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राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में आजीविका सुनिश्चित कर रहा आनी विकास खंड - क्या है राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन

आनी में बीते एक साल में तय लक्ष्य से अधिक स्वयं सहायता समूह के गठन को मंजूरी दी गई है. इस साल मार्च तक विकास खंड के तहत 75 स्वयं सहायता समूह बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, लेकिन 120 समूहों का गठन कर लिया गया है.

Aani development block ensuring livelihood in National Rural Livelihoods Mission
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में आजीविका सुनिश्चित कर रहा आनी विकास खंड
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Published : Mar 28, 2021, 6:22 PM IST

आनीः राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के लक्ष्यों को हासिल करने और ग्रामीण आजीविका को सुनिश्चित करने के लिए जहां सरकार प्रयासरत है, वहीं विकास खंड आनी भी इस कार्य में कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग कर रहा है.

यहां बीते एक साल में तय लक्ष्य से अधिक स्वयं सहायता समूह के गठन को मंजूरी दी गई है. इनको अभी तक स्टार्ट-अप फंड और रिवाल्विंग फंड के तहत करीब 22 लाख 55 हजार की राशि भी वितरित की जा चुकी है. इस फंड से महिलाएं विभिन्न प्रकार के स्वरोजगार से जुड़कर अपनी आजीविका को सुनिश्चित कर रही हैं.

आनी में 75 स्वयं सहायता समूह

इस साल मार्च तक विकास खंड के तहत 75 स्वयं सहायता समूह बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, लेकिन 120 समूहों का गठन कर लिया गया है. इसे स्टार्ट अप फंड भी बांट दिया गया है. विकास खंड के तहत कुल 221 स्वयं सहायता समूह राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत पंजीकृत हो चुके हैं. यह स्वयं सहायता समूह कृषि संबंधी गतिविधियों, हस्त शिल्प कला और अन्य प्रकार के लघु व्यवसाय के तहत अपनी आजीविका प्राप्त कर रहे हैं.

खंड विकास कार्यालय की ओर से इस योजना में स्टार्ट अप फंड के तहत 2500 रुपये प्रति समूह और छह माह बाद रिवाल्विंग फंड के तहत 15000 रुपये राशि वितरित की जाती है. महिलाओं द्वारा बनाए गए समूहों में समूहों के भीतर आतंरिक ऋण की भी व्यवस्था रहती है. खंड विकास अधिकारी जीसी पाठक का कहना है कि इस योजना को सिरे चढ़ाने के लिए खंड विकास कार्यालय प्रशासन कृत संकल्प है. इस वित्त वर्ष में योजना के तहत अधिकतर लक्ष्य पूरे किए गए हैं और स्वयं सहायता समूहों का गठन लक्ष्य से अधिक किया गया है. आगामी समय में योजना के तहत महिलाओं के उत्थान के लिए दृढ़ता से कार्य किया जाएगा.

32 लाख रुपये तक का ऋण बांटा गया

विकास खंड आनी द्वारा बैंक के माध्यम से इसी योजना के तहत इस साल अभी तक महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को व्यवसाय करने के लिए 32 लाख रुपये तक का ऋण भी वितरित करवा चुका है. खंड द्वारा 43.5 लाख रुपये का ऋण योजना के तहत वितरित करने का लक्ष्य रखा गया है. इसके चलते महिलाओं को खुद के व्यवसाय कर महिलाओं की आर्थिक सशक्तिकरण का रास्ता जहां खुला है. वहीं महिलाओं का भी आत्मनिर्भर होने के प्रति रुझान बढ़ा है.

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5 लाख तक ऋण की है सुविधा

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत स्वयं सहायता समूहों को व्यवसाय करने के लिए 5 लाख रुपये तक के ऋण का प्रावधान है. शुरुआत में खंड विकास कार्यालय के तहत 1 लाख रुपये का ऋण पात्र स्वयं सहायता समूह को वितरित किया जाता है. यदि ऋण वापसी में स्वयं सहायता समूह नियमों का पालन करता है, तो इसके पश्चात 3 लाख रुपये का ऋण समूहों को वितरित किया जा सकता है. इसी तरह 5 लाख रुपये तक का ऋण योजना के तहत स्वंय सहायता समूह प्राप्त कर सकते हैं.

क्या है राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन- ग्रामीण विकास मंत्रालय का उद्देश्य ग्रामीण गरीब परिवारों को देश की मुख्यधारा से जोड़ना और विभिन्न कार्यक्रमों के जरिये उनकी गरीबी दूर करना है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए मंत्रालय ने जून, 2011 में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की शुरूआत की थी. 29 मार्च, 2016 से एनआरएलएम का नाम बदल कर डीएवाई-एनआरएलएम दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन कर दिया गया है. उक्त कार्यक्रम, सरकार का गरीब, विशेष रूप से महिलाओं हेतु मजबूत संस्थानों के निर्माण एवं वित्तीय सेवाओं और आजीविका सेवाओं से इन्हें जोड़ने का प्रमुख कार्यक्रम है.

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आनीः राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के लक्ष्यों को हासिल करने और ग्रामीण आजीविका को सुनिश्चित करने के लिए जहां सरकार प्रयासरत है, वहीं विकास खंड आनी भी इस कार्य में कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग कर रहा है.

यहां बीते एक साल में तय लक्ष्य से अधिक स्वयं सहायता समूह के गठन को मंजूरी दी गई है. इनको अभी तक स्टार्ट-अप फंड और रिवाल्विंग फंड के तहत करीब 22 लाख 55 हजार की राशि भी वितरित की जा चुकी है. इस फंड से महिलाएं विभिन्न प्रकार के स्वरोजगार से जुड़कर अपनी आजीविका को सुनिश्चित कर रही हैं.

आनी में 75 स्वयं सहायता समूह

इस साल मार्च तक विकास खंड के तहत 75 स्वयं सहायता समूह बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, लेकिन 120 समूहों का गठन कर लिया गया है. इसे स्टार्ट अप फंड भी बांट दिया गया है. विकास खंड के तहत कुल 221 स्वयं सहायता समूह राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत पंजीकृत हो चुके हैं. यह स्वयं सहायता समूह कृषि संबंधी गतिविधियों, हस्त शिल्प कला और अन्य प्रकार के लघु व्यवसाय के तहत अपनी आजीविका प्राप्त कर रहे हैं.

खंड विकास कार्यालय की ओर से इस योजना में स्टार्ट अप फंड के तहत 2500 रुपये प्रति समूह और छह माह बाद रिवाल्विंग फंड के तहत 15000 रुपये राशि वितरित की जाती है. महिलाओं द्वारा बनाए गए समूहों में समूहों के भीतर आतंरिक ऋण की भी व्यवस्था रहती है. खंड विकास अधिकारी जीसी पाठक का कहना है कि इस योजना को सिरे चढ़ाने के लिए खंड विकास कार्यालय प्रशासन कृत संकल्प है. इस वित्त वर्ष में योजना के तहत अधिकतर लक्ष्य पूरे किए गए हैं और स्वयं सहायता समूहों का गठन लक्ष्य से अधिक किया गया है. आगामी समय में योजना के तहत महिलाओं के उत्थान के लिए दृढ़ता से कार्य किया जाएगा.

32 लाख रुपये तक का ऋण बांटा गया

विकास खंड आनी द्वारा बैंक के माध्यम से इसी योजना के तहत इस साल अभी तक महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को व्यवसाय करने के लिए 32 लाख रुपये तक का ऋण भी वितरित करवा चुका है. खंड द्वारा 43.5 लाख रुपये का ऋण योजना के तहत वितरित करने का लक्ष्य रखा गया है. इसके चलते महिलाओं को खुद के व्यवसाय कर महिलाओं की आर्थिक सशक्तिकरण का रास्ता जहां खुला है. वहीं महिलाओं का भी आत्मनिर्भर होने के प्रति रुझान बढ़ा है.

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5 लाख तक ऋण की है सुविधा

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत स्वयं सहायता समूहों को व्यवसाय करने के लिए 5 लाख रुपये तक के ऋण का प्रावधान है. शुरुआत में खंड विकास कार्यालय के तहत 1 लाख रुपये का ऋण पात्र स्वयं सहायता समूह को वितरित किया जाता है. यदि ऋण वापसी में स्वयं सहायता समूह नियमों का पालन करता है, तो इसके पश्चात 3 लाख रुपये का ऋण समूहों को वितरित किया जा सकता है. इसी तरह 5 लाख रुपये तक का ऋण योजना के तहत स्वंय सहायता समूह प्राप्त कर सकते हैं.

क्या है राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन- ग्रामीण विकास मंत्रालय का उद्देश्य ग्रामीण गरीब परिवारों को देश की मुख्यधारा से जोड़ना और विभिन्न कार्यक्रमों के जरिये उनकी गरीबी दूर करना है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए मंत्रालय ने जून, 2011 में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की शुरूआत की थी. 29 मार्च, 2016 से एनआरएलएम का नाम बदल कर डीएवाई-एनआरएलएम दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन कर दिया गया है. उक्त कार्यक्रम, सरकार का गरीब, विशेष रूप से महिलाओं हेतु मजबूत संस्थानों के निर्माण एवं वित्तीय सेवाओं और आजीविका सेवाओं से इन्हें जोड़ने का प्रमुख कार्यक्रम है.

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