कुल्लू: कलयुग में भगवान भैरव जागृत देवता माने गए हैं और भगवान भैरव की कृपा पाने के लिए भक्त कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का व्रत करते हैं. भगवान शिव के अवतार माने जाने वाले भगवान भैरव भक्तों पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं और भक्तों पर किसी भी प्रकार की विपदा नहीं आने देते हैं. ऐसे में ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कालाष्टमी का व्रत किया जाएगा और भगवान भैरव के भक्तों के लिए यह दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है. इस दिन भगवान भैरव के भक्त पूरे दिन उपवास रखते हैं और कालाष्टमी के दिन उनकी विशेष पूजा-अर्चना भी करते हैं.
आज भगवान भैरव के भक्त रखेंगे व्रत: आचार्य चंद्र भानु का कहना है कि कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन ही भगवान शिव भैरव रूप में प्रकट हुए थे और काल भैरव जयंती को भैरव अष्टमी के दिन से भी जाना जाता है. 12 मई को ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन को कालाष्टमी का व्रत रखा जाएगा. इसकी शुरुआत 12 मई सुबह 9:07 से लेकर 13 मई सुबह 6:51 तक होगी. ऐसे में भगवान भैरव के भक्त शुक्रवार के दिन व्रत रखेंगे.
चार शुभ योग बनेंगे: कालाष्टमी के दिन चार शुभ योग का भी निर्माण हो रहा है. इस दिन शुक्ल योग 12 मई को दोपहर 12:18 तक होगा. उसके बाद ब्रह्मा योग 12:18 से लेकर 13 मई को सुबह 9:23 तक होगा. सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 5:33 से दोपहर 1:03 तक होगा और रवि योग भी सुबह 5:33 से लेकर दोपहर 1:03 तक रहेगा.
शिव-पार्वती की पूजा से भी मिलता फल: कालाष्टमी के दिन व्यक्ति को भगवान काल भैरव की विधिवत पूजा अर्चना करनी चाहिए. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा से भी शुभ फलों की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि भगवान काल भैरव की उपासना से भक्तों को रोग दोष और तनाव से मुक्ति मिलती है. इसके अलावा जो व्यक्ति शत्रुओं से पीड़ित हो रहा हो या फिर अदालत में कोई विवाद चल रहा हो, तो उसमें भी व्यक्ति को सफलता मिलती है.
ये भी पढ़ें : उल्लुओं के लिए 'कालरात्रि' से कम नहीं दीपावली, तंत्र-मंत्र के लिए दी जाती है बलि