कुल्लू: उपमण्डल बंजार की तीर्थन घाटी के कई दूर दराज क्षेत्र आजादी के सात दशकों बाद भी आजकल सड़क और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. बीमार हालात में लोगों को अपना इलाज करवाने के लिए कई किलोमीटर तक का सफर पैदल तय करना पड़ता है. जो मरीज खुद चलने की हालात में न हो तो उसे कुर्सी की पालकी में बिठा कर सड़क मार्ग या अस्पताल तक पहुंचाना पड़ता है.
ऐसा ही एक वाक्या शुक्रवार शाम को तीर्थन घाटी की दूर दराज ग्राम पंचायत शिल्ही में सामने आया. शिल्ही पंचायत के मल्हाचा गांव की चवेलू देवी पत्नी जीतराम को कल शाम के समय लो ब्लड शूगर का अटैक पड़ गया जिससे वह बेहोश हो गई. तो ग्रामीण उसी समय चवेलू देवी को पीठ पर उठाकर अस्पताल ले जाने लगे और इसी दौरान 108 एंबुलेंस को भी फोन करके बुला लिया गया था, लेकिन मालहचा गांव से गरूली गांव तक पहुंचते ही बहुत तेज बारिश होने लगी.
जिससे मरीज को पीठ पर सड़क तक पहुंचाना मुश्किल हो गया था और अंधेरा भी होने लगा था. इसलिए तेज बारिश और अन्धेरे में 6 किलोमीटर दूर पीठ पर उठाकर ले जाना संभव नहीं था. जिस पर एंबुलेंस को वापस खाली ही बंजार भेजना पड़ा. रात को 12:30 बजे महिला को होश आया लेकिन वह चलने फिरने में असमर्थ थी.
चिकित्सकों से फोन पर संपर्क करके राय ली गई और उन्होंने मरीज को इंसुलिन का इंजेक्शन देने की सलाह दी थी, लेकिन पंचायत में कोई भी स्वास्थ्य संस्थान नहीं है जिससे महिला को प्राथमिक उपचार भी नहीं दिया जा सका. शनिवार सुबह ग्रामीणों ने मरीज को कुर्सी की पालकी पर उठाकर निजी वाहन करके बंजार अस्पताल में पहुंचाया है.
ग्राम पंचायत शिल्ही के उपप्रधान मोहर सिंह ठाकुर का कहना है कि पंचायत के लिए सरकार द्वारा स्वास्थ्य उपकेंद्र की अधिसूचना जारी किए हुए अढ़ाई साल हो चुके हैं, लेकिन अभी तक उसके कार्यात्मक आदेश नहीं हो रहे हैं जिससे स्वास्थ्य उपकेंद्र भी नहीं खुल पाया है.
उन्होंने बताया कि बीते दिनों गुरुली गांव के शहीद लगन चंद की अंत्येष्टि में वन मंत्री आए थे उन्होंने भी स्वास्थ्य उपकेंद्र को जल्द शुरू करने की बात कही थी. विधायक बंजार भी लगातार स्वास्थ्य केंद्र को शुरू करने के लिए स्वास्थ्य मंत्री से मुख्यमंत्री से लगातार पत्राचार कर रहे हैं, लेकिन अभी तक इस समस्या का कोई भी समाधान नहीं हो सका है.
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