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एक ऐसी ममी जो आज भी 'जिंदा' है, सदियों पुरानी ये ममी वैज्ञानिकों के लिए बनी है रहस्य

एक ऐसी ममी जो आज भी 'जिंदा' है सदियों पुरानी ये ममी वैज्ञानिकों के लिए बनी है रहस्य

सदियों पुरानी ये ममी वैज्ञानिकों के लिए बनी है रहस्य
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Published : Mar 21, 2019, 6:18 AM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हिमालय की गोद में बसा एक शांत राज्य है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है. हिमाचल में कई ऐसे पर्यटन स्थल और मंदिर हैं, जो अलग और अविश्वसनीय हैं. कुछ ऐसी ही अविश्वसनीयता का प्रमाण है जिला लाहौल-स्पीति की स्पीति घाटी में स्थित बौद्ध भिक्षु की ममी, जो सबके लिए हैरानी का विषय है.

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सदियों पुरानी ये ममी वैज्ञानिकों के लिए बनी है रहस्य

565 साल से ज्यादा पुरानी इस ममी के नाखून और बाल आज भी बढ़ते हैं. दुनियाभर के वैज्ञानिकों के लिए यह ममी एक रहस्य बनी हुई है, जिसे वो आज तक नहीं सुलझा पाए. यह ममी स्पीति घाटी के गियू गांव में है, जोकि भारत और नेपाल की सीमा पर बसा हुआ है.

सदियों पुरानी ये ममी वैज्ञानिकों के लिए बनी है रहस्य

इस ममी की खासियत है कि यह विश्व की एकमात्र ऐसी ममी है, जो बैठी हुई अवस्था में है. बताया जाता है कि साल 1995 में ITBP के जवानों को सड़क निर्माण के दौरान यह ममी दिखाई दी थी. उस वक्त कुदाल लगने से इस ममी के सिर से खून बहने लगा था. आज भी कुदाल का घाव ममी के सिर पर दिखाई देता है.

मौजूदा समय में इस ममी को शिशे के एक कैबिन में रखा गया है. वैज्ञानिकों ने रिपोर्ट में दावा किया है कि ये ममी बौद्ध भिक्षु सांगा तेंजिन की है, जिन्होंने अंतिम सांस 1453 ई. में ली थी. करीब 49 वर्ष की आयु में लगातार तीन महीने तक भूखे-प्यासे तपस्या करने के कारण उनकी मृत्यु हुई थी. वैज्ञानिकों का कहना है कि यह शोध का विषय है कि 565 साल पहले मृत लामा का शरीर अब भी बिना किसी कैमिकल के प्राकृतिक रूप से कैसे सुरक्षित है.
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शिमला: हिमाचल प्रदेश हिमालय की गोद में बसा एक शांत राज्य है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है. हिमाचल में कई ऐसे पर्यटन स्थल और मंदिर हैं, जो अलग और अविश्वसनीय हैं. कुछ ऐसी ही अविश्वसनीयता का प्रमाण है जिला लाहौल-स्पीति की स्पीति घाटी में स्थित बौद्ध भिक्षु की ममी, जो सबके लिए हैरानी का विषय है.

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सदियों पुरानी ये ममी वैज्ञानिकों के लिए बनी है रहस्य

565 साल से ज्यादा पुरानी इस ममी के नाखून और बाल आज भी बढ़ते हैं. दुनियाभर के वैज्ञानिकों के लिए यह ममी एक रहस्य बनी हुई है, जिसे वो आज तक नहीं सुलझा पाए. यह ममी स्पीति घाटी के गियू गांव में है, जोकि भारत और नेपाल की सीमा पर बसा हुआ है.

सदियों पुरानी ये ममी वैज्ञानिकों के लिए बनी है रहस्य

इस ममी की खासियत है कि यह विश्व की एकमात्र ऐसी ममी है, जो बैठी हुई अवस्था में है. बताया जाता है कि साल 1995 में ITBP के जवानों को सड़क निर्माण के दौरान यह ममी दिखाई दी थी. उस वक्त कुदाल लगने से इस ममी के सिर से खून बहने लगा था. आज भी कुदाल का घाव ममी के सिर पर दिखाई देता है.

मौजूदा समय में इस ममी को शिशे के एक कैबिन में रखा गया है. वैज्ञानिकों ने रिपोर्ट में दावा किया है कि ये ममी बौद्ध भिक्षु सांगा तेंजिन की है, जिन्होंने अंतिम सांस 1453 ई. में ली थी. करीब 49 वर्ष की आयु में लगातार तीन महीने तक भूखे-प्यासे तपस्या करने के कारण उनकी मृत्यु हुई थी. वैज्ञानिकों का कहना है कि यह शोध का विषय है कि 565 साल पहले मृत लामा का शरीर अब भी बिना किसी कैमिकल के प्राकृतिक रूप से कैसे सुरक्षित है.
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