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'तुंगल के शेर' का सपना ध्वस्त! सुखराम का अनुभव और आश्रय का जोश नहीं आया कांग्रेस के काम

लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी ने हिमाचल में इतिहास रच दिया है. चारों सीटों पर करीब साढ़े तीन लाख के मार्जिन से भाजपा प्रत्याशी जीते हैं.

पंडित सुखराम (फाइल फोटो)
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Published : May 24, 2019, 8:00 PM IST

Updated : May 24, 2019, 8:41 PM IST

शिमला: लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी ने हिमाचल में इतिहास रच दिया है. चारों सीटों पर करीब साढ़े तीन लाख के मार्जिन से भाजपा प्रत्याशी जीते हैं. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मंडी सीट खूब चर्चाओं में आ गई थी. इस सीट पर कांग्रेस से भाजपा में आया सुखराम परिवार एक बार फिर पलटी मार कर कांग्रेस में शामिल हो गया था और सुखराम के पोते आश्रय ने कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ा.

मंडी सीट पर एक टाइम था जब कांग्रेस का दबदबा था और सुखराम और वीरभद्र सिंह यहां से जीतते रहे, लेकिन अब इस सीट पर लगातार दो बार भाजपा जीत चुकी है. इससे पहले भाजपा के महेश्वर सिंह इस सीट से 1989, 1998 और 1999 में जीते थे.

aashray sharma lost from mandi parliamentry seat
पंडित सुखराम (फाइल फोटो)

अपने राजनीतिक करियर में इतिहास रचने वाले पंडित सुखराम के लिए ये चुनाव बुरे सपने से कम नहीं रहा. दादा का सपना पूरा करने चुनावी मैदान में उतरे आश्रय शर्मा एक बड़े अंतर से चुनाव हारे हैं. एक समय था जब मंडी सदर से चुनाव लड़ते हुए वे अजय रहे और 13 बार चुनाव जीता. इसके साथ ही साथ ही उन्होंने लोकसभा के चुनाव भी लड़े और केंद्र में अलग-अलग मंत्री पद पर आसीन हुए. 1984 में सुखराम ने कांग्रेस के टिकट से पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था और भारी बहुमत से जीत कर संसद पहुंचे. इसके बाद 1991 और 1996 में भी लोकसभा चुनाव में जीते.

1971, 1980, 2009 में वीरभद्र सिंह मंडी संसदीय क्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़े और जीते. इसके साथ ही 2004 और 2013 के उपचुनाव में वीरभद्र सिंह की पत्नी ने यहां से लोकसभा चुनाव जीता.

इस बार इस सीट पर जयराम ठाकुर की साख दांव पर लगी थी और उनके सामने थे देश और प्रदेश के दिग्गज नेता पंडित सुखराम. चुनाव से ठीक पहले एक दूसरे के धुर विरोधी रहे वीरभद्र सिंह और सुखराम ने एक होने का दावा किया और आश्रय के लिए खूब चुनावी प्रचार किया. उधर, सीएम जयराम भी मंडी में डटे रहे और रामस्वरूप शर्मा की जीत के लिए खूब पसीना बहाया.

aashray sharma lost from mandi parliamentry seat
पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह से गले मिलते पंडित सुखराम (फाइल फोटो)

इस लोकसभा चुनाव में आश्रय को टिकट मिलने के बाद अनिल शर्मा को भी जयराम सरकार का मंत्रीपद छोड़ कर कुर्बानी देनी पड़ी. आश्रय शर्मा मंडी से चुनाव हार चुके हैं. इस सीट पर सुखराम का प्रभाव रहा है. दिग्गज नेता के राजनीतिक अनुभव कांग्रेस के काम नहीं आ पाया.

aashray sharma lost from mandi parliamentry seat
आश्रय शर्मा (फाइल फोटो)

मंडी सीट से रामस्वरूप शर्मा 6,47,189 मतों के साथ जीते हैं. आश्रय शर्मा को 2,41,730 वोट पड़े. एक बड़े मार्जिन के साथ रामस्वरूप शर्मा ने जीत दर्ज की.

शिमला: लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी ने हिमाचल में इतिहास रच दिया है. चारों सीटों पर करीब साढ़े तीन लाख के मार्जिन से भाजपा प्रत्याशी जीते हैं. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मंडी सीट खूब चर्चाओं में आ गई थी. इस सीट पर कांग्रेस से भाजपा में आया सुखराम परिवार एक बार फिर पलटी मार कर कांग्रेस में शामिल हो गया था और सुखराम के पोते आश्रय ने कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ा.

मंडी सीट पर एक टाइम था जब कांग्रेस का दबदबा था और सुखराम और वीरभद्र सिंह यहां से जीतते रहे, लेकिन अब इस सीट पर लगातार दो बार भाजपा जीत चुकी है. इससे पहले भाजपा के महेश्वर सिंह इस सीट से 1989, 1998 और 1999 में जीते थे.

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पंडित सुखराम (फाइल फोटो)

अपने राजनीतिक करियर में इतिहास रचने वाले पंडित सुखराम के लिए ये चुनाव बुरे सपने से कम नहीं रहा. दादा का सपना पूरा करने चुनावी मैदान में उतरे आश्रय शर्मा एक बड़े अंतर से चुनाव हारे हैं. एक समय था जब मंडी सदर से चुनाव लड़ते हुए वे अजय रहे और 13 बार चुनाव जीता. इसके साथ ही साथ ही उन्होंने लोकसभा के चुनाव भी लड़े और केंद्र में अलग-अलग मंत्री पद पर आसीन हुए. 1984 में सुखराम ने कांग्रेस के टिकट से पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था और भारी बहुमत से जीत कर संसद पहुंचे. इसके बाद 1991 और 1996 में भी लोकसभा चुनाव में जीते.

1971, 1980, 2009 में वीरभद्र सिंह मंडी संसदीय क्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़े और जीते. इसके साथ ही 2004 और 2013 के उपचुनाव में वीरभद्र सिंह की पत्नी ने यहां से लोकसभा चुनाव जीता.

इस बार इस सीट पर जयराम ठाकुर की साख दांव पर लगी थी और उनके सामने थे देश और प्रदेश के दिग्गज नेता पंडित सुखराम. चुनाव से ठीक पहले एक दूसरे के धुर विरोधी रहे वीरभद्र सिंह और सुखराम ने एक होने का दावा किया और आश्रय के लिए खूब चुनावी प्रचार किया. उधर, सीएम जयराम भी मंडी में डटे रहे और रामस्वरूप शर्मा की जीत के लिए खूब पसीना बहाया.

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पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह से गले मिलते पंडित सुखराम (फाइल फोटो)

इस लोकसभा चुनाव में आश्रय को टिकट मिलने के बाद अनिल शर्मा को भी जयराम सरकार का मंत्रीपद छोड़ कर कुर्बानी देनी पड़ी. आश्रय शर्मा मंडी से चुनाव हार चुके हैं. इस सीट पर सुखराम का प्रभाव रहा है. दिग्गज नेता के राजनीतिक अनुभव कांग्रेस के काम नहीं आ पाया.

aashray sharma lost from mandi parliamentry seat
आश्रय शर्मा (फाइल फोटो)

मंडी सीट से रामस्वरूप शर्मा 6,47,189 मतों के साथ जीते हैं. आश्रय शर्मा को 2,41,730 वोट पड़े. एक बड़े मार्जिन के साथ रामस्वरूप शर्मा ने जीत दर्ज की.

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Last Updated : May 24, 2019, 8:41 PM IST
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