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विश्लेषणः सुखराम परिवार को जनता ने दिखाया आईना, पहली बार मंडी सदर में खाई मात

पंडित सुखराम ने लोकसभा चुनाव हारा भी है, लेकिन मंडी सदर से उन्हें हमेशा बढ़त मिली है. इस बार के इलेक्शन में मोदी और जयराम की लहर का कहर इस कदर टूटा कि उनके पोते कांग्रेस उम्मीदवार आश्रय शर्मा मंडी सदर से ही बुरी तरह से पिट गए.

सुखराम
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Published : May 25, 2019, 6:39 PM IST

मंडीः 1962 से चुनावी राजनीति में डटे पंडित सुखराम के परिवार के लिए लोक सभा चुनाव 2019 वाटरलू साबित हुआ. पंडित सुखराम या उनके बेटे अनिल शर्मा मंडी सदर से जीतते आए हैं. पंडित सुखराम खुद बार-बार इसका जिक्र करते रहे हैं कि वो मंडी सदर से चुनाव नहीं हारे, लेकिन इस बार सब उलट हो गया.

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पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम (फाइल)

पंडित सुखराम ने लोकसभा चुनाव हारा भी है, लेकिन मंडी सदर से उन्हें हमेशा बढ़त मिली है. इस बार के इलेक्शन में मोदी और जयराम की लहर का कहर इस कदर टूटा कि उनके पोते कांग्रेस उम्मीदवार आश्रय शर्मा मंडी सदर से ही बुरी तरह से पिट गए. मंडी सदर से भाजपा ने कांग्रेस के उम्मीदवार को लगभग 27491 मतों के अंतर से मात दी. यहां तक कि मंडी सदर के 104 मतदान केंद्रों में से केवल 1 ही बूथ कोटली वन में आश्रय को 201 बढ़त मिली. जबकि बाकि 103 बूथों पर भाजपा को ही बढ़त मिली.

sukhram
पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम (फाइल)

मंडी सदर को पंडित सुखराम गढ़ समझा जाता था, लेकिन इस बार तो पंडित सुखराम के बूथ समखेतर (73) से भी आश्रय शर्मा को बढ़त नहीं मिल सकी. पंडित सुखराम, अनिल शर्मा और खुद कांग्रेस उम्मीदवार आश्रय शर्मा ने अपने परिवार के साथ इसी बूथ पर वोट डाला था. इस बूथ से भाजपा उम्मीदवार रामस्वरूप शर्मा 260 वोट ले गए, जबकि कांग्रेस के आश्रय को महज 120 वोट ही मिले.

बीरबल शर्मा, राजनीतिक विश्लेषक

बार-बार पंडित सुखराम ये भी दावा करते रहे हैं कि 2017 में उनके कारण ही भाजपा ने जिले में सभी सीटें जीती और प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने में मदद मिली, लेकिन लोकसभा चुनाव के नतीजों ने उनके दावों को कहीं न कहीं असलीयत दिखाई है.

मंडीः 1962 से चुनावी राजनीति में डटे पंडित सुखराम के परिवार के लिए लोक सभा चुनाव 2019 वाटरलू साबित हुआ. पंडित सुखराम या उनके बेटे अनिल शर्मा मंडी सदर से जीतते आए हैं. पंडित सुखराम खुद बार-बार इसका जिक्र करते रहे हैं कि वो मंडी सदर से चुनाव नहीं हारे, लेकिन इस बार सब उलट हो गया.

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पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम (फाइल)

पंडित सुखराम ने लोकसभा चुनाव हारा भी है, लेकिन मंडी सदर से उन्हें हमेशा बढ़त मिली है. इस बार के इलेक्शन में मोदी और जयराम की लहर का कहर इस कदर टूटा कि उनके पोते कांग्रेस उम्मीदवार आश्रय शर्मा मंडी सदर से ही बुरी तरह से पिट गए. मंडी सदर से भाजपा ने कांग्रेस के उम्मीदवार को लगभग 27491 मतों के अंतर से मात दी. यहां तक कि मंडी सदर के 104 मतदान केंद्रों में से केवल 1 ही बूथ कोटली वन में आश्रय को 201 बढ़त मिली. जबकि बाकि 103 बूथों पर भाजपा को ही बढ़त मिली.

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पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम (फाइल)

मंडी सदर को पंडित सुखराम गढ़ समझा जाता था, लेकिन इस बार तो पंडित सुखराम के बूथ समखेतर (73) से भी आश्रय शर्मा को बढ़त नहीं मिल सकी. पंडित सुखराम, अनिल शर्मा और खुद कांग्रेस उम्मीदवार आश्रय शर्मा ने अपने परिवार के साथ इसी बूथ पर वोट डाला था. इस बूथ से भाजपा उम्मीदवार रामस्वरूप शर्मा 260 वोट ले गए, जबकि कांग्रेस के आश्रय को महज 120 वोट ही मिले.

बीरबल शर्मा, राजनीतिक विश्लेषक

बार-बार पंडित सुखराम ये भी दावा करते रहे हैं कि 2017 में उनके कारण ही भाजपा ने जिले में सभी सीटें जीती और प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने में मदद मिली, लेकिन लोकसभा चुनाव के नतीजों ने उनके दावों को कहीं न कहीं असलीयत दिखाई है.

Intro:मंडी। 1962 से चुनावी राजनीति में डटे हुए पंडित सुखराम के परिवार के लिए लोक सभा चुनाव 2019 वाटर लू साबित हुआ। पंडित सुखराम या उनका बेटा अनिल 1962 से लेकर आज दिन तक मंडी सदर से जीत हासिल करते रहे हैं। पंडित सुख राम बार बार इसका जिक्र करते हैं कि वह कभी भी मंडी सदर से चुनाव
नहीं हारे, लेकिन इस बार सब उलट हो गया।


Body:पंडित सुखराम यह भी दावा करते रहे हैं कि वर्ष 2017 में उनके कारण ही भाजपा ने जिले में सभी सीटें जीती व भाजपा की सरकार बनाने में मदद की, लेकिन उनकी संचार क्रांति का जादू मंडी संसदीय क्षेत्र में कहीं भी देखने को नहीं मिल पाया है। अब मंडी सदर की ही बात करें तो पंडित सुख राम ने एक लोकसभा चुनाव हारा भी मगर इसके बावजूद मंडी सदर से उन्हें हमेशा बढ़त मिली। मगर इस बार मोदी व जय राम की लहर का कहर इस कद्र टूटा कि उनके पोते कांग्रेस उम्मीदवार आश्रय शर्मा मंडी सदर से ही बुरी तरह से पिट गए। मंडी सदर भाजपा ने कांग्रेस के उम्मीदवार को लगभग 27491 मतों के अंतर से मात दी। यहां तक कि मंडी सदर के 104 मतदान केंद्रों में से केवल 1 ही बूथ कोटली वन में आश्रय को 201 बढ़त मिली। जबकि अन्य 103 बूथों पर भाजपा को बढ़त मिली। मंडी सदर को एक तरह से पंडित सुख राम का परिवार अपना गढ़ समझता आया है और लगातार यहां से जीतता रहा है। मगर इस बार जो हुआ वह एक नया रिकॉर्ड बन गया है। यहां तक कि पंडित सुख राम का अपना बूथ समखेतर 73 में भी कांग्रेस उम्मीदवार को बढ़त नहीं मिल सकी। पंडित सुख राम, अनिल शर्मा व कांग्रेस उम्मीदवार आश्रय शर्मा ने अपने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ इसी बूथ पर वोट डाला था। इस बूथ पर भाजपा का उम्मीदवार रामस्वरूप शर्मा
260 वोट ले गया। जबकि कांग्रेस के आश्रय को महज 120 वोट ही मिले। मंडी सदर सुखराम परिवार का अभेदय गढ़ रहा है, पहली बार इस कद्र टूटा है कि शायद ही किसी ने ऐसी कल्पना भी की होगी।


Conclusion:बता दें कि मंडी सदर से अभी अनिल शर्मा भाजपा के विधायक हैं। लोकसभा चुनाव के बीच उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दिया है।
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