रोहतांग/मनाली: मनाली-लेह सड़क से हर साल भारतीय सेना के हजारों वाहन कारगिल के लिए रसद का सामान लेकर जाते हैं. इन दिनों भी गुलाबा रोहतांग में मनाली-लेह सड़क पर सेना के वाहनों का कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है.
रविवार को भी पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन विवाद के चलते भारतीय सेना के वाहनों के काफिले ने मनाली-लेह सड़क से होते हुए समुद्र तल से 13,000 फीट की ऊंचाई पर रोहतांग दर्रे को पास किया. यह काफिला जम्मू कश्मीर से होते हुए रसद का सामन लेकर लेह लद्दाख में एलएसी के लिए रवाना हो रहा है.
बता दें कि 15 जून को लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय सेना के जवानों की चीनी सेना के जवानों से खूनी हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हुए थे. इस हादसे के बाद चीन और भारत के सबंध बहुत ही बिगड़ गए थे.
इस दौरान दोनों देशों के बीच युद्ध होने के आसार भी नजर आ रहे थे. देश के लोगों में जवानों की शहादत को लेकर चीन के खिलाफ काफी रोष था. देश के विभिन्न राज्यों में लोगों ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के पुतले फूंक कर चीनी सामान का बहिष्कार कर अपना विरोध भी जताया. लोगों ने देश की जनता से चीनी सामान का बहिष्कार करने की अपील भी की है.
वहीं, इस घटना के बाद दोनों देशों के बीच बातचीत के जरिए विवाद को सुलझाने की कोशिश की गई. प्रधानमंत्री मोदी ने भी देश की जनता को संबोधित करते हुए कहा कि था कि भारत हर हाल में जवाब देने की ताकत रखता है और समय आने पर चीन को जवाब दिया जाएगा. साथ ही विवाद के चलते केंद्र सरकार ने 59 चीनी मोबाइल ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया था.
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इस दौरान 3 जुलाई की सुबह प्रधानमंत्री मोदी अचानक लेह पहुंच गए. मोदी ने लेह में सेना के अधिकारियों और जवानों से मुलाकात करके हालातों का जायजा भी लिया. उन्होंने लेह स्थित अस्पताल का दौरा करके वहां भर्ती जवानों का हाल जानकर, उनका हौसला बढ़ाया.
वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को दो दिवसीय लेह दौरे के दौरान चीन को कड़े शब्दों में संदेश देते हुए कहा कि दुनिया की कोई ताकत भारत की एक इंच जमीन भी नहीं छीन सकती है. इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने सेना के जवानों से मुलाकात भी की.
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