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काढ़ा पिलाने से ठीक हुए 11 कोरोना पॉजिटिव, मरीजों को दिया गया जड़ी-बूटियों से बना काढ़ा

हिमाचल में भी अब आयुर्वेद पद्धति से कोरोना के उपचार का प्रयोग सफल साबित हुआ है. यहां दर्जनों मरीजों को सिर्फ जड़ी-बूटियों से बना काढ़ा पिलाकर ठीक कर दिया गया है.

ayurvedic treatment
आयुर्वेद पद्धति
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Published : Jun 15, 2020, 11:53 AM IST

मंडी: पूरी दुनिया इस वक्त कोविड-19 महामारी से जूझ रही है. ऐसे में बिना दवा या वैक्सीन के कोरोना पॉजिटीव आए लोगों का उपचार करना एक बड़ी चुनौती था, लेकिन हिमाचल में भी अब आयुर्वेद पद्धति से कोरोना के उपचार का प्रयोग सफल साबित हुआ है. यहां दर्जनों मरीजों को सिर्फ जड़ी-बूटियों से बना काढ़ा पिलाकर ठीक कर दिया गया है.

बता दें कि संक्रमित लोगों के उपचार के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार और आयुष मंत्रालय भी कई तरह के रिसर्च कर रहा है. इस कड़ी में आयुष मंत्रालय ने 15 अप्रैल को जारी अपने एक सर्कुलर से कोरोना पॉजिटीव आए एसिमटोमैटिक मरीजों को आयुर्वेद विभाग के माध्यम से मधुयष्टियादि कषाय यानि काढ़ा पिलाने के निर्देश दिए थे, जिसके नतीजे अब सकारात्मक आने शुरू हो गए हैं. हिमाचल में भी पिछले एक महीने से यह प्रयोग चल रहा है. मंडी जिला में सिर्फ काढ़ा पिलाने से ही कोरोना वायरस के 11 मरीज ठीक हो चुके हैं जबकि 5 अभी उपचाराधीन हैं. आयुर्वेद चिकित्सकों का कहना है कि उन्होंने इस काढ़े के अलावा एसिमटोमैटिक मरीजों को कोई दवा नहीं दी और उनके पास जो मरीज आए थे उनमें कोई लक्षण थे ही नहीं जबकि उनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटीव आई थी. अब यही कोरोना पॉजिटिव काढ़ा पिलाने के बाद स्वस्थ हो गए हैं और अपने अनुभव बताकर इसका नियमित प्रयोग करने को हामी भर चुके हैं.

काढ़े में ये घटक द्रव्य और ऐसे करते हैं प्रयोग
दालचीनी, मधुयष्टि, बनफ्शा, सौंफ, मुनक्का, गोजिहा, गुलाप पुष्प, रेशाखत्मी और बदर शामिल है. इसका उपयोग व्याधि क्षमत्व वर्धन, प्रतिशाय, कास व श्वास के लिए होता है. इसकी मात्रा 10 से 20 ग्राम मिली जल में उबालकर 50 मिली शेष रहने पर, छानकर दिन में दो बार या तीन बार चिकित्सकों के परामर्श अनुसार किया जा सकता है. हिमाचल में राजकीय आयुर्वेदिक फार्मेसी जोगिंद्र नगर जिला मंडी में ये काढ़ा तैयार हो रहा है. इसके एक सुबह और एक शाम दो कप से ही एसिमटोमैटिक मरीजों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ी और अब वायरल लोढ़ कम होने से उनकी इम्रुनिटी बढ़ी और उनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटीव से निगेटिव आई है. आयुर्वेद में सांस की बीमारियों के लिए कई जड़ी बूटियां बताई गई है. काढ़ा बनाने के लिए ऐसी कई जड़ी बूटियां चुनी गईं. इसके अलावा आयुर्वेद में कहा गया है कि ज्यादातर बीमारियां पेट के कारण होती है. इस कारण पेट की बीमारियों में इस्तेमाल होने वाली जड़ी-बूटियां भी इसमें मिलाई गईं. इसके साथ मरीजों को सिर्फ आसानी से पचने वाला भोजन और पीने के लिए गर्म पानी दिया जा रहा है.

ये टीम कर रही निगरानी और उपचार
आईपीएच के सरकारी रैस्ट हाऊस और प्रशिक्षण संस्थान ढांगसीधार में आयुर्वेद जिला अधिकारी डॉ. गोविंद राम शर्मा की देखरेख में नोडल अधकारी डॉ. सचिन कमान संभाले हुए हैं. यहां डॉ. सचिन की टीम भी लगातार सेवाएं दे रही है. सात दिन तीन आयुर्वेदिक डाक्टर और 3 फार्मासिस्ट वार्ड में सेवाएं दे रहे हैं और 7 दिन बाद टीम बदल दी जाती है और पहली टीम को संस्थागत क्वारंटाइन किया जाता है. खास बात यह है कि इस टीम को भी इम्रुनिटी बढ़ाने को मधुयष्टियादि कषाय यानि काढ़ा पिलाने के निर्देश दिए थे.


जिला आयुर्वेद अधिकारी डाक्टर गोविंद राम शर्मा ने बताया कि ढांगसीधार स्थित कोवड केयर सेंटर में बनाए गए अस्थाई अस्पताल में पिछले एक महीने से यह प्रयोग चल रहा है. यहां आईपीएच के सरकारी रैस्ट हाऊस और प्रशिक्षण संस्थान में 15 लोगों को अभी तक उपचार दिया जा चुका है, जिन्हें बैलेंस्ड डाईट के अलावा सिर्फ मधुयष्टियादि कषाय यानि काढ़ा पिलाया जा रहा है जिसमें गिलोय, सोंठ, अदरक सहित कई जड़ी-बूटियों है. दस दिन के अंतराल के बाद मरीज की दोबारा कोरोना जांच करवाई गई. इसमें यह सामने आया कि ज्यादातर मरीज पहली ही जांच में संक्रमण मुक्त पाए गए. अब तक 11 मरीजों को डिस्चार्ज कर दिया गया है. हमारे पास अब सिर्फ पांच मरीज रह गए हैं जिनकी नियमित निगरानी टीम कर रही है. आम आदमी इस काढ़े को स्वयं भी बना सकता है. अगर हमारे पास सिमटोमैटिक मरीज भी आते तो आयुर्वेद में ज्वर आदि को भी ठीक करने के लिए दवाएं हैं. हमारे पास एक प्राईवेट आयुर्वेद युनिवर्सिटी में सरकाघाट के दो मरीज आए थे और दोनों को काढ़ा ही पिलाया गया था.

मंडी: पूरी दुनिया इस वक्त कोविड-19 महामारी से जूझ रही है. ऐसे में बिना दवा या वैक्सीन के कोरोना पॉजिटीव आए लोगों का उपचार करना एक बड़ी चुनौती था, लेकिन हिमाचल में भी अब आयुर्वेद पद्धति से कोरोना के उपचार का प्रयोग सफल साबित हुआ है. यहां दर्जनों मरीजों को सिर्फ जड़ी-बूटियों से बना काढ़ा पिलाकर ठीक कर दिया गया है.

बता दें कि संक्रमित लोगों के उपचार के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार और आयुष मंत्रालय भी कई तरह के रिसर्च कर रहा है. इस कड़ी में आयुष मंत्रालय ने 15 अप्रैल को जारी अपने एक सर्कुलर से कोरोना पॉजिटीव आए एसिमटोमैटिक मरीजों को आयुर्वेद विभाग के माध्यम से मधुयष्टियादि कषाय यानि काढ़ा पिलाने के निर्देश दिए थे, जिसके नतीजे अब सकारात्मक आने शुरू हो गए हैं. हिमाचल में भी पिछले एक महीने से यह प्रयोग चल रहा है. मंडी जिला में सिर्फ काढ़ा पिलाने से ही कोरोना वायरस के 11 मरीज ठीक हो चुके हैं जबकि 5 अभी उपचाराधीन हैं. आयुर्वेद चिकित्सकों का कहना है कि उन्होंने इस काढ़े के अलावा एसिमटोमैटिक मरीजों को कोई दवा नहीं दी और उनके पास जो मरीज आए थे उनमें कोई लक्षण थे ही नहीं जबकि उनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटीव आई थी. अब यही कोरोना पॉजिटिव काढ़ा पिलाने के बाद स्वस्थ हो गए हैं और अपने अनुभव बताकर इसका नियमित प्रयोग करने को हामी भर चुके हैं.

काढ़े में ये घटक द्रव्य और ऐसे करते हैं प्रयोग
दालचीनी, मधुयष्टि, बनफ्शा, सौंफ, मुनक्का, गोजिहा, गुलाप पुष्प, रेशाखत्मी और बदर शामिल है. इसका उपयोग व्याधि क्षमत्व वर्धन, प्रतिशाय, कास व श्वास के लिए होता है. इसकी मात्रा 10 से 20 ग्राम मिली जल में उबालकर 50 मिली शेष रहने पर, छानकर दिन में दो बार या तीन बार चिकित्सकों के परामर्श अनुसार किया जा सकता है. हिमाचल में राजकीय आयुर्वेदिक फार्मेसी जोगिंद्र नगर जिला मंडी में ये काढ़ा तैयार हो रहा है. इसके एक सुबह और एक शाम दो कप से ही एसिमटोमैटिक मरीजों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ी और अब वायरल लोढ़ कम होने से उनकी इम्रुनिटी बढ़ी और उनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटीव से निगेटिव आई है. आयुर्वेद में सांस की बीमारियों के लिए कई जड़ी बूटियां बताई गई है. काढ़ा बनाने के लिए ऐसी कई जड़ी बूटियां चुनी गईं. इसके अलावा आयुर्वेद में कहा गया है कि ज्यादातर बीमारियां पेट के कारण होती है. इस कारण पेट की बीमारियों में इस्तेमाल होने वाली जड़ी-बूटियां भी इसमें मिलाई गईं. इसके साथ मरीजों को सिर्फ आसानी से पचने वाला भोजन और पीने के लिए गर्म पानी दिया जा रहा है.

ये टीम कर रही निगरानी और उपचार
आईपीएच के सरकारी रैस्ट हाऊस और प्रशिक्षण संस्थान ढांगसीधार में आयुर्वेद जिला अधिकारी डॉ. गोविंद राम शर्मा की देखरेख में नोडल अधकारी डॉ. सचिन कमान संभाले हुए हैं. यहां डॉ. सचिन की टीम भी लगातार सेवाएं दे रही है. सात दिन तीन आयुर्वेदिक डाक्टर और 3 फार्मासिस्ट वार्ड में सेवाएं दे रहे हैं और 7 दिन बाद टीम बदल दी जाती है और पहली टीम को संस्थागत क्वारंटाइन किया जाता है. खास बात यह है कि इस टीम को भी इम्रुनिटी बढ़ाने को मधुयष्टियादि कषाय यानि काढ़ा पिलाने के निर्देश दिए थे.


जिला आयुर्वेद अधिकारी डाक्टर गोविंद राम शर्मा ने बताया कि ढांगसीधार स्थित कोवड केयर सेंटर में बनाए गए अस्थाई अस्पताल में पिछले एक महीने से यह प्रयोग चल रहा है. यहां आईपीएच के सरकारी रैस्ट हाऊस और प्रशिक्षण संस्थान में 15 लोगों को अभी तक उपचार दिया जा चुका है, जिन्हें बैलेंस्ड डाईट के अलावा सिर्फ मधुयष्टियादि कषाय यानि काढ़ा पिलाया जा रहा है जिसमें गिलोय, सोंठ, अदरक सहित कई जड़ी-बूटियों है. दस दिन के अंतराल के बाद मरीज की दोबारा कोरोना जांच करवाई गई. इसमें यह सामने आया कि ज्यादातर मरीज पहली ही जांच में संक्रमण मुक्त पाए गए. अब तक 11 मरीजों को डिस्चार्ज कर दिया गया है. हमारे पास अब सिर्फ पांच मरीज रह गए हैं जिनकी नियमित निगरानी टीम कर रही है. आम आदमी इस काढ़े को स्वयं भी बना सकता है. अगर हमारे पास सिमटोमैटिक मरीज भी आते तो आयुर्वेद में ज्वर आदि को भी ठीक करने के लिए दवाएं हैं. हमारे पास एक प्राईवेट आयुर्वेद युनिवर्सिटी में सरकाघाट के दो मरीज आए थे और दोनों को काढ़ा ही पिलाया गया था.

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