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लला मेमे फाउंडेशन ने छेरिंग दोरजे के निधन पर जताया दुख, इतिहासकार के नाम पर शुरू होगी छात्रवृत्ति

लला मेमे फाउंडेशन के उपाध्यक्ष डॉ चंद्रमोहन परशीरा ने बताया कि पश्चिमी हिमालय के विख्यात इतिहासकार एवं विद्वान छेरिंग दोरजे के अकस्मात निधन से हिमालयी समाज को अपूरणीय क्षति हुई है. परशीरा ने कहा कि ऐसे महापुरुष का जाना एक पूरा इतिहास जाने के बराबर है. फॉउंडेशन के अध्यक्ष मंगल चंद मनेपा ने कहा कि छेरिंग दोरजे लला मेमे फॉउंडेशन के संरक्षक थे.

छेरिंग दोरजे
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Published : Nov 17, 2020, 12:20 PM IST

कुल्लू: लला मेमे फाउंडेशन के उपाध्यक्ष डॉ चंद्रमोहन परशीरा ने बताया कि पश्चिमी हिमालय के विख्यात इतिहासकार एवं विद्वान छेरिंग दोरजे के अकस्मात निधन से हिमालयी समाज को अपूरणीय क्षति हुई है. उन्होंने कहा कि छेरिंग दोरजे हिमालय के जीते जागते नालंदा थे, जिन्होंने अपने धर्म, इतिहास, संस्कृति, भाषा, बनस्पति विज्ञान आदि अनेकों विषयों पर असीमित ज्ञान के प्रकाश से कई दशकों तक मानव समाज की सेवा की है.

छेरिंग दोरजे ने पूर्व मंत्री एवं चुनाव आयुक्त एमएसगिल से लेकर विख्यात चित्रकार शोभा सिंह एवं निकोलस रोरिक तक परिवारों का लंबे समय तक विभिन्न विषयों पर मार्गदर्शन किया. उन्होंने हिमालयी क्षेत्र में अनेकों बौद्ध भिक्षुओं को धार्मिक साधना में भी बहुत मदद की, जिसका उदाहरण 12 साल लाहौल की एक गुफा में ध्यानस्थ रह कर विश्वभर में विख्यात हुई इंग्लैंड निवासी भिक्षुणी जेतसुनमा टशी पल्मो है.

परशीरा ने कहा कि ऐसे महापुरुष का जाना एक पूरा इतिहास जाने के बराबर है और उनकी ज्ञान साधना की धारा को अविरल रखने के लिए लला मेमे फाउंडेशन अगले साल से इतिहास, भोटी भाषा, पर्यटन एवं भूगोल आदि विषयों में विशेष पदक एवं छात्रवृत्ति शुरू करेगा. इसके साथ हिमालयी ज्ञान और इतिहास पर आधारित एक शोद्ध केंद्र की भी शुरुआत की जाएगी.

फाउंडेशन के अध्यक्ष मंगल चंद मनेपा ने कहा कि छेरिंग दोरजे लला मेमे फाउंडेशन के संरक्षक थे और पूरा फाउंडेशन परिवार इस समय शौक ग्रस्त है. अगर कोरोना काल नहीं होता तो वह निश्चित ही एक भावभीनी श्रद्धांजलि का आयोजन करते, जो अब 15 फरवरी को लला मेमे पुण्यतिथि के दिन किया जाएगा.

फाउंडेशन के वरिष्ठ सदस्यों कर्नल प्रेम चंद, प्रेम लाल प्रधान, सोनम राम, नील चंद टेलंगवा, शकुन, सुषमा, रंजीत क्रोफा, विपिन शाशनी, मोहन लाल रेलिंगपा, शेर सिंह मनेपा, अभय चंद राणा ने छेरिंग दोरजे के अकस्मात निधन पर गहरा दुख प्रकट करते हुऐ इसे हिमालयी समाज के लिए बहुत बड़ी हानि करार दिया.

पढ़ें: अटल टनल की स्मृतियों के साथ विदा हुए छेरिंग दोरजे, हिमाचल में शोक की लहर

कुल्लू: लला मेमे फाउंडेशन के उपाध्यक्ष डॉ चंद्रमोहन परशीरा ने बताया कि पश्चिमी हिमालय के विख्यात इतिहासकार एवं विद्वान छेरिंग दोरजे के अकस्मात निधन से हिमालयी समाज को अपूरणीय क्षति हुई है. उन्होंने कहा कि छेरिंग दोरजे हिमालय के जीते जागते नालंदा थे, जिन्होंने अपने धर्म, इतिहास, संस्कृति, भाषा, बनस्पति विज्ञान आदि अनेकों विषयों पर असीमित ज्ञान के प्रकाश से कई दशकों तक मानव समाज की सेवा की है.

छेरिंग दोरजे ने पूर्व मंत्री एवं चुनाव आयुक्त एमएसगिल से लेकर विख्यात चित्रकार शोभा सिंह एवं निकोलस रोरिक तक परिवारों का लंबे समय तक विभिन्न विषयों पर मार्गदर्शन किया. उन्होंने हिमालयी क्षेत्र में अनेकों बौद्ध भिक्षुओं को धार्मिक साधना में भी बहुत मदद की, जिसका उदाहरण 12 साल लाहौल की एक गुफा में ध्यानस्थ रह कर विश्वभर में विख्यात हुई इंग्लैंड निवासी भिक्षुणी जेतसुनमा टशी पल्मो है.

परशीरा ने कहा कि ऐसे महापुरुष का जाना एक पूरा इतिहास जाने के बराबर है और उनकी ज्ञान साधना की धारा को अविरल रखने के लिए लला मेमे फाउंडेशन अगले साल से इतिहास, भोटी भाषा, पर्यटन एवं भूगोल आदि विषयों में विशेष पदक एवं छात्रवृत्ति शुरू करेगा. इसके साथ हिमालयी ज्ञान और इतिहास पर आधारित एक शोद्ध केंद्र की भी शुरुआत की जाएगी.

फाउंडेशन के अध्यक्ष मंगल चंद मनेपा ने कहा कि छेरिंग दोरजे लला मेमे फाउंडेशन के संरक्षक थे और पूरा फाउंडेशन परिवार इस समय शौक ग्रस्त है. अगर कोरोना काल नहीं होता तो वह निश्चित ही एक भावभीनी श्रद्धांजलि का आयोजन करते, जो अब 15 फरवरी को लला मेमे पुण्यतिथि के दिन किया जाएगा.

फाउंडेशन के वरिष्ठ सदस्यों कर्नल प्रेम चंद, प्रेम लाल प्रधान, सोनम राम, नील चंद टेलंगवा, शकुन, सुषमा, रंजीत क्रोफा, विपिन शाशनी, मोहन लाल रेलिंगपा, शेर सिंह मनेपा, अभय चंद राणा ने छेरिंग दोरजे के अकस्मात निधन पर गहरा दुख प्रकट करते हुऐ इसे हिमालयी समाज के लिए बहुत बड़ी हानि करार दिया.

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