मंडी: अरबों रुपये से भरी पड़ी कमरूनाग झील की सफाई कार्य शुरू हो गया है. पांच दिनों तक चलने वाले इस सफाई कार्य के दौरान काम में लगे लोग आपस में बातचीत नहीं करेंगे. इस झील में हर साल श्रद्धालु श्रद्धा के अनुसार सोना चांदी व नकदी चढ़ाते हैं. जिसे झील से निकाला नहीं जाता है.
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जानकारी के अनुसार शिकारी देवी से लौटने के बाद बड़ा देव कमरूनाग की मूर्ति को नजरबंद कर (लेप लगाकर) देवता की पवित्र झील के देवता को जगाया गया. देवता के गूर ने रात के अंधेरे में झील की परिक्रमा की और कमरूनाग झील के देवता को पुकारने के बाद देवता के देवलू को 'खेल' आ गई.
जिसके बाद 'खेल' कर रहे देवलू में प्रकट हुए झील देवता से बड़ा देव कमरूनाग के गूर ने बात की और हार द्वार की रक्षा करने का आशीर्वाद लिया. जाग के बाद रविवार सुबह कमरूनाग झील की सफाई का काम शुरू किया गया. हर तीन साल बाद कमरूनाग झील की सफाई का काम होता है. इस साल देवता का नया सूरजपखा भी बनाया गया है, जो लगातार 5 दिन देव कमरूनाग मंदिर में विराजमान रहेगा.
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पंचायत प्रधान मान सिंह ने झील की सफाई का काम शुरू होने की पुष्टि की है. कारदार निर्मल सिंह ठाकुर ने बताया कि झील की सफाई के दौरान झील आपस में कोई भी बात नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि इशारों में झील की सफाई के दौरान बात होगी.
देवता की पवित्र झील की सफाई के लिए भारी संख्या में लोग कमरूनाग पहुंच गए हैं. देवता की पवित्र झील में स्नान नहीं किया जाता है बल्कि इसमें लोग मन्नत पूरी होने पर सोना, चांदी और सिक्के चढ़ाते हैं. हर तीन साल बाद देवता की पवित्र झील की सफाई होती है. इस दौरान देवलू झील में प्रवेश करते हैं.
आगामी पांच दिन तक कमरूनाग में झील की सफाई के लिए भारी संख्या में भक्तों के पहुंचने का अंदेशा हैं. देवता का नया सूरजपखा भी मंदिर में विराजमान है. जिसके दर्शनों के लिए भी लोग देवता के मंदिर में जमकर हाजिरी लगा रहे हैं.