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7 KM का पैदल सफर कर रेशमा ने लिखी सफलता की ईबारत, दुर्गम इलाकों में शिक्षा की लौ जलाना लक्ष्य

रेशमा ने कहा कि आजादी के 7 दशक बीतने के बाद भी आज उनका गांव सड़क जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित है. उन्होंने कहा कि गांव में सड़क सुविधा न होने के कारण उसे रोजाना घर से 7 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल पहुंचना पड़ता है

रेशमा को मिठाई खिलाते परिजन
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Published : Apr 22, 2019, 10:02 PM IST

कुल्लूः कहते हैं कुछ करने का जज्बा हो तो कामयाबी खुद ब खुद सफलता के कदम चूमती है. इस बात को साबित कर दिखाया है कुल्लू जिला की सैंज घाटी के दुर्गम क्षेत्र निहाई गांव की छात्रा रेशमा ने. रेशमा ने आर्ट्स विषय में प्रदेश की मैरिट में 10वां स्थान हासिल किया है.

रेशमा ने कहा कि आजादी के 7 दशक बीतने के बाद भी आज उनका गांव सड़क जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित है. उन्होंने कहा कि गांव में सड़क सुविधा न होने के कारण उसे रोजाना घर से 7 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल पहुंचना पड़ता है. रेशमा ने कहा कि स्कूल से छुट्टी होने के बाद भी 7 किलोमीटर का रास्ता पैदल तय करना पड़ता है.

reshma
रेशमा को मिठाई खिलाते परिजन

रेशमा ने कहा कि इस दौरान उसके माता- पिता ने उसे एक लड़की की तरह नहीं, बल्कि एक लड़के की तरह ही व्यवहार किया, जिसकी बदौलत आज वह इस मुकाम तक पहुंची है. रेशमा ने बताया कि उसके स्कूल के हिंदी प्रवक्ता राम कृष्ण ने पढ़ाई के दौरान हर पाठयक्रम में सहायता की है, जिन्हें वह अपना आदर्श भी मानती है. रेशमा ने बताया कि वह भी आने वाले समय में अपनी पढ़ाई पूरी कर प्रवक्ता बनेगी और ग्रामीण ईलाके के स्कूलों में बच्चों का भविष्य बनाएगी.

कुल्लूः कहते हैं कुछ करने का जज्बा हो तो कामयाबी खुद ब खुद सफलता के कदम चूमती है. इस बात को साबित कर दिखाया है कुल्लू जिला की सैंज घाटी के दुर्गम क्षेत्र निहाई गांव की छात्रा रेशमा ने. रेशमा ने आर्ट्स विषय में प्रदेश की मैरिट में 10वां स्थान हासिल किया है.

रेशमा ने कहा कि आजादी के 7 दशक बीतने के बाद भी आज उनका गांव सड़क जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित है. उन्होंने कहा कि गांव में सड़क सुविधा न होने के कारण उसे रोजाना घर से 7 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल पहुंचना पड़ता है. रेशमा ने कहा कि स्कूल से छुट्टी होने के बाद भी 7 किलोमीटर का रास्ता पैदल तय करना पड़ता है.

reshma
रेशमा को मिठाई खिलाते परिजन

रेशमा ने कहा कि इस दौरान उसके माता- पिता ने उसे एक लड़की की तरह नहीं, बल्कि एक लड़के की तरह ही व्यवहार किया, जिसकी बदौलत आज वह इस मुकाम तक पहुंची है. रेशमा ने बताया कि उसके स्कूल के हिंदी प्रवक्ता राम कृष्ण ने पढ़ाई के दौरान हर पाठयक्रम में सहायता की है, जिन्हें वह अपना आदर्श भी मानती है. रेशमा ने बताया कि वह भी आने वाले समय में अपनी पढ़ाई पूरी कर प्रवक्ता बनेगी और ग्रामीण ईलाके के स्कूलों में बच्चों का भविष्य बनाएगी.

सात किलोमीटर पैदल चलकर हासिल किया मुकाम
माता- पिता ने बेटी नहीं बेटे की तरह हर समय दिया साथ- रेशमा
कुल्लू
कहते हैं कुछ करने का जज्बा हो तो कामयाबी खुद ब खुद सफलता के कदम चूमती है। इस बात को साबित कर दिखाया कुल्लू जिला की सैंज घाटी के दुर्गम क्षेत्र निहाई गांव की छात्रा रेशमा ने। रेशमा ने आर्ट्स विषय मे प्रदेश की मैरिट में 10वा स्थान हासिल किया है। रेशमा ने बताया कि आजादी के सात दशक बीतने के बाद आज भी उसका गांव सड़क जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित है।  रेशमा ने बताया कि गांव तक सड़क सुविधा न होने के कारण उसे रोजाना घर से सात किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल पहुंचना पड़ता है और स्कूल से छुटटी होने के बाद भी सात किलोमीटर का रास्ता पैदल तय करना पड़ता है। रेशमा ने बताया कि इस दौरान उसके माता- पिता ने उसे एक लड़की की तरह नहीं बल्कि एक लड़के की तरह ही व्यवहार किया। जिसकी बदौलत आज वह इस मुकाम तक पहुंची है। रेशमा ने बताया कि उसके स्कूल के हिंदी प्रवक्ता राम कृष्ण ने पढ़ाई के दौरान हर पाठयक्रम में सहायता की है जिन्हें वह अपना आर्दश भी मानती है। रेशमा ने बताया  िकवह भी आने वाले समय में अपनी पढ़ाई पूरी कर प्रवक्ता बनेगी और ग्रामीण ईलाके के स्कूलों में बच्चों का भविष्य बनाएगी।
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