लाहौल स्पीति: हिमाचल प्रदेश का शीत मरुस्थल लाहौल स्पीति विधानसभा सीट में अबकी बार 24,744 मतदाता यहां का भविष्य तय करेंगे. हिमाचल प्रदेश की सबसे कम मतदाता वाली इस सीट पर पूरे प्रदेश का भी ध्यान केंद्रित रहेगा, क्योंकि यहां पर विश्व का सबसे ऊंचा मतदान केंद्र टाशीगंग भी है, जो 15,256 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. इसके अलावा यहां पर कुल मतदान केंद्रों की संख्या भी 92 हैं. हिमाचल प्रदेश की सबसे छोटी विधानसभा के तौर पर जाने जाने वाली लाहौल स्पीति विधानसभा सीट में कुल जनसंख्या 32 हजार है. वहीं, 24744 मतदाता हैं, जिनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 12,293 है, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 12451 है.
अटल टनल बनने से पहले यह सीट रोहतांग दर्रा में हुई बर्फबारी के चलते 6 महीने पूरे विश्व से कटी रहती थी, लेकिन टनल बनने से 12 महीने यहां पर सफर आसान हुआ है. वहीं, लाहौल स्पीति के कई दुर्गम इलाके आज भी विकास की राह देख रहे हैं. ऐसे में भाजपा व कांग्रेस के लिए यह विधानसभा चुनाव काफी कड़ा साबित होगा. क्योंकि, पहली बार आम आदमी पार्टी ने भी शीत मरुस्थल में अपनी दस्तक दे दी है. आम आदमी पार्टी विधानसभा चुनावों में अपने प्रत्याशी के साथ गांव गांव में सक्रिय हो गई है.
लाहौल स्पीति विधानसभा सीट पर बीजेपी और कांग्रेस ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं लेकिन ये तय माना जा रहा है कि बीजेपी, अलाकमान डॉ. रामलाल मारकंडा पर एक बार फिर भरोसा जता सकती है. तो वहीं, कांग्रेस भी प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष रवि ठाकुर को प्रत्याशी बना सकती है. हालांकि, पहली बार चुनावी अखाड़े में कूदी आम आदमी पार्टी ने अपनी फिल्डिंग लगानी शुरू कर दी है. आप ने सुदर्शन जसपा को मैदान में उतारा है.
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रामलाल मारकंडा का कांग्रेस पर निशाना: भाजपा के विधायक एवं मंत्री डॉ. रामलाल मारकंडा का कहना है कि यहां पर पर्यटन की दृष्टि से कई जगह को विकसित किया गया है. तो वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों का जाल भी बिछा है. इसके अलावा मोबाइल नेटवर्क भी अब लाहौल स्पीति के कोने कोने में पहुंचा है. ऐसे में केंद्र व प्रदेश सरकार की नीतियों का फायदा लाहौल स्पीति के जनता को मिला है और यहां से एक बार फिर से भाजपा उम्मीदवार की जीत तय है.
कांग्रेस ने जनता पर छोड़ा फैसला: वहीं, पूर्व विधायक रहे कांग्रेस के प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष रवि ठाकुर का कहना है कि वर्तमान मंत्री डॉ. रामलाल मारकंडा लाहौल स्पीति का विकास करने में असफल रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस पार्टी घर घर जाकर उनकी नाकामियों के बारे में जनता को अवगत करवा रही है. वहीं, जनता का भी कांग्रेस पार्टी को भरपूर समर्थन मिल रहा है.
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कांग्रेस और बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं जसपा: बीते विधानसभा चुनावों में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ चुके सुदर्शन जसपा अबकी बार दोनों ही दलों के लिए मुश्किल पैदा कर सकते हैं, क्योंकि सुदर्शन जसपा ने आम आदमी पार्टी का दामन थाम (Sudarshan Jaspa joins Aam Aadmi Party) लिया है. वह एशिया की सबसे बड़ी आलू उत्पादक सोसाइटी (लाहौल पोटेटो सोसायटी) के भी अध्यक्ष हैं.
कौन हैं सुदर्शन जसपा: सुदर्शन जसपा छात्र जीवन से ही राजनीति (Aam Aadmi Party in Lahaul Spiti) में सक्रिय हैं. इससे पहले वे जिला परिषद का चुनाव भी जीत चुके हैं. अबकी बार आम आदमी पार्टी ने उन्हें लाहौल स्पीति विधानसभा से अपना प्रत्याशी घोषित किया है. वे लगातार ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंपर्क अभियान भी चलाए हुए हैं.
लाहौल स्पीति विधानसभा सीट का 2017 का हाल: लाहौल स्पीति विधानसभा सीट पर साल 2017 में भाजपा की ओर से डॉ. रामलाल मारकंडा ने चुनाव लड़ा था. कांग्रेस की ओर से रवि ठाकुर मैदान में थे. ऐसे में भाजपा के प्रत्याशी रामलाल मारकंडा को 7,556 वोट मिले थे और कांग्रेस के रवि ठाकुर को 6,278 वोट ही मिले थे. इसके अलावा राजेंद्र कारपा को 2,240, सुदर्शन जस्पा को 655 वोट मिले थे. साल 2017 के चुनावों में लाहौल स्पीति में कुल मतदाता 23,231 की संख्या में थे.
स्थानीय लोगों में नाराजगी: लाहौल घाटी के स्थानीय लोगों का कहना है कि विधानसभा चुनावों में लाहौल घाटी की उपेक्षा राजनीति का मुख्य केंद्र रहेगी. युवाओं का कहना है कि स्वास्थ्य केंद्र तो सरकार के द्वारा खोले गए हैं, लेकिन उनमें स्टाफ की तैनाती करना सरकार भूल गई है. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों की हाल काफी खराब है. पर्यटकों की संख्या तो बढ़ी है लेकिन पर्यटकों के लिए सुविधाएं भी यहां अभी तक सरकार पूरी तरह से नहीं दे नहीं दे पाई है, जिसके चलते पर्यटक लाहौल घाटी का रुख तो करते हैं लेकिन शाम होते ही वापस मनाली चले जाते हैं. ऐसे में स्थानीय लोगों को पर्यटन बढ़ने का कोई खास लाभ नहीं मिल पा रहा है. सरकार स्थानीय लोगों की आर्थिकी बढ़ाने के लिए यहां पर्यटकों को मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध करवाए.