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किन्नौर में सुस्कार मेले की धूम, मशाल लेकर ग्रामीणों ने लगाया गांव का चक्कर

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Published : Mar 12, 2020, 8:00 PM IST

मान्यताओं के अनुसार मशाल लेकर ग्रामीण गीतों से गांव में पहाड़ों से उतरे दैवीय शक्तियों को खुश करते है जिसके बाद मन्दिर में एकत्रित होकर मशालों को देवता के कुंड में डाला जाता है और स्थानीय देवता की आराधना भी की जाती है.

suskaar festival
किन्नौर में सुस्कार मेले की धूम

किन्नौर: जनजातीय जिला किन्नौर के कल्पा खंड के तहत पंगी गांव में सुस्कार मेले का आगाज हो चुका है. मेले में ग्रामीण मशालों के साथ गांव के चक्कर काटकर अंत में मंदिर प्रांगण में देवता शेशेरिंग के समक्ष मेले का अंत करेंगे.

पंगी गांव का सुस्कार मेला कल्पा खंड के सबसे प्रमुख मेलों में से एक है, जिसमें पुरुषों की टोली अपने अपने घर से मशाल लेकर चयनित जगह पर एकत्रित होते हैं, जिसके बाद स्थानीय देवता शेशेरिंग के पुराने गीतों को गाते हुए समूचे गांव का चक्कर काटते हैं.

मान्यताओं के अनुसार मशाल लेकर ग्रामीण गीतों से गांव में पहाड़ों से उतरे दैवीय शक्तियों को खुश करते हैं जिसके बाद मन्दिर में एकत्रित होकर मशालों को देवता के कुंड में डाला जाता है और स्थानीय देवता की आराधना भी की जाती है.

वीडियो.

जानकारों के अनुसार सुस्कार मेले में पहाड़ों की देवियां ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय देवता से मिलने आती हैं और ऐसे में ग्रामीणों को अपने घर की सफाई के साथ धूप बत्ती जलानी पड़ती है और मशाल निकालकर उन्हें विदाई दी जाती है. साथ ही साथ समूचे गांव की सुख शांति की कामना भी की जाती है.

ये भी पढ़ें: INDvsSA: पिच गीली होने के कारण टॉस में देरी

किन्नौर: जनजातीय जिला किन्नौर के कल्पा खंड के तहत पंगी गांव में सुस्कार मेले का आगाज हो चुका है. मेले में ग्रामीण मशालों के साथ गांव के चक्कर काटकर अंत में मंदिर प्रांगण में देवता शेशेरिंग के समक्ष मेले का अंत करेंगे.

पंगी गांव का सुस्कार मेला कल्पा खंड के सबसे प्रमुख मेलों में से एक है, जिसमें पुरुषों की टोली अपने अपने घर से मशाल लेकर चयनित जगह पर एकत्रित होते हैं, जिसके बाद स्थानीय देवता शेशेरिंग के पुराने गीतों को गाते हुए समूचे गांव का चक्कर काटते हैं.

मान्यताओं के अनुसार मशाल लेकर ग्रामीण गीतों से गांव में पहाड़ों से उतरे दैवीय शक्तियों को खुश करते हैं जिसके बाद मन्दिर में एकत्रित होकर मशालों को देवता के कुंड में डाला जाता है और स्थानीय देवता की आराधना भी की जाती है.

वीडियो.

जानकारों के अनुसार सुस्कार मेले में पहाड़ों की देवियां ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय देवता से मिलने आती हैं और ऐसे में ग्रामीणों को अपने घर की सफाई के साथ धूप बत्ती जलानी पड़ती है और मशाल निकालकर उन्हें विदाई दी जाती है. साथ ही साथ समूचे गांव की सुख शांति की कामना भी की जाती है.

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