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ढालपुर अस्पताल की ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर यूनिट नहीं हो पाया शुरू, एक साल बाद भी नहीं मिला लाइसेंस

Dhalpur Blood Component Separation Unit: ढालपुर के क्षेत्रीय अस्पताल में ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट बनकर तैयार है, लेकिन शुरू होने के लिए उसे लाइसेंस का इंतजार है. करीब एक साल बीत गया, लेकिन अब तक लाइसेंस नहीं मिलने के कारण यह अब तक शुरू नहीं हो पाया है. जिससे सरकार के बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने वाले दावों की पोल खोलती नजर आ रही है. पढ़ें पूरी खबर..

Dhalpur blood component separator not get license
ढालपुर अस्पताल की ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर यूनिट को एक साल बाद भी नही मिला लाइसेंस
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Dec 20, 2023, 8:16 PM IST

कुल्लू: जिला कुल्लू के मुख्यालय ढालपुर के क्षेत्रीय अस्पताल में सरकार के उदासीन रवैया के चलते ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर मशीन की एक साल के बाद भी मरीजों को यह सुविधा नहीं मिल पाई है. मरीजों के लिए मेडिकल कॉलेज की तर्ज पर ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर मशीन तो स्थापित की गई, लेकिन 1 साल से अधिक समय बीतने के बाद इस मशीन को ना तो लाइसेंस मिल पाया है और ना ही इस मशीन को चलाने के लिए टेक्नीशियन की नियुक्ति हो पाई है. वहीं, प्रदेश सरकार हर जगह पर जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने का दावा तो करती है, लेकिन ढालपुर अस्पताल में एक साल से इस यूनिट को लाइसेंस न मिलना सरकार की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़ा कर रहा है.

दरअसल, पूर्व की भाजपा सरकार के समय में यह ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर मशीन स्थापित की गई थी. इस मशीन के यहां पर स्थापित होने से मरीजों को खून के चार तत्व को अलग-अलग करने की सुविधा मिलनी थी. जिससे मरीजों को काफी फायदा होता, लेकिन लाइसेंस न होने के चलते इसे अभी तक शुरू नहीं किया गया है. ऐसे में यह मशीन ढालपुर अस्पताल में धूल फांक रही है. स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सितंबर 2022 में यह मशीन स्थापित की गई थी और इस मशीन को लगाए 1 साल से अधिक का समय बीत चुका है. स्वास्थ्य विभाग के द्वारा इस यूनिट को चलाने के लिए लाइसेंस के लिए आवेदन किया गया है, लेकिन अभी तक सरकार की ओर से इसे मंजूरी नहीं मिल पाई है. इसके अलावा इस मशीन को चलाने के लिए टेक्नीशियन की भी नियुक्ति नहीं हो पाई है.

बता दें कि ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर मशीन के माध्यम से ब्लड के भीतर चार कंपोनेंट यानी चार तत्वों को अलग-अलग करने की व्यवस्था होती है. जिसमें श्वेत रक्त कणिका, लाल रक्त, प्लेटलेट्स, प्लाज्मा आदि तत्व शामिल होते हैं. आमतौर पर एक यूनिट रक्त में पाए जाने वाले तत्वों को सामान्य रूप से पूरा एक साथ चढ़ाया जाता है, लेकिन इस सुविधा के माध्यम से इन चार तत्वों को अलग-अलग रूप में चढ़ने की सुविधा होगी. जिस मरीज में खून के जिस कंपोनेंट की कमी होगी. उसे इस मशीन के माध्यम से वही तत्व चढ़ाया जाएगा.

हिमाचल प्रदेश में ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर की सुविधा बड़े अस्पतालों जिम खासकर मेडिकल कॉलेज स्तर के अस्पताल शामिल है. ऐसे में अब इस सुविधा को जिला अस्पतालों में भी उपलब्ध करने की स्वास्थ्य विभाग के द्वारा तैयारी की गई है. जिसके तहत ढालपुर अस्पताल में भी यह मशीन लगाई गई है, लेकिन सरकार के उदासीन रवैया के चलते एक साल के बाद भी मरीज को यह सुविधा नहीं मिल पाई है.

कुल्लू स्वास्थ्य विभाग के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. नागराज पवार ने बताया कि अस्पताल में यह मशीन एक साल पहले ही स्थापित की जा चुके हैं, लेकिन अभी तक इसका लाइसेंस नहीं मिल पाया है. लाइसेंस के लिए आवेदन किया गया है और जल्द ही उसे मंजूरी मिल जाएगी. इसके अलावा टेक्नीशियन को भी इस बारे ट्रेनिंग दी जा रही है. जल्द ही यह मशीन ढालपुर अस्पताल में शुरू की जाएगी और मरीजों को विभिन्न खून के तत्वों की सुविधा मिल पाएगी.

ये भी पढ़ें: घुमारवीं में बनेगी हिमाचल की पहली स्पेस लैब, साइंस की बारीकियां सीखेंगे स्टूडेंट्स

कुल्लू: जिला कुल्लू के मुख्यालय ढालपुर के क्षेत्रीय अस्पताल में सरकार के उदासीन रवैया के चलते ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर मशीन की एक साल के बाद भी मरीजों को यह सुविधा नहीं मिल पाई है. मरीजों के लिए मेडिकल कॉलेज की तर्ज पर ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर मशीन तो स्थापित की गई, लेकिन 1 साल से अधिक समय बीतने के बाद इस मशीन को ना तो लाइसेंस मिल पाया है और ना ही इस मशीन को चलाने के लिए टेक्नीशियन की नियुक्ति हो पाई है. वहीं, प्रदेश सरकार हर जगह पर जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने का दावा तो करती है, लेकिन ढालपुर अस्पताल में एक साल से इस यूनिट को लाइसेंस न मिलना सरकार की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़ा कर रहा है.

दरअसल, पूर्व की भाजपा सरकार के समय में यह ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर मशीन स्थापित की गई थी. इस मशीन के यहां पर स्थापित होने से मरीजों को खून के चार तत्व को अलग-अलग करने की सुविधा मिलनी थी. जिससे मरीजों को काफी फायदा होता, लेकिन लाइसेंस न होने के चलते इसे अभी तक शुरू नहीं किया गया है. ऐसे में यह मशीन ढालपुर अस्पताल में धूल फांक रही है. स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सितंबर 2022 में यह मशीन स्थापित की गई थी और इस मशीन को लगाए 1 साल से अधिक का समय बीत चुका है. स्वास्थ्य विभाग के द्वारा इस यूनिट को चलाने के लिए लाइसेंस के लिए आवेदन किया गया है, लेकिन अभी तक सरकार की ओर से इसे मंजूरी नहीं मिल पाई है. इसके अलावा इस मशीन को चलाने के लिए टेक्नीशियन की भी नियुक्ति नहीं हो पाई है.

बता दें कि ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर मशीन के माध्यम से ब्लड के भीतर चार कंपोनेंट यानी चार तत्वों को अलग-अलग करने की व्यवस्था होती है. जिसमें श्वेत रक्त कणिका, लाल रक्त, प्लेटलेट्स, प्लाज्मा आदि तत्व शामिल होते हैं. आमतौर पर एक यूनिट रक्त में पाए जाने वाले तत्वों को सामान्य रूप से पूरा एक साथ चढ़ाया जाता है, लेकिन इस सुविधा के माध्यम से इन चार तत्वों को अलग-अलग रूप में चढ़ने की सुविधा होगी. जिस मरीज में खून के जिस कंपोनेंट की कमी होगी. उसे इस मशीन के माध्यम से वही तत्व चढ़ाया जाएगा.

हिमाचल प्रदेश में ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर की सुविधा बड़े अस्पतालों जिम खासकर मेडिकल कॉलेज स्तर के अस्पताल शामिल है. ऐसे में अब इस सुविधा को जिला अस्पतालों में भी उपलब्ध करने की स्वास्थ्य विभाग के द्वारा तैयारी की गई है. जिसके तहत ढालपुर अस्पताल में भी यह मशीन लगाई गई है, लेकिन सरकार के उदासीन रवैया के चलते एक साल के बाद भी मरीज को यह सुविधा नहीं मिल पाई है.

कुल्लू स्वास्थ्य विभाग के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. नागराज पवार ने बताया कि अस्पताल में यह मशीन एक साल पहले ही स्थापित की जा चुके हैं, लेकिन अभी तक इसका लाइसेंस नहीं मिल पाया है. लाइसेंस के लिए आवेदन किया गया है और जल्द ही उसे मंजूरी मिल जाएगी. इसके अलावा टेक्नीशियन को भी इस बारे ट्रेनिंग दी जा रही है. जल्द ही यह मशीन ढालपुर अस्पताल में शुरू की जाएगी और मरीजों को विभिन्न खून के तत्वों की सुविधा मिल पाएगी.

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