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लिम्का बुक में दर्ज है HRTC की इस बस सर्विस का नाम, सैलानियों की सुविधा के लिए किया गया था शुरू - कुल्लू

सैलानियों की सुविधा के लिए केलांग डिपो ने 2008 में शुरू की थी सेवा

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Published : Feb 9, 2019, 9:11 AM IST

कुल्लू: साल में करीब चार महीने सुचारू रहने वाले एचआरटीसी के देश के सबसे लंबे बस रूट दिल्ली-केलांग-लेह बस सेवा लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्डस में दर्ज है. ये रूट बर्फबारी के दौरान बंद रहता है.
सैलानियों की सुविधा के लिए एचआरटीसी केलांग डिपो ने इस बस सेवा की शुरुआत वर्ष 2008 में की थी. बता दें कि दिल्ली से लेह तक चलने वाली इस बस सेवा का नाम लिम्का बुक आफ रिकार्ड्स में दर्ज है. 1072 किलोमीटर लंबे इस सफर के लिए सैलानियों को महज 1400 रुपये खर्च आ रहा था. इस सफर को पूरा करने में 36 घंटों का समय लग रहा था. देश के अन्य हिस्सों से लेह-लद्दाख जाने वाले सैलानियों के लिए एचआरटीसी ने बड़ी राहत दी थी. ऊंची चोटियों पर हो रही बर्फबारी को देखते हुए एचआरटीसी ने अपनी सेवाएं बंद कर दी है. बारालाचा दर्रे में बर्फबारी का क्रम भी शुरू हो गया है जिसके चलते अब मनाली-लेह मार्ग राहगीरों के लिए जोखिम भरा हो गया है.

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1399 रुपये है एक तरफ का किराया
दिल्ली से लेह वाया रोड 1074 किलोमीटर है. एचआरटीसी ने इसके लिए 1399 रुपये किराया निर्धारित किया है. दिल्ली से लेह तक पहुंचने में कुल 36 घंटे लगते हैं, लेकिन समय अवधि बढ़ भी सकती है. सफर के दौरान 3 ड्राइवर और 2 कंडक्टर बदले जाते हैं. दिल्ली के बाद सुंदरनगर और फिर केलांग में ड्राइवर बदलते हैं. केलांग में बस रात भर रुकने के बाद अगले दिन सुबह रवाना होती है.

ये हैं दुनिया के सबसे ऊंचे दर्रे
दिल्ली से लेह तक सफर में ये बस रोहतांग पास 13050 फीट, बारालाचा चौक पास 16043 फीट, तंगलांगला 17,480 फीट और लांचूगला पास 16598 फीट से गुजरती है. ये बस केलांग, पटसू, जिंगजिंग बार, 21 लूप्स, व्हिस्की नाला और सूरजताल से होते हुए कई टूरिस्ट प्लेस से होकर जाती है.

लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्डस में दर्ज है ये बस सेवा
दिल्ली से लेह तक चलने वाली ये बस सेवा लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्डस में दर्ज है। आपको बता दें जिस रूट पर अभी दिल्ली से लेह जाया जाता है। इस रूट का इस्तेमाल कारगिल युद्ध के दौरान सेना ने हथियार और खाद्य सामग्री पहुंचाने के लिए किया था।

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कुल्लू: साल में करीब चार महीने सुचारू रहने वाले एचआरटीसी के देश के सबसे लंबे बस रूट दिल्ली-केलांग-लेह बस सेवा लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्डस में दर्ज है. ये रूट बर्फबारी के दौरान बंद रहता है.
सैलानियों की सुविधा के लिए एचआरटीसी केलांग डिपो ने इस बस सेवा की शुरुआत वर्ष 2008 में की थी. बता दें कि दिल्ली से लेह तक चलने वाली इस बस सेवा का नाम लिम्का बुक आफ रिकार्ड्स में दर्ज है. 1072 किलोमीटर लंबे इस सफर के लिए सैलानियों को महज 1400 रुपये खर्च आ रहा था. इस सफर को पूरा करने में 36 घंटों का समय लग रहा था. देश के अन्य हिस्सों से लेह-लद्दाख जाने वाले सैलानियों के लिए एचआरटीसी ने बड़ी राहत दी थी. ऊंची चोटियों पर हो रही बर्फबारी को देखते हुए एचआरटीसी ने अपनी सेवाएं बंद कर दी है. बारालाचा दर्रे में बर्फबारी का क्रम भी शुरू हो गया है जिसके चलते अब मनाली-लेह मार्ग राहगीरों के लिए जोखिम भरा हो गया है.

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1399 रुपये है एक तरफ का किराया
दिल्ली से लेह वाया रोड 1074 किलोमीटर है. एचआरटीसी ने इसके लिए 1399 रुपये किराया निर्धारित किया है. दिल्ली से लेह तक पहुंचने में कुल 36 घंटे लगते हैं, लेकिन समय अवधि बढ़ भी सकती है. सफर के दौरान 3 ड्राइवर और 2 कंडक्टर बदले जाते हैं. दिल्ली के बाद सुंदरनगर और फिर केलांग में ड्राइवर बदलते हैं. केलांग में बस रात भर रुकने के बाद अगले दिन सुबह रवाना होती है.

ये हैं दुनिया के सबसे ऊंचे दर्रे
दिल्ली से लेह तक सफर में ये बस रोहतांग पास 13050 फीट, बारालाचा चौक पास 16043 फीट, तंगलांगला 17,480 फीट और लांचूगला पास 16598 फीट से गुजरती है. ये बस केलांग, पटसू, जिंगजिंग बार, 21 लूप्स, व्हिस्की नाला और सूरजताल से होते हुए कई टूरिस्ट प्लेस से होकर जाती है.

लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्डस में दर्ज है ये बस सेवा
दिल्ली से लेह तक चलने वाली ये बस सेवा लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्डस में दर्ज है। आपको बता दें जिस रूट पर अभी दिल्ली से लेह जाया जाता है। इस रूट का इस्तेमाल कारगिल युद्ध के दौरान सेना ने हथियार और खाद्य सामग्री पहुंचाने के लिए किया था।

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