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कसोल-मणिकर्ण आने वाले बाहरी वाहनों पर लगेगा साडा विकास शुल्क, यहां जानिए रेट लिस्ट - हिमाचल प्रदेश में पंजीकृत वाहन

पर्यावरण और पर्यटन की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण कसोल और मणिकर्ण जैसे क्षेत्रों में बढ़ते वाहनों व सैलानियों के दबाव के कारण पारिस्थितिकी को हो रहे नुकसान की समस्या से निपटने के लिए मंगलवार से महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है. साडा की बैठक में समस्त सदस्यों ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया है कि बाहरी प्रदेशों से आने वाले वाहनों से क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं के सृजन के लिए 'साडा विकास शुल्क' लगाया जाएगा.

DC Kullu ashutosh garg
कुल्लू उपायुक्त ने साडा विकास शुल्क को लेकर बैठक की.
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Published : Jul 27, 2021, 8:09 PM IST

कुल्लू: जिले के प्रसिद्ध धार्मिक और पर्यटन स्थल कसोल और मणिकर्ण में ढांचागत सुविधाओं के सृजन के लिए कसोल में प्रवेश करने वाले वाहनों से साडा विकास शुल्क ( Sada Development Fee) लिया जाएगा. उपायुक्त एवं साडा मणिकर्ण के अध्यक्ष आशुतोष गर्ग (DC Kullu ashutosh garg) ने मंगलवार को इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं. आदेश के अनुसार साडा विकास शुल्क हिमाचल प्रदेश में पंजीकृत वाहनों (Vehicles registered in Himachal Pradesh) पर नहीं लगेगा. डीसी ने यह आदेश साडा क्षेत्र मणिकर्ण के सदस्यों की ओर से पारित प्रस्ताव और इसी प्रकार के मामले में उच्च न्यायालय के एक आदेश और टीसीपी अधिनियम के तहत बतौर साडा अध्यक्ष शक्तियों का प्रयोग करते हुए जारी कर दिए हैं.

आदेश के अनुसार हिमाचल प्रदेश में पंजीकृत वाहनों के अलावा बाहरी प्रदेशों से आने वाले वाहनों पर साडा विकास शुल्क ( Sada Development Fee) की दरें निश्चित की गई हैं. दो पहिया वाहन का प्रवेश शुल्क 50 रुपए ए कार के लिए 100 रुपए ए एस यूवी और एमयू वी वाहनों के लिए शुल्क 300 रुपए जबकि सभी प्रकार की बसों और ट्रकों के लिए यह शुल्क 500 रुपए होगा.

आदेश के अनुसार जिला का मणिकर्ण-कसोल धार्मिक और पर्यटन की दृष्टि से एक प्रसिद्ध स्थल है. इस स्थल के पर्यावरण को संरक्षित करने और मूलभूत सुविधाओं का सृजन करने इसके साथ ही अन्य विकास के कार्यों को करने के लिए निधि (Fund) की आवश्यकता है. साडा की पिछले दिनों कुल्लू में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि साडा क्षेत्र को सभी प्रकार से विकसित करने और इसके सौंदर्य को बनाए रखने के लिए धनराशि का सृजन करना बहुत जरूरी है. सभी सदस्यों ने इस बात पर सहमति जताते हुए प्रस्ताव पारित किया कि मनाली की तर्ज पर कसोल-मणिकर्ण में वाहनों के प्रवेश पर साडा विकास शुल्क (Sada Development Fee) लिया जाए.

डीसी ने कहा कि मणिकर्ण और कसोल की ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्ता को ध्यान में रखते हुए इन क्षेत्रों को विकसित करने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार (State Government) ने दोनों ग्राम पंचायतों को साड्डा के अंतर्गत शामिल किया है. दोनों ही ग्राम पंचायतों में देश एवं विदेश से साल भर बड़ी संख्या में श्रद्धालु और सैलानी आते हैं. इन क्षेत्रों के पर्यटन को ध्यान में रखते हुए सैलानियों के लिए मूलभूत सुविधाओं का सृजन करना और पारिस्थितिकी का संरक्षण करना जरूरी है. इन्हीं पहलुओं को ध्यान में रखते हुए इन क्षेत्रों साडा विकास शुल्क लगाने का निर्णय लिया गया है. डीसी ने कहा कि फिलहाल यह आदेश तुरंत प्रभाव से लागू कर दिए गए हैं और बैरियर भी मंगलवार, 27 जुलाई से स्थापित कर दिया गया है.

कुल्लू: जिले के प्रसिद्ध धार्मिक और पर्यटन स्थल कसोल और मणिकर्ण में ढांचागत सुविधाओं के सृजन के लिए कसोल में प्रवेश करने वाले वाहनों से साडा विकास शुल्क ( Sada Development Fee) लिया जाएगा. उपायुक्त एवं साडा मणिकर्ण के अध्यक्ष आशुतोष गर्ग (DC Kullu ashutosh garg) ने मंगलवार को इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं. आदेश के अनुसार साडा विकास शुल्क हिमाचल प्रदेश में पंजीकृत वाहनों (Vehicles registered in Himachal Pradesh) पर नहीं लगेगा. डीसी ने यह आदेश साडा क्षेत्र मणिकर्ण के सदस्यों की ओर से पारित प्रस्ताव और इसी प्रकार के मामले में उच्च न्यायालय के एक आदेश और टीसीपी अधिनियम के तहत बतौर साडा अध्यक्ष शक्तियों का प्रयोग करते हुए जारी कर दिए हैं.

आदेश के अनुसार हिमाचल प्रदेश में पंजीकृत वाहनों के अलावा बाहरी प्रदेशों से आने वाले वाहनों पर साडा विकास शुल्क ( Sada Development Fee) की दरें निश्चित की गई हैं. दो पहिया वाहन का प्रवेश शुल्क 50 रुपए ए कार के लिए 100 रुपए ए एस यूवी और एमयू वी वाहनों के लिए शुल्क 300 रुपए जबकि सभी प्रकार की बसों और ट्रकों के लिए यह शुल्क 500 रुपए होगा.

आदेश के अनुसार जिला का मणिकर्ण-कसोल धार्मिक और पर्यटन की दृष्टि से एक प्रसिद्ध स्थल है. इस स्थल के पर्यावरण को संरक्षित करने और मूलभूत सुविधाओं का सृजन करने इसके साथ ही अन्य विकास के कार्यों को करने के लिए निधि (Fund) की आवश्यकता है. साडा की पिछले दिनों कुल्लू में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि साडा क्षेत्र को सभी प्रकार से विकसित करने और इसके सौंदर्य को बनाए रखने के लिए धनराशि का सृजन करना बहुत जरूरी है. सभी सदस्यों ने इस बात पर सहमति जताते हुए प्रस्ताव पारित किया कि मनाली की तर्ज पर कसोल-मणिकर्ण में वाहनों के प्रवेश पर साडा विकास शुल्क (Sada Development Fee) लिया जाए.

डीसी ने कहा कि मणिकर्ण और कसोल की ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्ता को ध्यान में रखते हुए इन क्षेत्रों को विकसित करने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार (State Government) ने दोनों ग्राम पंचायतों को साड्डा के अंतर्गत शामिल किया है. दोनों ही ग्राम पंचायतों में देश एवं विदेश से साल भर बड़ी संख्या में श्रद्धालु और सैलानी आते हैं. इन क्षेत्रों के पर्यटन को ध्यान में रखते हुए सैलानियों के लिए मूलभूत सुविधाओं का सृजन करना और पारिस्थितिकी का संरक्षण करना जरूरी है. इन्हीं पहलुओं को ध्यान में रखते हुए इन क्षेत्रों साडा विकास शुल्क लगाने का निर्णय लिया गया है. डीसी ने कहा कि फिलहाल यह आदेश तुरंत प्रभाव से लागू कर दिए गए हैं और बैरियर भी मंगलवार, 27 जुलाई से स्थापित कर दिया गया है.

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