू को खेल आ गई। जिसके बाद खेल कर रहे देवलू में प्रकट हुए झील देवता से बड़ा देव कमरुनाग के गूर ने बात की और हार द्वार की रक्षा करने का आशीर्वाद लिया। जाग के बाद रविवार सुबह कमरुनाग झील की सफाई का काम शुरू किया गया। हर तीन साल बाद कमरुनाग झील की सफाई का काम होता है। इस साल देवता का नया सूरजपखा भी बनाया गया है। जो लगातार 5 दिन देव कमरुनाग मंदिर में विराजमान रहेगा। पंचायत प्रधान मान सिंह ने झील की सफाई का काम शुरू होने की पुष्टि की है। कारदार निर्मल सिंह ठाकुर ने बताया कि झील की सफाई के दौरान झील में गए लोग आपस मे कोई बात नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि इशारों में झील की सफाई के दौरान बात होगी। देवता की पवित्र झील की सफाई के लिए भारी संख्या में लोग कमरुनाग पहुंच गए हैं। देवता की पवित्र झील में स्नान नहीं किया जाता है, बल्कि इसमें लोग मन्नत पूरी होने पर सोना, चांदी और सिके चढ़ाते हैं। हर तीन साल बाद देवता की पवित्र झील की सफाई होती है। इस दौरान देवलू झील में प्रवेश करते हैं। Conclusion:आगामी पांच दिन तक कमरुनाग में झील की सफाई के लिए भारी संख्या में भक्तों के पहुंचने का अंदेशा हैं। देवता का नया सूरजपखा भी मंदिर में विराजमान है। जिसके दर्शनों के लिए भी लोग देवता के मंदिर में जमकर हाजरी भर रहे हैं।

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