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'Ropeway मामले में देवनीति की आड़ में हो रही राजनीति', खराहल घाटी के पंचायत प्रतिनिधि करेंगे जनता को जागरूक

बिजली महादेव रोपवे को लेकर कुछ लोग देवनीति की आड़ में राजनीति कर रहे हैं. ये कहना है खराहल घाटी की बंदल पंचायत के प्रधान गोपाल सिंह का. ऐसा वे क्यों कह रहे हैं ये जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर...

bijli mahadev ropeway
बंदल पंचायत के प्रधान गोपाल सिंह
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Published : Jun 3, 2023, 4:22 PM IST

बंदल पंचायत के प्रधान गोपाल सिंह

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश का जब भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा दौरा किया गया तो वह बार-बार में बिजली महादेव रोपवे की बात करते थे. अब जब कांग्रेस सरकार उस रोपवे के कार्य को पूरा करने जा रही है तो कुछ लोग देवनीति की आड़ में राजनीति कर रहे हैं. ढालपुर में पत्रकारों को संबोधित करते हुए खराहल घाटी की बंदल पंचायत के प्रधान गोपाल सिंह ने बताया कि पूर्व भाजपा सरकार ने भी इसी रोपवे को लेकर बड़ी-बड़ी बातें कही और कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है, लेकिन आज कांग्रेस सरकार के द्वारा इस कार्य को पूरा किया जा रहा है. तो भाजपा के लोग भी सोच रहे हैं कि वह इस मामले में प्रधानमंत्री को क्या जवाब देंगे, जबकि सच्चाई यह है कि इस रोपवे के बनने से खराहल घाटी के हजारों लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा.

पंचायत प्रधान गोपाल सिंह ने बताया कि CPS सुंदर ठाकुर इस मामले में लगातार कार्य कर रहे हैं और जनता उनके कार्य को पसंद भी कर रखी है. उन्होंने बिजली महादेव मंदिर कमेटी पर भी तंज कसते हुए कहा कि रोपवे निर्माण के लिए मंदिर कमेटी के द्वारा ही जगह चिन्हित की गई और उन्होंने भी अपनी अनुमति दी थी. लेकिन अब क्या कारण रहे कि वह अपनी बात से मुकर रहे हैं और इस रोपवे के बनने का विरोध कर रहे हैं. अगर देवता का आदेश होता तो मंदिर कमेटी के द्वारा पहले ही जनरल हाउस बुलाया जाना चाहिए था.

पंचायत प्रधान गोपाल सिंह कहा कि खराहल घाटी में पहली बार 240 करोड़ रूपये की कोई योजना आई है. ऐसे में पंचायत प्रतिनिधियों का भी दायित्व बनता है कि वह रोपवे से होने वाले फायदे के बारे में घाटी की जनता को जागरूक करे. उन्होंने कहा कि इस रोपवे का विरोध चंद लोग ही कर रहे हैं, जबकि पूरी खराहल घाटी के जनता यह चाहती है कि बिजली महादेव रोपवे का निर्माण किया जाना चाहिए, ताकि खराहल घाटी में विकास को नई दिशा मिल सके.

ऐसे काम करती है रोपवे तकनीक: रोपवे एक ऐसी तकनीक है, जो ट्रॉली, केबल की तार और दो स्टेशन यानी आने जाने की जगहों पर पहुंचा जा सके. ट्रॉली में बैठकर तारों के द्वारा एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन तक एक विद्युत उपकरण की मदद से पहुंचा जाता है. एक नीची जगह से ऊपर जाता है और आता है. ये केबल आमतौर पर स्टील के तार से बने होते हैं. ये काफी मजबूत होते हैं. स्टेशनों को एक सीधी रेखा में जोड़ते हैं. यह जमीन के ऊपर परिवहन के साधनों में से एक है. जो हमें सड़क पर यातायात से बचाता है. एक लंबी दूसरी को कम कर देता है. रोपवे में एक बैठने की जगह होती है. जिसमें 8 से 12 लोग एक साथ सफर कर सकते हैं. यह सुविधा ज्यादातर पहाड़ी इलाकों और मंदिरों पर ज्यादा इस्तेमाल की जाती है.

Read Also- 'देवता का आदेश है, नहीं बनेगा बिजली महादेव रोपवे', Bijli Mahadev Ropeway के विरोध में सड़कों पर उतरे लोग

बंदल पंचायत के प्रधान गोपाल सिंह

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश का जब भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा दौरा किया गया तो वह बार-बार में बिजली महादेव रोपवे की बात करते थे. अब जब कांग्रेस सरकार उस रोपवे के कार्य को पूरा करने जा रही है तो कुछ लोग देवनीति की आड़ में राजनीति कर रहे हैं. ढालपुर में पत्रकारों को संबोधित करते हुए खराहल घाटी की बंदल पंचायत के प्रधान गोपाल सिंह ने बताया कि पूर्व भाजपा सरकार ने भी इसी रोपवे को लेकर बड़ी-बड़ी बातें कही और कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है, लेकिन आज कांग्रेस सरकार के द्वारा इस कार्य को पूरा किया जा रहा है. तो भाजपा के लोग भी सोच रहे हैं कि वह इस मामले में प्रधानमंत्री को क्या जवाब देंगे, जबकि सच्चाई यह है कि इस रोपवे के बनने से खराहल घाटी के हजारों लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा.

पंचायत प्रधान गोपाल सिंह ने बताया कि CPS सुंदर ठाकुर इस मामले में लगातार कार्य कर रहे हैं और जनता उनके कार्य को पसंद भी कर रखी है. उन्होंने बिजली महादेव मंदिर कमेटी पर भी तंज कसते हुए कहा कि रोपवे निर्माण के लिए मंदिर कमेटी के द्वारा ही जगह चिन्हित की गई और उन्होंने भी अपनी अनुमति दी थी. लेकिन अब क्या कारण रहे कि वह अपनी बात से मुकर रहे हैं और इस रोपवे के बनने का विरोध कर रहे हैं. अगर देवता का आदेश होता तो मंदिर कमेटी के द्वारा पहले ही जनरल हाउस बुलाया जाना चाहिए था.

पंचायत प्रधान गोपाल सिंह कहा कि खराहल घाटी में पहली बार 240 करोड़ रूपये की कोई योजना आई है. ऐसे में पंचायत प्रतिनिधियों का भी दायित्व बनता है कि वह रोपवे से होने वाले फायदे के बारे में घाटी की जनता को जागरूक करे. उन्होंने कहा कि इस रोपवे का विरोध चंद लोग ही कर रहे हैं, जबकि पूरी खराहल घाटी के जनता यह चाहती है कि बिजली महादेव रोपवे का निर्माण किया जाना चाहिए, ताकि खराहल घाटी में विकास को नई दिशा मिल सके.

ऐसे काम करती है रोपवे तकनीक: रोपवे एक ऐसी तकनीक है, जो ट्रॉली, केबल की तार और दो स्टेशन यानी आने जाने की जगहों पर पहुंचा जा सके. ट्रॉली में बैठकर तारों के द्वारा एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन तक एक विद्युत उपकरण की मदद से पहुंचा जाता है. एक नीची जगह से ऊपर जाता है और आता है. ये केबल आमतौर पर स्टील के तार से बने होते हैं. ये काफी मजबूत होते हैं. स्टेशनों को एक सीधी रेखा में जोड़ते हैं. यह जमीन के ऊपर परिवहन के साधनों में से एक है. जो हमें सड़क पर यातायात से बचाता है. एक लंबी दूसरी को कम कर देता है. रोपवे में एक बैठने की जगह होती है. जिसमें 8 से 12 लोग एक साथ सफर कर सकते हैं. यह सुविधा ज्यादातर पहाड़ी इलाकों और मंदिरों पर ज्यादा इस्तेमाल की जाती है.

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