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पारंपरिक रीति रिवाज से हुई भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना, दिन भर चला कुल्लवी नाटियों का दौर - जन्माष्टमी का खूब आंनद लिया

प्रदेश भर से श्रद्धालुओं ने श्रीकृष्ण मंदिर मुरलीधर बटाला में मनाया जन्माष्टमी का पर्व. कुल्लवी नाटी और भजन-कीर्तन का आयोजन कर पारंपरिक तौर तरीके से जन्माष्टमी का खूब आंनद लिया.

janmastmi
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Published : Aug 24, 2019, 7:14 PM IST

कुल्लू: जिला के आनी विधानसभा क्षेत्र का एक मात्र भगवान श्रीकृष्ण मंदिर मुरलीधर बटाला में प्राचीन समय से जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से पारंपरिक रीति रिवाजों के साथ मनाया जाता आ रहा है. यहां आयोजित दो दिवसीय जन्माष्टमी पर्व को मनाने के लिए प्रदेश भर से श्रद्धालु पहुंचते हैं.

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बता दें कि मंदिर के प्रांगण में पारंपरिक कुल्लवी नाटी डालकर खूब लुत्फ उठाया और रात 12 बजे तक भजन कीर्तन का आयोजन भी किया. यह परंपरा यहां बेहद प्राचीन है. वहीं, मध्यरात्रि को भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का वृतांत सुनाकर भक्तों ने इस पर्व का समापन किया.

कुल्लू: जिला के आनी विधानसभा क्षेत्र का एक मात्र भगवान श्रीकृष्ण मंदिर मुरलीधर बटाला में प्राचीन समय से जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से पारंपरिक रीति रिवाजों के साथ मनाया जाता आ रहा है. यहां आयोजित दो दिवसीय जन्माष्टमी पर्व को मनाने के लिए प्रदेश भर से श्रद्धालु पहुंचते हैं.

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बता दें कि मंदिर के प्रांगण में पारंपरिक कुल्लवी नाटी डालकर खूब लुत्फ उठाया और रात 12 बजे तक भजन कीर्तन का आयोजन भी किया. यह परंपरा यहां बेहद प्राचीन है. वहीं, मध्यरात्रि को भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का वृतांत सुनाकर भक्तों ने इस पर्व का समापन किया.

Intro:कुल्लू
आनी क़े एकमात्र श्रीकृष्ण मंदिर मुरलीधर बटाला में धूमधाम क़े साथ मनाया गया जन्माष्टमी पर्व
दिन भर चला कुल्लवी नाटियों का दौर , पारंपरिक रिति रिवाजों से हुई भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अर्चना
-आनी क़े विभिन्न मन्दिरों में भी लोगों ने देवालयों में नवाजा शीश Body:

आनी विधानसभा क्षेत्र का एक मात्र भगवान श्रीकृष्ण मंदिर मुरलीधर बटाला में प्राचीन समय से जन्माष्टमी पर्व धूमधाम क़े साथ पारंपरिक रिति रिवाजों से मनाया जाता आ रहा है । यहां आयोजित दो दिवसीय जन्माष्टमी पर्व क़ो मनाने प्रदेश भर से श्रद्धालु पहुंचते है । मंदिर परिसर में यहां शुक्रवार सुबह से ही भक्तो क़े आने का तांता लगा रहा । मंदिर में जहाँ स्थानीय लोग पारंपरिक तरीके से श्रीकृष्ण की पूजा अर्चना कर प्राचीन भजनों क़े गुणगान कर माहौल क़ो भक्तिमय बनाते हैं । वहीं मंदिर क़े प्रांगण में पारंपरिक कुल्लवी नाटी डालकर बाहर से आए लोग खूब लुत्फ उठाते हैं । ये परंपरा यहां बेहद प्राचीन है । सभी भक्तजन रात 12 बजे तक भजन कीर्तन व नाटी का आयोजन करते रहे । वहीं मध्यरात्रि क़ो भगवान श्रीकृष्ण क़े जन्म का वृतांत सुनाकर भक्तों ने इस पर्व का समापन किया । Conclusion:इस दौरान नाटी क़े साथ साथ स्वांग नृत्य का आयोजन भी किया गया ।
वहीं , आनी क़े विभिन्न मन्दिरों में भी रात भर भजन कीर्तन का आयोजन हुआ । आनी क़े शिव मंदिर कराना , खेगसू माता मंदिर , शमशर मंदिर , दलाश क़े जोगेश्वर महादेव मंदिर सहित कई मन्दिरों में भक्तों का तांता लगा रहा ।
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