कुल्लूः जिला कुल्लू में बाल विवाह के मामले महिला एवं बाल कल्याण विभाग के गले की फांस बनते जा रहे हैं. विभाग के किए गए सर्वे में बात भी सामने आई है कि सोशल मीडिया भी इसका एक बड़ा कारण बना हुआ है.
बाल विवाह के शिकार होने से बचाए गए युवक व युवतियों की विभाग के अधिकारियों ने काउंसलिंग की. काउंसलिंग के बाद किए गए सर्वे से पता चला कि अधिकतर नाबालिग लड़के और लड़कियां सोशल मीडिया के माध्यम से पहले एक दूसरे के संपर्क में आए. सोशल मीडिया के माध्यम से ही उनकी बात काफी आगे तक निकल गई.
इतना ही नहीं घर से युवक और युवतियां आपस में भागने का प्लान भी सोशल मीडिया में ही साझा कर लेते हैं, जिससे उनके परिजनों को किसी भी तरीके से पता ना चल सके. हालांकि महिला बाल विकास विभाग ने ऐसे कई मामलों को सुलझा दिया है या कई मामलों में मौके पर जाकर ही शादी को भी रुकवाया है, लेकिन उसके बाद भी बाल विवाह के मामले कम होते नजर नहीं आ रहे हैं.
महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों ने भी अब हर गांव में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से ऐसे युवकों की काउंसलिंग शुरू कर दी है. उन्होंने किया है कि वे अपने बच्चों की ओर ध्यान दें और सोशल मीडिया में वे किस किस से बात करते हैं. इस बात की पूरी जानकारी रखें ताकि वे गलत राह पर न जा सके.
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जिला कार्यक्रम अधिकारी वीरेंद्र आर्य का कहना है कि विभाग बाल विवाह को रोकने की पूरी कोशिश कर रहा है और जब ऐसे युवक-युवतियों की काउंसलिंग की गई तो उसमें सोशल मीडिया के बड़ी वजह माना गया है. उन्होंने अभिभावकों से भी आग्रह किया है कि वे अपने बच्चों के सोशल लाइफ पर नजर रखें और उनके दोस्तों के बारे में भी समय-समय पर जानकारी लेते रहें.