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Amalaki Ekadashi 2023: आज मनाई जाएगी आमलकी एकादशी, जानें महत्व और व्रत पारण का समय

आमलकी एकादशी आज मनाई जाएगी. आमलकी एकादशी के दिन भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा करने का विधान शास्त्रों में कहा गया है. आमलकी एकादशी का व्रत करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. (Amalaki Ekadashi 2023)

Amalaki Ekadashi 2023
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Published : Feb 28, 2023, 6:26 PM IST

Updated : Mar 3, 2023, 6:13 AM IST

कुल्लू: सनातन धर्म में एकादशी का काफी महत्व है. फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि अबकी बार आज यानी 3 मार्च को मनाई जाएगी. एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है. लेकिन इस साल इस एकादशी तिथि में भगवान विष्णु के साथ-साथ आंवला के पेड़ की पूजा करने का भी विधान है और इसे आमलकी एकादशी के रूप में भी पूजा जाता है.

आज है आमलकी एकादशी: वहीं, कुछ राज्यों में इसे रंगभरी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. भगवान विष्णु को समर्पित फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 2 मार्च को सुबह 6:39 मिनट से शुरू हो जाएगी और इस एकादशी तिथि का समापन 3 मार्च को सुबह 9:01 मिनट पर हो जाएगा. ऐसे में उदया तिथि के हिसाब से आमलकी एकादशी 3 मार्च को मनाई जाएगी.

आमलकी एकादशी 2023 पारण समय: एकादशी की तिथि भगवान विष्णु को प्रिय है. लेकिन फाल्गुन मास की इस एकादशी का महत्व इसलिए बढ़ जाता है. क्योंकि महाशिवरात्रि के बाद भगवान शिव और माता पार्वती अपनी शादी के बाद पहली बार काशी आए थे और वहां पर सभी देवी-देवताओं ने गुलाल फेंक कर भगवान शिव व पार्वती का स्वागत किया था. आमलकी एकादशी के दिन सुबह 6:45 से दोपहर 3:43 तक सर्वार्थ सिद्धि योग बनेगा. इसके अलावा सुबह से लेकर शाम 6:45 तक सौभाग्य योग रहेगा. वहीं, शाम 6:45 के बाद अगले दिन तक शोभन योग रहेगा. ऐसे में आमलकी एकादशी व्रत का पारण 4 मार्च को सुबह 6:48 से लेकर 9:03 मिनट तक किया जा सकेगा.

आंवले के पेड़ की पूजा करने का महत्व: आमलकी एकादशी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने का विधान शास्त्रों में कहा गया है. पद्म पुराण के अनुसार भगवान विष्णु के मुख से चंद्रमा के समान एक बिंदु पृथ्वी पर गिरा और उसी से ही आंवला का वृक्ष उत्पन्न हुआ. जो सभी वृक्षों में महान कहा जाता है. वहीं भगवान विष्णु ने सृष्टि की रचना के लिए इसी दिन अपनी नाभि से ब्रह्मा जी को उत्पन्न किया था. आंवला का वृक्ष जब धरती पर उत्पन्न हुआ तो उसी दौरान आकाशवाणी के माध्यम से सभी देवताओं को जानकारी दी गई कि यह आमलकी का वृक्ष है. जो भगवान विष्णु को प्रिय है. इसके स्मरण मात्र से ही भक्तों को गोदान का फल मिलता है. पेड़ को स्पर्श करने से दोगुना और फल खाने से 3 गुना फल प्राप्त होता है. ऐसे में इस एकादशी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है. इस व्रत करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं.

ये भी पढ़ें: Holashtak 2023 : जानिये होलाष्टक का राशिफल, 8 ग्रह होंगे उग्र तो हर राशि पर पड़ेगा असर

कुल्लू: सनातन धर्म में एकादशी का काफी महत्व है. फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि अबकी बार आज यानी 3 मार्च को मनाई जाएगी. एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है. लेकिन इस साल इस एकादशी तिथि में भगवान विष्णु के साथ-साथ आंवला के पेड़ की पूजा करने का भी विधान है और इसे आमलकी एकादशी के रूप में भी पूजा जाता है.

आज है आमलकी एकादशी: वहीं, कुछ राज्यों में इसे रंगभरी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. भगवान विष्णु को समर्पित फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 2 मार्च को सुबह 6:39 मिनट से शुरू हो जाएगी और इस एकादशी तिथि का समापन 3 मार्च को सुबह 9:01 मिनट पर हो जाएगा. ऐसे में उदया तिथि के हिसाब से आमलकी एकादशी 3 मार्च को मनाई जाएगी.

आमलकी एकादशी 2023 पारण समय: एकादशी की तिथि भगवान विष्णु को प्रिय है. लेकिन फाल्गुन मास की इस एकादशी का महत्व इसलिए बढ़ जाता है. क्योंकि महाशिवरात्रि के बाद भगवान शिव और माता पार्वती अपनी शादी के बाद पहली बार काशी आए थे और वहां पर सभी देवी-देवताओं ने गुलाल फेंक कर भगवान शिव व पार्वती का स्वागत किया था. आमलकी एकादशी के दिन सुबह 6:45 से दोपहर 3:43 तक सर्वार्थ सिद्धि योग बनेगा. इसके अलावा सुबह से लेकर शाम 6:45 तक सौभाग्य योग रहेगा. वहीं, शाम 6:45 के बाद अगले दिन तक शोभन योग रहेगा. ऐसे में आमलकी एकादशी व्रत का पारण 4 मार्च को सुबह 6:48 से लेकर 9:03 मिनट तक किया जा सकेगा.

आंवले के पेड़ की पूजा करने का महत्व: आमलकी एकादशी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने का विधान शास्त्रों में कहा गया है. पद्म पुराण के अनुसार भगवान विष्णु के मुख से चंद्रमा के समान एक बिंदु पृथ्वी पर गिरा और उसी से ही आंवला का वृक्ष उत्पन्न हुआ. जो सभी वृक्षों में महान कहा जाता है. वहीं भगवान विष्णु ने सृष्टि की रचना के लिए इसी दिन अपनी नाभि से ब्रह्मा जी को उत्पन्न किया था. आंवला का वृक्ष जब धरती पर उत्पन्न हुआ तो उसी दौरान आकाशवाणी के माध्यम से सभी देवताओं को जानकारी दी गई कि यह आमलकी का वृक्ष है. जो भगवान विष्णु को प्रिय है. इसके स्मरण मात्र से ही भक्तों को गोदान का फल मिलता है. पेड़ को स्पर्श करने से दोगुना और फल खाने से 3 गुना फल प्राप्त होता है. ऐसे में इस एकादशी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है. इस व्रत करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं.

ये भी पढ़ें: Holashtak 2023 : जानिये होलाष्टक का राशिफल, 8 ग्रह होंगे उग्र तो हर राशि पर पड़ेगा असर

Last Updated : Mar 3, 2023, 6:13 AM IST
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