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IIT मंडी के शोधकर्ताओं ने विकसित की एल्गोरिदम, गाड़ियो के इंटर्नल कम्बशन इंजन की मिलेगी रीयल टाइम जानकारी - स्पार्क-इग्निशन इंजन के डायनेमिक्स

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के शोधकर्ताओं ने बेंगलुरु के रॉबर्ट बॉश इंजीनियरिंग एंड बिजनेस सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के साथ एक एल्गोरिदम का विकास किया है, जो गाड़ियों के इंटर्नल कम्बशन (आईसी) इंजन के कार्यों की रीयल टाइम जानकारी देगा. आमतौर पर पूरी दुनिया के 99.8 प्रतिशत वाहन पेट्रोल और डीजल से चलते हैं और इस तरह दुनिया का लगभग 10 प्रतिशत ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन करते हैं.

algorithm developed for real time feed of internal Combustion of vehicle by iit mandi scholars
IIT मंडी के शोधकर्ताओं ने विकसित की एल्गोरिदम
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Published : Apr 5, 2021, 7:51 PM IST

मंडीः भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के शोधकर्ताओं ने बेंगलुरु के रॉबर्ट बॉश इंजीनियरिंग एंड बिजनेस सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के साथ एक एल्गोरिदम का विकास किया है, जो गाडि़यों के इंटर्नल कम्बशन (आईसी) इंजन के कामों की रीयल टाइम जानकारी देगा, ताकि उनके परिचालन को अधिक अनुकूल बनाकर न्यूनतम उत्सर्जन का लक्ष्य पूरा हो सके.

आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ कंप्यूटिंग एवं इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. तुषार जैन ने इंटरनेशनल जर्नल ऑफ सिस्टम्स साइंस, टेलर एंड फ्रांसिस में यह शोध कार्य प्रकाशित किया है. डॉ. जैन और उनकी रिसर्च स्काॅलर व्योमा सिंह के साथ-साथ बेंगलुरु के रॉबर्ट बॉश इंजीनियरिंग एंड बिजनेस सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के डॉ. विरुपाक्ष पाल इस शोधपत्र के सह-लेखक हैं.

पेट्रोल और डीजल से चलते हैं 99.8 प्रतिशत वाहन

आमतौर पर पूरी दुनिया के 99.8 प्रतिशत वाहन पेट्रोल और डीजल से चलते हैं और इस तरह दुनिया का लगभग 10 प्रतिशत ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन करते हैं. हालांकि इनके विकल्प जैसे बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन और अन्य इंधन जैसे बायोफ्यूल और हाइड्रोजन का भी इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन उनका इस्तेमाल अक्सर पारंपरिक आई सी इंजन के साथ होता है. इसलिए आईसी इंजन के डिजाइन का इस तरह अनुकूलन जरूरी है कि इंजन के पूरे लाइफस्पैन में यह सबसे अधिक ईंधन सक्षम हो और कम से कम उत्सर्जन करे. डॉक्टर जैन ने बताया कि इंजन के काम और वाहन के अंदर अन्य डिवाइस/सिस्टम के काम की रीयल-टाइम सटीक जानकारी आवश्यक है. इसके लिए हमें इंजन के कई महत्वपूर्ण मानकों पर सूचना चाहिए.

रिकर्सिव लीस्ट-स्क्वायर्स मैथमेटिकल टेक्निक पर आधारित

प्रस्तावित एल्गोरिदम अनसेंटेड कॉलमन फिल्टर और रिकर्सिव लीस्ट-स्क्वायर्स मैथमेटिकल टेक्निक पर आधारित है, जो इंजन के डायनामिक और मानकों का सटीक अनुमान देती है. शोधकर्ताओं ने उनकी पद्धति के कार्य प्रदर्शन का मानक देने के लिए इसका तुलनात्मक अध्ययन अत्याधुनिक अनुमान पद्धतियों से किया है. प्रस्तावित पद्धति की संख्यात्मक स्थिरता और मजबूती का मोंटे कार्लो सिमुलेशन के माध्यम से गहन विश्लेषण किया गया और अन्य पद्धतियों से बेहतर पाया गया.

शोधकर्ता स्पार्क-इग्निशन इंजन के डायनेमिक्स का अनुमान लेने में सफल रहे हैं जैसे इनटेक मैनीफोल्ड प्रेशर, इंजन स्पीड और थ्राॅटल से गुजरते एयर फ्लो रेट के साथ-साथ इंजन के मानकों के अनुमान जो कथित डायनामिक्स का सटीक निर्धारण करते हैं. नए विकसित एल्गोरिदम को प्रोग्राम किया जा सकता है और यह वाहनों में लगे इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट (ईसीयू) का हिस्सा बन सकता है. आईआईटी मंडी टीम ने जो एल्गोरिदम बनाई है, वह आईसी इंजन की ऑनबोर्ड मॉनिटरिंग और कंट्रोल में मदद करेगा. इसकी मदद से अन्य वेरिएबल का भी निर्धारण किया जा सकता है जैसे बैटरी चालित वाहनों में स्टेट ऑफ चार्ज (एसओसी) की रियल टाइम जानकारी प्राप्त करना.

ये भी पढ़ें- धर्मशाला के विकास के लिए नगर निगम में बीजेपी की सरकार बनानी होगी: अनुराग ठाकुर

मंडीः भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के शोधकर्ताओं ने बेंगलुरु के रॉबर्ट बॉश इंजीनियरिंग एंड बिजनेस सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के साथ एक एल्गोरिदम का विकास किया है, जो गाडि़यों के इंटर्नल कम्बशन (आईसी) इंजन के कामों की रीयल टाइम जानकारी देगा, ताकि उनके परिचालन को अधिक अनुकूल बनाकर न्यूनतम उत्सर्जन का लक्ष्य पूरा हो सके.

आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ कंप्यूटिंग एवं इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. तुषार जैन ने इंटरनेशनल जर्नल ऑफ सिस्टम्स साइंस, टेलर एंड फ्रांसिस में यह शोध कार्य प्रकाशित किया है. डॉ. जैन और उनकी रिसर्च स्काॅलर व्योमा सिंह के साथ-साथ बेंगलुरु के रॉबर्ट बॉश इंजीनियरिंग एंड बिजनेस सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के डॉ. विरुपाक्ष पाल इस शोधपत्र के सह-लेखक हैं.

पेट्रोल और डीजल से चलते हैं 99.8 प्रतिशत वाहन

आमतौर पर पूरी दुनिया के 99.8 प्रतिशत वाहन पेट्रोल और डीजल से चलते हैं और इस तरह दुनिया का लगभग 10 प्रतिशत ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन करते हैं. हालांकि इनके विकल्प जैसे बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन और अन्य इंधन जैसे बायोफ्यूल और हाइड्रोजन का भी इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन उनका इस्तेमाल अक्सर पारंपरिक आई सी इंजन के साथ होता है. इसलिए आईसी इंजन के डिजाइन का इस तरह अनुकूलन जरूरी है कि इंजन के पूरे लाइफस्पैन में यह सबसे अधिक ईंधन सक्षम हो और कम से कम उत्सर्जन करे. डॉक्टर जैन ने बताया कि इंजन के काम और वाहन के अंदर अन्य डिवाइस/सिस्टम के काम की रीयल-टाइम सटीक जानकारी आवश्यक है. इसके लिए हमें इंजन के कई महत्वपूर्ण मानकों पर सूचना चाहिए.

रिकर्सिव लीस्ट-स्क्वायर्स मैथमेटिकल टेक्निक पर आधारित

प्रस्तावित एल्गोरिदम अनसेंटेड कॉलमन फिल्टर और रिकर्सिव लीस्ट-स्क्वायर्स मैथमेटिकल टेक्निक पर आधारित है, जो इंजन के डायनामिक और मानकों का सटीक अनुमान देती है. शोधकर्ताओं ने उनकी पद्धति के कार्य प्रदर्शन का मानक देने के लिए इसका तुलनात्मक अध्ययन अत्याधुनिक अनुमान पद्धतियों से किया है. प्रस्तावित पद्धति की संख्यात्मक स्थिरता और मजबूती का मोंटे कार्लो सिमुलेशन के माध्यम से गहन विश्लेषण किया गया और अन्य पद्धतियों से बेहतर पाया गया.

शोधकर्ता स्पार्क-इग्निशन इंजन के डायनेमिक्स का अनुमान लेने में सफल रहे हैं जैसे इनटेक मैनीफोल्ड प्रेशर, इंजन स्पीड और थ्राॅटल से गुजरते एयर फ्लो रेट के साथ-साथ इंजन के मानकों के अनुमान जो कथित डायनामिक्स का सटीक निर्धारण करते हैं. नए विकसित एल्गोरिदम को प्रोग्राम किया जा सकता है और यह वाहनों में लगे इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट (ईसीयू) का हिस्सा बन सकता है. आईआईटी मंडी टीम ने जो एल्गोरिदम बनाई है, वह आईसी इंजन की ऑनबोर्ड मॉनिटरिंग और कंट्रोल में मदद करेगा. इसकी मदद से अन्य वेरिएबल का भी निर्धारण किया जा सकता है जैसे बैटरी चालित वाहनों में स्टेट ऑफ चार्ज (एसओसी) की रियल टाइम जानकारी प्राप्त करना.

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