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कुल्लू में अक्टूबर माह में 17 बार दहके जंगल, लाखों रुपये की वन संपदा जलकर नष्ट

कुल्लू जिला में इस साल अक्टूबर महीने में ही जंगलों में 17 बार आग लग चुकी है. पिछले काफी समय से बारिश नहीं होने के कारण जंगलों में सूखी घास इकट्ठा हो गई है, जिस कारण आग की घटनाएं बढ़ रही हैं. हालांकि, अग्निशमन विभाग ने सराहनीय कार्य करते हुए आग से तीन करोड़ रुपये की वन संपदा को बचाया है.

Kullu forest fire
Kullu forest fire
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Published : Nov 12, 2020, 1:24 PM IST

कुल्लू: जिला कुल्लू के जंगल साल 2020 के अक्टूबर माह में सबसे अधिक बार दहक उठे हैं. अक्टूबर माह में ही 17 बार कुल्लू के जंगलों में आग लगी, जिस पर काबू पाने के लिए अग्निशमन कर्मियों के साथ-साथ स्थानीय युवक मंडलों को भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ी.

जंगलों में लगी आग के कारण 5 लाख रुपये से अधिक की वन संपदा जलकर नष्ट हुई है. हालांकि, अग्निशमन कर्मियों के प्रयासों के चलते साढ़े तीन करोड़ रुपये से अधिक की वन संपदा को जलने से बचाया गया है.

अग्निशमन कर्मियों के द्वारा लगातार ग्रामीण परिवेश में जाकर लोगों को जंगलों से दूर रहने के निर्देश जारी किए जा रहे हैं, लेकिन उसके बाद भी जंगलों से उठने वाला धुआं थमता हुआ नजर नहीं आ रहा. बीते दिन भी मुख्यालय के साथ लगते जंगल में अचानक आग भड़क उठी जिसे काबू करने के लिए स्थानीय ग्रामीणों को भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ी.

वीडियो.

अगर आग पर काबू नहीं पाया जाता तो साथ लगते करीब एक दर्जन मकान भी इसकी चपेट में आ जाते. विभाग के अनुसार जंगलों में आग सूखे के कारण ही लग रही है. लम्बे समय से घाटी में बारिश नहीं हो पाई है. जिसके चलते जंगलों में सूखी घास का भंडारण भी अधिक मात्रा में हो गया है और थोड़ी सी चिंगारी मिलते ही यह आग भयंकर रूप धारण कर रही है.

अग्निशमन विभाग के अधिकारी दुर्गा सिंह का कहना है कि इस साल अक्टूबर माह में सबसे ज्यादा आगजनी के मामले सामने आए हैं और अग्निशमन कर्मियों ने स्थानीय लोगों की मदद से आग पर काबू पाया है. वहीं, 5 लाख रुपये से अधिक की वन संपदा भी जलकर नष्ट हुई है.

गौर रहे कि जिला कुल्लू में घास की कटाई के बाद कुछ लोग अपनी घासनियों में आग लगा देते हैं. उनकी धारणा यह है कि आग लगने के बाद अगले साल दोबारा से घास अच्छे तरीके से उग पाएगा, लेकिन इस धारणा के चलते जंगल में रहने वाले पशु पक्षियों व वन संपदा को खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है.

कुल्लू: जिला कुल्लू के जंगल साल 2020 के अक्टूबर माह में सबसे अधिक बार दहक उठे हैं. अक्टूबर माह में ही 17 बार कुल्लू के जंगलों में आग लगी, जिस पर काबू पाने के लिए अग्निशमन कर्मियों के साथ-साथ स्थानीय युवक मंडलों को भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ी.

जंगलों में लगी आग के कारण 5 लाख रुपये से अधिक की वन संपदा जलकर नष्ट हुई है. हालांकि, अग्निशमन कर्मियों के प्रयासों के चलते साढ़े तीन करोड़ रुपये से अधिक की वन संपदा को जलने से बचाया गया है.

अग्निशमन कर्मियों के द्वारा लगातार ग्रामीण परिवेश में जाकर लोगों को जंगलों से दूर रहने के निर्देश जारी किए जा रहे हैं, लेकिन उसके बाद भी जंगलों से उठने वाला धुआं थमता हुआ नजर नहीं आ रहा. बीते दिन भी मुख्यालय के साथ लगते जंगल में अचानक आग भड़क उठी जिसे काबू करने के लिए स्थानीय ग्रामीणों को भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ी.

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अगर आग पर काबू नहीं पाया जाता तो साथ लगते करीब एक दर्जन मकान भी इसकी चपेट में आ जाते. विभाग के अनुसार जंगलों में आग सूखे के कारण ही लग रही है. लम्बे समय से घाटी में बारिश नहीं हो पाई है. जिसके चलते जंगलों में सूखी घास का भंडारण भी अधिक मात्रा में हो गया है और थोड़ी सी चिंगारी मिलते ही यह आग भयंकर रूप धारण कर रही है.

अग्निशमन विभाग के अधिकारी दुर्गा सिंह का कहना है कि इस साल अक्टूबर माह में सबसे ज्यादा आगजनी के मामले सामने आए हैं और अग्निशमन कर्मियों ने स्थानीय लोगों की मदद से आग पर काबू पाया है. वहीं, 5 लाख रुपये से अधिक की वन संपदा भी जलकर नष्ट हुई है.

गौर रहे कि जिला कुल्लू में घास की कटाई के बाद कुछ लोग अपनी घासनियों में आग लगा देते हैं. उनकी धारणा यह है कि आग लगने के बाद अगले साल दोबारा से घास अच्छे तरीके से उग पाएगा, लेकिन इस धारणा के चलते जंगल में रहने वाले पशु पक्षियों व वन संपदा को खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है.

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