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खुले आसमान के नीचे लोगों ने गुजारी रात, कुल्लू में वर्ल्ड बिग स्लीप आउट डे का आयोजन

भुंतर मेला ग्राउंड में वर्ल्ड बिग स्लीप आउट डे का आयोजन किया गया. इसमें कुल्लू के करीब 70 लोगों ने खुले आसमान के नीचे रात गुजारी. बेघरों की आवाज को बुलंद करने के लिए दुनियाभर में लाखों लोगों ने खुले आसमान के नीचे रात बिताई.

Kullu world big sleep day
वर्ल्ड बिग स्लीप आउट डे
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Published : Dec 8, 2019, 9:09 PM IST

कुल्लू: भुंतर मेला ग्राउंड में वर्ल्ड बिग स्लीप आउट डे का आयोजन किया गया. इसमें कुल्लू के करीब 70 लोगों ने खुले आसमान के नीचे रात गुजारी. बेघरों की आवाज को बुलंद करने के लिए दुनियाभर में लाखों लोगों ने खुले आसमान के नीचे रात बिताई.

भारत के करीब 26 शहरों में इसका आयोजन किया गया. आयोजन का मकसद सरकारों को बेघर लोगों के लिए ठोस कदम उठाना और आम समाज को इनके प्रति जागरूक व संवेदनशील करना है.ज्यादातर बेघर लोग जो रात को सड़कों के किनारे फुटपाथ पर, बस स्टॉप पर पार्कों आदि में सोते हैं. ज्यादा ठंड या गर्मी के कारण छोटी-छोटी बीमारियों के इलाज के अभाव में मर जाते हैं. प्रशासन भी ऐसे लोगों को अपने शहरों से खदेड़ने का काम करता है.

इसी कारण ऐसे लोग ज्यादातर एक शहर से दूसरे शहर में भटकते रहते हैं. ऐसे लोगों की सरकार भी कोई सहायता नही करती.

कुल्लू: भुंतर मेला ग्राउंड में वर्ल्ड बिग स्लीप आउट डे का आयोजन किया गया. इसमें कुल्लू के करीब 70 लोगों ने खुले आसमान के नीचे रात गुजारी. बेघरों की आवाज को बुलंद करने के लिए दुनियाभर में लाखों लोगों ने खुले आसमान के नीचे रात बिताई.

भारत के करीब 26 शहरों में इसका आयोजन किया गया. आयोजन का मकसद सरकारों को बेघर लोगों के लिए ठोस कदम उठाना और आम समाज को इनके प्रति जागरूक व संवेदनशील करना है.ज्यादातर बेघर लोग जो रात को सड़कों के किनारे फुटपाथ पर, बस स्टॉप पर पार्कों आदि में सोते हैं. ज्यादा ठंड या गर्मी के कारण छोटी-छोटी बीमारियों के इलाज के अभाव में मर जाते हैं. प्रशासन भी ऐसे लोगों को अपने शहरों से खदेड़ने का काम करता है.

इसी कारण ऐसे लोग ज्यादातर एक शहर से दूसरे शहर में भटकते रहते हैं. ऐसे लोगों की सरकार भी कोई सहायता नही करती.

Intro:बेघरों की आवाज़ बुलंद करने के लिए खुले आसमान के नीचे सोए 70 लोग
भुंतर मेला ग्राउंड में किया वर्ल्ड बिग स्लीप आउट डे का आयोजन Body:





जिला कुल्लू के भुंतर मेला ग्राउंड में वर्ल्ड बिग स्लीप आउट डे का आयोजन किया गया। इसमें कुल्लू के करीब 70 लोगों ने खुले आसमान के नीचे रात गुजारी। इसका आयोजन दुनिया भर में किया जाता है। बेघरों की आवाज को बुलंद करने के लिए दुनियाभर में लाखों लोगों ने खुले आसमान के नीचे रात बिताई। भारत के करीब 26 शहरों में इसका आयोजन किया गया।

इसका मकसद सरकारों को बेघर लोगों के लिए ठोस कदम उठाने तथा आम समाज को इनके प्रति जागरूक व संवेदनशील करना था। ज्यादातर बेघर लोग जो रात को सड़कों के किनारे फुटपाथ पर, बस स्टॉप पर पार्कों आदि में सोते हैं। ज्यादा ठंड या गर्मी के कारण या छोटी छोटी बीमारियों के इलाज के अभाव में मर जाते हैं। समाज भी ऐसे लोगों को देखता तो है। लेकिन असंवेदनशीलता के कारण अनदेखा कर देता है और इनको या तो नशेड़ी या फिर ऐसे संज्ञान देता है जिसके बाद खुद को जिम्मेदारी मुक्त समझने लगता है।

शहर का प्रशासन भी ऐसे लोगों को अपने शहरों से खदेड़ने का काम ज्यादा करता है। इसी कारण यह लोग ज्यादातर एक शहर से दूसरे शहर में भटकते रहते हैं। ऐसे तबकों को न तो सरकार और न ही समाज खुले में मरने सड़ने और जिल्लत की जिंदगी जीने के लिए छोड़ सकता है, बल्कि ऐसे समाज के लिए कैसे बेहतर व्यवस्था हो उसके लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। Conclusion:




इस आयोजन में सहारा, मानव सेवा और लोकतंत्र संगठनों के पदाधिकारी महिमन चंद्र, राजेंद्र चौहान, पविंदर कुमार, शाम लाल हांडा, डिंपल, डीआर आनंद, राकेश शर्मा, माइकल, मेहता, दीपक कुमार, अरुण गर्ग भी शामिल रहे।
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