कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू में आग लगने की घटनाएं सबसे अधिक सामने आती हैं. इसमें भी सबसे ज्यादा बार लापरवाही के कारण घरों में आग लगती है. अब तक जिला कुल्लू के कई गांव आग की चपेट में आ चुके हैं और कई जगह पर पूरे के पूरे गांव ही जल गए, जिन्हें फिर से बसाया गया है. जिले में आग की ऐसी घटनाएं दोबारा न हो और इससे बचाव का सरकार ने उपाय खोज निकाला है.
64 संवेदनशील गांव चिन्हित: जानकारी के अनुसार जिला प्रशासन ने दूर-दराज के उन इलाकों का चयन किया है, जहां पर अग्निकांड के मामले ज्यादा आते हैं. इसके तहत जिला कुल्लू के दूर दराज क्षेत्र के 64 ऐसे संवेदनशील गांव चिन्हित किए गए हैं, जहां पर पेयजल की किल्लत रहती है. ऐसे में अग्निकांड के समय यहां आग बुझाने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध नहीं होता है. जिला प्रशासन द्वारा इन 64 संवेदनशील गांव में एक लाख लीटर पानी की क्षमता वाले प्री फैब्रिकेटेड जिंक एल्युमीनियम वाटर टैंक का निर्माण करवाया जाएगा, ताकि आग की घटना होते ही उस पर काबू पाया जा सके.
मझाणा गांव में जले थे 12 मकान: मिली जानकारी के अनुसार कुल्लू जिले में 11 दिसंबर 2021 को सैंज घाटी के मझाण गांव में आग लगने से 12 मकान, एक मंदिर जलकर राख हो गया था. उस समय प्रशासन ने संबंधित विभाग को दूर दराज ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे संवेदनशील गांव को चिन्हित करने के निर्देश जारी किए थे. इसके बाद प्रत्येक उपमंडल में ऐसे संवेदनशील इलाकों का चयन किया गया. यह जिम्मेदारी जिला प्रशासन द्वारा सभी उपमंडल के एसडीएम को सौंपी थी. चिन्हित संवेदनशील गांवों के तहत आनी में 11 गांव, बंजार में 10, निरमंड में 9 गांव, मनाली में 10 गांव और कुल्लू में सबसे अधिक 24 गांव का चयन किया गया है. इन सभी 64 संवेदनशील स्थानों पर एक लाख लीटर क्षमता वाले प्री फैब्रिकेटेड जिंक एल्युमीनियम वाटर टैंक के निर्माण के लिए 11 करोड़ 43 लाख 18 हजार 080 रुपये का प्रपोजल सरकार को भेजा गया है. इसकी अनुमति आते ही इन टैंक का निर्माण करवाया जाएगा.
इन गांव का हुआ है चयन: कुल्लू में चाचोगी, फोज़ल, बबेली, हलैनी, डुघीलग, बसतोरी, नरोगी, सांगठन, लाहाशनी, भ्रेण, जनाहल, नरोगी, मानसु, छवारा, रशोल, मलाणा. आनी में ठारवी, फनौटी, पोखरी, बुच्छैर, शगान, ओलवा, नगौट, खादवी. बंजार में परवारी, डिंगचा, कनौन, गशीनी, शाक्टी, मैल, मझाण. निरमंड में दुराह, खनोटा, कशांदी, जुआगी, धार, गुढ़ी, विजापुर, दराड, बोडलापाच. मनाली में जगतसुख, सोलंग, मझव, सेथन, शालीन, कन्याल, शेगली, बुरूआ, ओल्ड मनाली गांव को चिन्हित किया गया है.
ये गांव हो चुके हैं राख: जिला कुल्लू में साल 2006 में प्राचीनतम गांव मलाणा में सौ से अधिक घर जल गए थे. ये मलाणा में अबतक का सबसे भयंकर अग्निकांड था. साल 2006 में मणिकर्ण के शिल्हा गांव, साल 2007 में बंजार के मोहनी में लगी आग में 90 घर व गौशालाएं जलकर राख हो गई थीं. साल 2007 में भुंतर में आधा दर्जन से अधिक दुकानें, साल 2008 में पूरा मनाली का सोलंग गांव, साल 2009 में निरमंड के जुआगी गांव में 30 घर, 15 नवंबर 2015 को कोटला गांव में 40 घर, 27 अक्टूबर 2021 को मलाणा गांव में 16 मकान, 11 दिसंबर 2021 को मझाण गांव में 12 मकान एक मंदिर, 10 अप्रैल 2023 को बंजार के पुराने बस अड्डे 9 दुकानें, 4 मकान, अब 14 दिसंबर 2023 को सैंज के पटैला गांव में नौ मकान जलकर राख हो गए. कुल्लू जिले में पिछले 15 से 18 सालों में अग्निकांड ने भारी तबाही मचाई है और करोड़ों की संपत्ति जलकर राख हो गई है.
सरकार को भेजी योजना: डीसी कुल्लू आशुतोष गर्ग ने बताया कि जिला कुल्लू में आग लगने की सबसे अधिक घटनाएं पेश आती हैं. इसके लिए ऐसे संवेदनशील 64 गांव का चयन किया गया है, जहां सबसे ज्यादा आग लगने के मामले सामने आते हैं, लेकिन इन इलाकों में पानी की भारी किल्लत के कारण आग पर काबू पाना मुश्किल हो जाता है. इन गांव में एक लाख लीटर क्षमता वाले प्री फैब्रिकेटेड जिंक एल्युमीनियम वाटर टैंक के निर्माण किया जाएगा. इसके लिए योजना तैयार कर सरकार को भेजी गई है. सरकार से योजना पर अनुमति मिलते ही इस पर काम करना शुरू कर दिया जाएगा.
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