करसोग/मंडी: पहले ही मौसम की मार झेल रहे हजारों किसानों की मुश्किलें मक्की की फसल पर आर्मी वर्म अटैक से और बढ़ गई हैं. ऐसे में सूखे और फिर तूफान की मार झेल है किसानों के सामने नया संकट खड़ा हो गया है.
उपमंडल करसोग के विभिन्न क्षेत्रों में मक्की की फसल में आर्मी वर्म (एक प्रकार का कीड़ा) अटैक की शिकायतें किसानों से मिली हैं. इस कीट ने मक्की की पत्तियों को काटकर फसल को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है. किसान तरह तरह की स्प्रे कर थक चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी कीट लगातार फसल को नुकसान पहुंचा रहा है, जिससे किसानों के सामने मक्की की फसल को बचाने का बड़ा संकट पैदा हो गया है.
उपमंडल के घैणी शैदल पंचायत सहित कई अन्य पंचायतों से किसानों ने कृषि विभाग से फसल को बचाने के लिए फील्ड में आकर उपाय बताए जाने की गुहार लगाई है. घैणी शैदल पंचायत के अधिकतर क्षेत्रों में आर्मी वर्म के अटैक ने मक्की के पूरे खेत तबाह कर दिए हैं. ऐसे में यहां किसानों के चेहरे मुरझा गए हैं और उपाय के लिए कृषि विभाग से उम्मीद लगाए बैठे हैं.
हालांकि कृषि विभाग ने फील्ड अधिकारियों को नुकसान का आंकलन करने और किसानों को स्प्रे शेड्यूल को लेकर जानकारी उपलब्ध करवाए जाने के निर्देश जारी किए हैं. कृषि विभाग विकासखंड करसोग के मुताबिक इस बार खरीफ सीजन में उपमंडल के विभिन्न क्षेत्रों में 3700 हेक्टेयर में मक्की की बिजाई की गई है. जिसमें करीब 370 हेक्टेयर में मक्की की फसल पर आर्मी वर्म का अटैक हुआ है. समय रहते सही तरह से छिड़काव नहीं किया गया तो मक्की की फसल को और अधिक नुकसान हो सकता है.
क्या होता है आर्मी वर्म
मक्का की फसल में लगने वाला आर्मी वर्म एक कीट होता है, जो कि फसल को काफी नुकसान पहुंचा सकता है. इस कीट का लार्वा मक्के के छोटे पौधों के तनों में अंदर घुस जाता है और अपना भोजन प्राप्त करता है. इसकी पहचान पत्तियों में छिद्र होने से की जा सकती है. ये लक्षण दिखने पर किसानों को तुरंत प्रभाव से उपचार शुरू करना चाहिए.
कृषि विभाग विकासखंड करसोग की विषय वार्ता विशेषज्ञ डॉ. मीना का कहना है कि मक्की की फसल में आर्मी वर्म का अटैक हुआ है. इस बारे में किसानों के शिकायतें भी मिली हैं. आर्मी वर्म को रोकथाम के किसान मक्की की फसल में एक लीटर पानी में एक मिलीलीटर क्लोरोपायरीफॉस का छिड़काव करें. फील्ड अधिकारियों को भी किसानों को जानकारी देने के निर्देश जारी किए गए हैं.