कुल्लू: अटल टनल रोहतांग जहां लाहौल के लोगों को 12 माह कुल्लू से जोड़े रखेगी. वहीं, सेना की मजबूती की दिशा में भी यह अहम कड़ी साबित होगी.
चीन और पाकिस्तान के साथ लगातार हो रही सीमा पर गतिविधियों से निपटने में सेना को काफी मदद मिलेगी. ये बात कारगिल वॉर हीरो खुशाल ठाकुर ने कही.
सेना के जवानों को पहले लेह के लिए रोहतांग दर्रे से होकर गुजरना पड़ता था. वहीं, रोहतांग का बिगड़ता मौसम सेना के काफिले में कई तरह की बाधाएं लाता था. बर्फबारी के दौरान मुश्किलें और भी बढ़ जाती थीं, लेकिन अटल टनल रोहतांग अब सेना के लिए भी एक अहम कड़ी बनने जा रहा है. टनल से अब सेना के काफिले का समय जहां 5 घंटे तक कम होगा. वहीं, सेना के वाहनों में सामान ढोने की क्षमता भी बढ़ेगी.
कारगिल वॉर के हीरो रिटायर्ड ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर ने इस टनल के खुलने का स्वागत करते हुए कहा कि अब चीन व पाकिस्तान से किसी भी प्रकार की गतिविधियों से निपटने के लिए सेना को सरहद पर पहुंचना काफी आसान हो जाएगा.
कारगिल वॉर हीरो ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर का कहना है कि हालांकि श्रीनगर से भी एक मार्ग लेह लद्दाख के लिए जाता है, लेकिन उस रास्ते पर कई बार पाकिस्तानी सेना ने गोलाबारी की है, जिससे सेना की गतिविधियां का पता चल जाता है.
अब अटल के बनने से यह सड़क मार्ग सेना के लिए काफी सुरक्षित होगा. खुशाल ने कहा कि 1962 में चीन से लड़ाई में सेना के साहस में कोई कमी नहीं थी, लेकिन लॉजिस्टिक बिल्ड अप की कमी के कारण हमें नुकसान हुआ.
कारगिल युद्ध का मुख्य कारण भी यह था कि सर्दियों के दिनों में हमारे जवान पोस्ट छोड़कर नीचे आ जाते थे. इसी का फायदा उठाकर पाकिस्तान ने अपने घुसपैठियों और सेना को भेज दिया. आज के दौर में किसी भी जंग को जीतने के लिए बॉर्डर लॉजिस्टिक बिल्ड अप का होना बहुत आवश्यक है. इसके लिए देश की सरकार पूरी तरह से जुटी हुई है. चीन के बॉर्डर पर भारी मात्रा में सेना है. लेह-लद्दाख में फाइटर जेट तैनात कर दिए गए हैं. भारी मात्रा में सेना की तैनाती कर दी है, लेकिन सब को लॉजिस्टिक सपोर्ट देना बहुत जरूरी है. अब टनल के बनने से कई घंटों का सफर कम हो जाएगा.
गौर रहे कि सामरिक दृष्टि से भी अटल टनल काफी महत्वपूर्ण है और सेना के जवानों को चीन सीमा पर पहुंचने के लिए अब 5 घंटे कम समय लगेगा.