कुल्लू: फोरलेन संघर्ष समिति कुल्लू (Four lane Sangharsh Samiti Kullu) के अध्यक्ष दिनेश सेन ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि फैक्टर-2 लागू नहीं किया गया और भू-अधिग्रहण 2013 की अनदेखी की गई, तो 30 अप्रैल के बाद विशाल आंदोलन होंगे. आंदोलन के जरिए सरकार के खिलाफ जबरदस्त मुहिम खड़ी की जाएगी. उन्होंने कहा कि बुधवार को कार्यकारिणी की बैठक आयोजित की गई, जिसमें इस संबंध में चर्चा की गई. उन्होंने कहा कि बीते 7 वर्षों से फोरलेन सड़क निर्माण के कारण प्रभावित और विस्थापित परिवार सरकार से अपनी समस्याओं के समाधान के लिए गुहार लगा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि पूर्व कांग्रेस सरकार द्वारा प्रभावितों के साथ बार-बार बैठकें करवाए जाने के बावजूद भी भू-अधिग्रहण कानून 2013 की अनदेखी की गई. जबकि भारतीय जनता पार्टी द्वारा उस समय विपक्ष में रहते हुए इस पर विधानसभा के अंदर और बाहर भी सार्वजनिक रूप से प्रभावितों को न्याय प्राप्ति हेतु निरंतर जोरदार समर्थन किया गया था. वर्ष 2017 को प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव के समय भाजपा द्वारा अपने घोषणापत्र में भी इस मुद्दे को शामिल करने के साथ-साथ वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का वादा किया था.
वर्तमान प्रदेश सरकार द्वारा दो केबिनेट कमेटियों के गठन के बावजूद भी गत चार वर्षों से इस पर कोई भी समाधान नहीं निकाल पाया है. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के लगभग सभी विधानसभा क्षेत्र फोरलेन और अन्य राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण के कारण (Four lane projects in Himachal) प्रभावित है. कुल्लू घाटी में रामशिला से लेकर कोठी तक व्यास नदी का समूचा वामतट क्षेत्र टू लेन सड़क निर्माण के कारण निकट भविष्य में शीघ्र प्रभावित होने वाला है. वहीं, रामशिला से लेकर मनाली तक का क्षेत्र भी टू लेन से फोरलेन का होना भी निश्चित हैं.
उन्होंने कहा कि भू-अधिग्रहण कानून 2013 (Land Acquisition Act 2013) में प्रभावितों और विस्थापितों को पुनर्वास तथा पुनर्स्थापना का अधिकार दिया गया है. इसमें प्रावधान है कि इसमें अधिग्रहित होने वाली भूमि का मुआवजा मार्केट रेट के अनुसार फैक्टर टू लगाकर दिया जाए. जबकि यहां सर्कल रेट पर फैक्टर एक लगाकर मुआवजा वास्तविक मूल्य की तुलना में बहुत ही कम दिया गया है. उन्होंने कहा कि इस सड़क निर्माण के कारण अतिरिक्त भूमि और मकानों की भी भारी क्षति हो रही है.
इस सड़क में हुए घटिया निर्माण कार्य के कारण जगह-जगह यह सड़क बार-बार क्षतिग्रस्त हो रही है और इसमें सदैव निरंतर रूप से हो रही दुर्घटनाओं के कारण जान माल का भी नुकसान हो रहा है. उन्होंने कहा कि कई स्थानों पर इस सड़क निर्माण के कारण आवागमन के स्थानीय रास्ते और सम्पर्क सड़कें जो प्रायः नष्ट किए गए थे, उनको भी एनएचएआई द्वारा पुनर्निर्मित नहीं किया गया. इसके अतिरिक्त इससे यहां अनेक प्रकार की अन्य कठिनाइयां भी उत्पन्न हुई है.
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