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पर्यटन के क्षेत्र में पिछड़ रहा है जिला किन्नौर, जानें वजह

जिला किन्नौर के पर्यटन स्थलों में सबसे अव्वल दर्जे पर सांगला घाटी जिसमें छितकुल, रकच्छम, बटसेरी, कामरू, सांगला, चांसू हैं. जहां पर प्रतिवर्ष 3 से 4 हजार पर्यटक घूमने के लिए आते हैं. जिला के कल्पा, भावा वेली, नाकों, कुनों चारङ्ग में पर्यटकों का तांता लगा रहता है और पर्यटक यहां की संस्कृति व खानपान से अवगत होते हैं, लेकिन लंबे समय तक रुकने के लिए पर्यटकों का मन नहीं बन पाता.

Kinnaur tourism news, किन्नौर पर्यटन समाचार
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Published : Mar 14, 2021, 5:38 PM IST

Updated : Mar 14, 2021, 8:03 PM IST

किन्नौर: जिला किन्नौर जहां अपनी खूबसूरती को लेकर देश प्रदेश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी जाना जाता है, लेकिन आजादी के बाद देश और प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों ने पर्यटन के क्षेत्र में इतनी तरक्की कर ली है कि उन क्षेत्रों में लोगों को रोजगार के साथ अच्छी आमदनी भी मिल रही है.

लाहौल-स्पीति, कुल्लू, मनाली, शिमला, मंडी, चंबा, कांगड़ा व कई अन्य क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर्यटकों को खूबसूरती के साथ वो सारी सुविधाएं मिलती हैं जिससे पर्यटकों के पैर उन जगहों से हिलते नहीं हैं और लंबे समय तक उन क्षेत्रों की सुविधाओं व खूबसूरती पर अपार धन खर्च करते हैं. ऐसे में क्षेत्र के लोगों को रोजगार मिलता है और आसपास के क्षेत्र भी विकासशील होते हैं, क्योंकि आज पूरे विश्वभर में पर्यटन ही ऐसा क्षेत्र बचा है जहां से लोगों को अच्छी आय कमाने का मौका मिलता है.

वीडियो रिपोर्ट.

पर्यटन स्थल किन्नौर 1990 के बाद से पर्यटन के क्षेत्र में सही तरीके से उभर कर सामने आया. पर्यटक यहां की पहाड़ियों के शांत वातावरण में पढ़ाई, घूमने व यहां की ताजा हवाओं व शांति सुकून के लिए आते रहे हैं. जिला के पारंपरिक खान पान और यहां की संस्कृति ही है जो पर्यटकों को कुछ दिन जिला के अंदर रोके रख सकती है. जिला में पर्यटकों के आने के बाद कई पर्यटन स्थल देश के अंदर काफी चर्चित होने लगे. सोशल मीडिया पर पर्यटकों के द्वारा इन जगहों को खूब सराहा जाता रहा है और इन्ही कारणों से जिला की घाटियों, पहाड़ों के बीच बसे गांव पर्यटन के क्षेत्र में सही रूप से उभरने लगे.

पर्यटन स्थलों की खूबियां

जिला किन्नौर के पर्यटन स्थलों में सबसे अव्वल दर्जे पर सांगला घाटी जिसमें छितकुल, रकच्छम, बटसेरी, कामरू, सांगला, चांसू हैं. जहां पर प्रतिवर्ष 3 से 4 हजार पर्यटक घूमने के लिए आते हैं. जिला के कल्पा, भावा वेली, नाकों, कुनों चारङ्ग में पर्यटकों का तांता लगा रहता है और पर्यटक यहां की संस्कृति व खानपान से अवगत होते हैं, लेकिन लंबे समय तक रुकने के लिए पर्यटकों का मन नहीं बन पाता.

कारण है कि यहां पर्यटक केवल पहाड़ों के दीदार कर सकते हैं, लेकिन पर्यटकों को घूमने फिरने के अलावा कई ऐसे संसाधनों की जरूरत होती है जिससे उनका मनोरंजन हो और वे लंबे समय तक उस चीज का आनंद लेते रहें.

पर्यटन स्थलों में कमियां

जिला किन्नौर में पर्यटकों को घूमने फिरने के लिए तो अपार संभावनाएं दिख रही हैं, लेकिन जिला में पर्यटन के विकास पर खास काम आज तक नहीं हुआ है. केवल वही चीजें पर्यटकों को देखने को मिलती हैं जो स्थानीय लोगों ने पुराने समय के चीजों को संजोए रखा है, लेकिन प्रदेश सरकार व जिला प्रशासन की तरफ से पर्यटन के क्षेत्र में ऐसा कोई बड़ा काम नहीं किया गया है. जिससे जिला पर्यटन के क्षेत्र में बहुत बड़े स्तर पर उभर कर आ सके.

चीजों के अभाव में जिला दिन प्रतिदिन पर्यटन के क्षेत्र में पिछड़ता जा रहा है

किन्नौर जिला के पर्यटन स्थल केवल ट्रांजिट कैंप बन कर रह गए हैं. पर्यटक जिला के सांगला, कल्पा में एक या अधिक से अधिक दो दिन ठहरकर लाहौल स्पीति की ओर चले जाते हैं. कारण यही है कि पर्यटकों को रोकने के लिए कोई संसाधन नहीं है. जिला किन्नौर में पर्यटक घूमने के अलावा, साहसिक खेलों की तलाश, जीप रैली, बाइक रैली, अच्छी सुविधाओं वाले ठहराव स्थल, पर्यटन विभाग के द्वारा बनाई गई सभी चीजों जिसमें खेल के साथ-साथ जिला के धरोहर जैसी चीजों को संजोए रखा हो उन सभी चीजों देखने की तलाश करते हैं, लेकिन इन सभी चीजों के अभाव में जिला दिन प्रतिदिन पर्यटन के क्षेत्र में पिछड़ता जा रहा है.

एसडीएम कल्पा को मिली है जिम्मेदारी

जिला में पर्यटन विभाग का अलग से कोई विभाग व अधिकारी नहीं जो पर्यटन के क्षेत्र में विकास कार्य कर सके. पर्यटन विभाग के नाम पर एसडीएम कल्पा को इस जिम्मेदारी को दी गई है. जिसमें एसडीएम कल्पा को आम लोगों के काम के अलावा भी पर्यटकों के काम करने पड़ते हैं. शायद दोनों कार्यों को संभालना भी एक अधिकारी के लिए मुश्किल साबित होता है, इसलिए पर्यटन स्थलों के कई ऐसे विकास कार्य हैं जो रुक रहे हैं. जिला के सांगला घाटी में पर्यटकों को देखने के लिए बहुत सारी चीजें है जिसमें बास्पा नदी, बड़े-बड़े मंदिर, पुराने कलाकृति के लकड़ी से बने मकान.

वहीं, कल्पा से किन्नर कैलाश दर्शन, कल्पा गांव की खूबसूरती, भावा घाटी की ट्रैकिंग इत्यादि है. नाकों का झील जिसकी सुंदरता को निहारने पर्यटक आते हैं, लेकिन इन सभी स्थानों पर इन सभी संसाधनों के उपयोग करने के साथ पर्यटकों को दूसरी सुविधाओं से वंचित रहना पड़ता है. जिले की ऊबड़-खाबड़ सड़कों से पर्यटकों को अपने पर्यटन स्थलों तक पहुंचने के बाद एक दिन आराम करना पड़ता है.

ये भी पढ़ें- पहले मोदी को शिव बताया, अब जयराम को कृष्ण, राठौर बोले: भाजपा कर रही हिन्दू धर्म का अपमान

पर्यटक जिले की ओर आना ही नहीं चाहते

वहीं, जिला की खतरनाक सड़कों को देख कई पर्यटक जिले की ओर आना ही नहीं चाहते. वहीं, कई पर्यटन स्थलों में तो आज तक सड़कों का अभाव है या फिर सड़कों की हालत खस्ता है. जहां पर्यटक खूबसूरती तो निहारना चाहते हैं, लेकिन सड़कों के अभाव से पर्यटकों के घूमने की इच्छा समाप्त हो जाती है. जिला किन्नौर के पर्यटन स्थलों में बड़े-बड़े सीमेंट से बने होटल, मकान, होम स्टे भी पर्यटन के क्षेत्र में अड़चन बन रहे हैं.

जिला में बहुत सी ऐसी चीजें है जो यहां की परंपरा को दर्शाते हैं. उसको देखने आते हैं, लेकिन जिला के पर्यटन क्षेत्र में अब लोगों ने जिला को शहर में तब्दील करने के चक्कर में कहीं न कहीं पर्यटन के क्षेत्र को भी शायद उन चीजों से दूर किया है जो पर्यटक देखना चाहते हैं, क्योंकि कंक्रीट के जंगल तो शहरों में भी देखने को मिलते हैं, लेकिन पर्यटक यहां के सकून व यहां के पारंपरिक तरीके से बने मकानों में रहना भी पसंद करने लगे है.

'किन्नौर पर्यटकों का केवल ट्रांजिक कैंप बना हुआ है'

जिला किन्नौर में शौचालयों की सही व्यवस्था नहीं है. अच्छे बस ठहराव स्थल नहीं है, वहीं, पर्यटकों को ठहरने के लिए सरकार व पर्यटन विभाग द्वारा जिले के पर्यटन स्थलों में अच्छे हट्स या गेस्ट हाउस नहीं है. वाहन पार्किंग के लिए शहरों में पार्किंग स्थल नहीं है. जिसके चलते भी पर्यटकों को कई दिक्कतें होती हैं. वहीं, जिला के पर्यटन क्षेत्र से सबंध रखने वाले लोगों व व्यापारियों का कहना है कि जिला किन्नौर पर्यटकों का केवल ट्रांजिक कैंप बना हुआ है. जहां पर्यटक एक दिन रुककर स्पीति या शिमला की ओर वापस चले जाते हैं, क्योंकि जिला के किसी भी पर्यटन स्थल में पर्यटकों के लिए ऐसी व्यवस्था नहीं है कि पर्यटकों को रोका जा सके.

सड़कों का पक्का न होना

किन्नौर जिले में स्थित बड़ी-बड़ी परियोजनाओं के बांध में राफ्टिंग की व्यवस्था, सांगला भावा व कल्पा में पैराग्लाइडिंग की व्यवस्था, रोक क्लाइम्बिंग व स्की जैसे खेलों का न करवाना टूरिस्ट को साहसिक खेलों के साथ जिला के पर्यटन स्थलों में मनोरंजन के लिए संसाधनों का न होना, सही रूप से सड़कों का पक्का न होना जैसी कई परेशानियां हैं. जिला मुख्यालय रिकांगपिओ में पर्यटकों के रुकने के लिए किसी ग्रीन पार्क की व्यवस्था न होना, पर्यटकों को रिकांगपिओ से मुख्य पर्यटन स्थलों तक स्पेशल बसों की व्यवस्था न होना बहुत सारी ऐसी चीजें हैं. जिसके अभाव के कारण पर्यटक केवल किन्नौर में ट्रांजिक कैंप की तरह रुक कर वापस जा रहे हैं.

जिससे जिला के पर्यटन को तो नुकसान हो रहा है साथ में जिला के व्यापार पर व स्थानीय होटल व्यवसायियों पर भी इसका भारी असर पड़ रहा है.

ये भी पढ़ें- हादसों से नहीं लिया सबक, चंबा-तीसा मार्ग से गुजरना खतरे से खाली नहीं!

किन्नौर: जिला किन्नौर जहां अपनी खूबसूरती को लेकर देश प्रदेश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी जाना जाता है, लेकिन आजादी के बाद देश और प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों ने पर्यटन के क्षेत्र में इतनी तरक्की कर ली है कि उन क्षेत्रों में लोगों को रोजगार के साथ अच्छी आमदनी भी मिल रही है.

लाहौल-स्पीति, कुल्लू, मनाली, शिमला, मंडी, चंबा, कांगड़ा व कई अन्य क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर्यटकों को खूबसूरती के साथ वो सारी सुविधाएं मिलती हैं जिससे पर्यटकों के पैर उन जगहों से हिलते नहीं हैं और लंबे समय तक उन क्षेत्रों की सुविधाओं व खूबसूरती पर अपार धन खर्च करते हैं. ऐसे में क्षेत्र के लोगों को रोजगार मिलता है और आसपास के क्षेत्र भी विकासशील होते हैं, क्योंकि आज पूरे विश्वभर में पर्यटन ही ऐसा क्षेत्र बचा है जहां से लोगों को अच्छी आय कमाने का मौका मिलता है.

वीडियो रिपोर्ट.

पर्यटन स्थल किन्नौर 1990 के बाद से पर्यटन के क्षेत्र में सही तरीके से उभर कर सामने आया. पर्यटक यहां की पहाड़ियों के शांत वातावरण में पढ़ाई, घूमने व यहां की ताजा हवाओं व शांति सुकून के लिए आते रहे हैं. जिला के पारंपरिक खान पान और यहां की संस्कृति ही है जो पर्यटकों को कुछ दिन जिला के अंदर रोके रख सकती है. जिला में पर्यटकों के आने के बाद कई पर्यटन स्थल देश के अंदर काफी चर्चित होने लगे. सोशल मीडिया पर पर्यटकों के द्वारा इन जगहों को खूब सराहा जाता रहा है और इन्ही कारणों से जिला की घाटियों, पहाड़ों के बीच बसे गांव पर्यटन के क्षेत्र में सही रूप से उभरने लगे.

पर्यटन स्थलों की खूबियां

जिला किन्नौर के पर्यटन स्थलों में सबसे अव्वल दर्जे पर सांगला घाटी जिसमें छितकुल, रकच्छम, बटसेरी, कामरू, सांगला, चांसू हैं. जहां पर प्रतिवर्ष 3 से 4 हजार पर्यटक घूमने के लिए आते हैं. जिला के कल्पा, भावा वेली, नाकों, कुनों चारङ्ग में पर्यटकों का तांता लगा रहता है और पर्यटक यहां की संस्कृति व खानपान से अवगत होते हैं, लेकिन लंबे समय तक रुकने के लिए पर्यटकों का मन नहीं बन पाता.

कारण है कि यहां पर्यटक केवल पहाड़ों के दीदार कर सकते हैं, लेकिन पर्यटकों को घूमने फिरने के अलावा कई ऐसे संसाधनों की जरूरत होती है जिससे उनका मनोरंजन हो और वे लंबे समय तक उस चीज का आनंद लेते रहें.

पर्यटन स्थलों में कमियां

जिला किन्नौर में पर्यटकों को घूमने फिरने के लिए तो अपार संभावनाएं दिख रही हैं, लेकिन जिला में पर्यटन के विकास पर खास काम आज तक नहीं हुआ है. केवल वही चीजें पर्यटकों को देखने को मिलती हैं जो स्थानीय लोगों ने पुराने समय के चीजों को संजोए रखा है, लेकिन प्रदेश सरकार व जिला प्रशासन की तरफ से पर्यटन के क्षेत्र में ऐसा कोई बड़ा काम नहीं किया गया है. जिससे जिला पर्यटन के क्षेत्र में बहुत बड़े स्तर पर उभर कर आ सके.

चीजों के अभाव में जिला दिन प्रतिदिन पर्यटन के क्षेत्र में पिछड़ता जा रहा है

किन्नौर जिला के पर्यटन स्थल केवल ट्रांजिट कैंप बन कर रह गए हैं. पर्यटक जिला के सांगला, कल्पा में एक या अधिक से अधिक दो दिन ठहरकर लाहौल स्पीति की ओर चले जाते हैं. कारण यही है कि पर्यटकों को रोकने के लिए कोई संसाधन नहीं है. जिला किन्नौर में पर्यटक घूमने के अलावा, साहसिक खेलों की तलाश, जीप रैली, बाइक रैली, अच्छी सुविधाओं वाले ठहराव स्थल, पर्यटन विभाग के द्वारा बनाई गई सभी चीजों जिसमें खेल के साथ-साथ जिला के धरोहर जैसी चीजों को संजोए रखा हो उन सभी चीजों देखने की तलाश करते हैं, लेकिन इन सभी चीजों के अभाव में जिला दिन प्रतिदिन पर्यटन के क्षेत्र में पिछड़ता जा रहा है.

एसडीएम कल्पा को मिली है जिम्मेदारी

जिला में पर्यटन विभाग का अलग से कोई विभाग व अधिकारी नहीं जो पर्यटन के क्षेत्र में विकास कार्य कर सके. पर्यटन विभाग के नाम पर एसडीएम कल्पा को इस जिम्मेदारी को दी गई है. जिसमें एसडीएम कल्पा को आम लोगों के काम के अलावा भी पर्यटकों के काम करने पड़ते हैं. शायद दोनों कार्यों को संभालना भी एक अधिकारी के लिए मुश्किल साबित होता है, इसलिए पर्यटन स्थलों के कई ऐसे विकास कार्य हैं जो रुक रहे हैं. जिला के सांगला घाटी में पर्यटकों को देखने के लिए बहुत सारी चीजें है जिसमें बास्पा नदी, बड़े-बड़े मंदिर, पुराने कलाकृति के लकड़ी से बने मकान.

वहीं, कल्पा से किन्नर कैलाश दर्शन, कल्पा गांव की खूबसूरती, भावा घाटी की ट्रैकिंग इत्यादि है. नाकों का झील जिसकी सुंदरता को निहारने पर्यटक आते हैं, लेकिन इन सभी स्थानों पर इन सभी संसाधनों के उपयोग करने के साथ पर्यटकों को दूसरी सुविधाओं से वंचित रहना पड़ता है. जिले की ऊबड़-खाबड़ सड़कों से पर्यटकों को अपने पर्यटन स्थलों तक पहुंचने के बाद एक दिन आराम करना पड़ता है.

ये भी पढ़ें- पहले मोदी को शिव बताया, अब जयराम को कृष्ण, राठौर बोले: भाजपा कर रही हिन्दू धर्म का अपमान

पर्यटक जिले की ओर आना ही नहीं चाहते

वहीं, जिला की खतरनाक सड़कों को देख कई पर्यटक जिले की ओर आना ही नहीं चाहते. वहीं, कई पर्यटन स्थलों में तो आज तक सड़कों का अभाव है या फिर सड़कों की हालत खस्ता है. जहां पर्यटक खूबसूरती तो निहारना चाहते हैं, लेकिन सड़कों के अभाव से पर्यटकों के घूमने की इच्छा समाप्त हो जाती है. जिला किन्नौर के पर्यटन स्थलों में बड़े-बड़े सीमेंट से बने होटल, मकान, होम स्टे भी पर्यटन के क्षेत्र में अड़चन बन रहे हैं.

जिला में बहुत सी ऐसी चीजें है जो यहां की परंपरा को दर्शाते हैं. उसको देखने आते हैं, लेकिन जिला के पर्यटन क्षेत्र में अब लोगों ने जिला को शहर में तब्दील करने के चक्कर में कहीं न कहीं पर्यटन के क्षेत्र को भी शायद उन चीजों से दूर किया है जो पर्यटक देखना चाहते हैं, क्योंकि कंक्रीट के जंगल तो शहरों में भी देखने को मिलते हैं, लेकिन पर्यटक यहां के सकून व यहां के पारंपरिक तरीके से बने मकानों में रहना भी पसंद करने लगे है.

'किन्नौर पर्यटकों का केवल ट्रांजिक कैंप बना हुआ है'

जिला किन्नौर में शौचालयों की सही व्यवस्था नहीं है. अच्छे बस ठहराव स्थल नहीं है, वहीं, पर्यटकों को ठहरने के लिए सरकार व पर्यटन विभाग द्वारा जिले के पर्यटन स्थलों में अच्छे हट्स या गेस्ट हाउस नहीं है. वाहन पार्किंग के लिए शहरों में पार्किंग स्थल नहीं है. जिसके चलते भी पर्यटकों को कई दिक्कतें होती हैं. वहीं, जिला के पर्यटन क्षेत्र से सबंध रखने वाले लोगों व व्यापारियों का कहना है कि जिला किन्नौर पर्यटकों का केवल ट्रांजिक कैंप बना हुआ है. जहां पर्यटक एक दिन रुककर स्पीति या शिमला की ओर वापस चले जाते हैं, क्योंकि जिला के किसी भी पर्यटन स्थल में पर्यटकों के लिए ऐसी व्यवस्था नहीं है कि पर्यटकों को रोका जा सके.

सड़कों का पक्का न होना

किन्नौर जिले में स्थित बड़ी-बड़ी परियोजनाओं के बांध में राफ्टिंग की व्यवस्था, सांगला भावा व कल्पा में पैराग्लाइडिंग की व्यवस्था, रोक क्लाइम्बिंग व स्की जैसे खेलों का न करवाना टूरिस्ट को साहसिक खेलों के साथ जिला के पर्यटन स्थलों में मनोरंजन के लिए संसाधनों का न होना, सही रूप से सड़कों का पक्का न होना जैसी कई परेशानियां हैं. जिला मुख्यालय रिकांगपिओ में पर्यटकों के रुकने के लिए किसी ग्रीन पार्क की व्यवस्था न होना, पर्यटकों को रिकांगपिओ से मुख्य पर्यटन स्थलों तक स्पेशल बसों की व्यवस्था न होना बहुत सारी ऐसी चीजें हैं. जिसके अभाव के कारण पर्यटक केवल किन्नौर में ट्रांजिक कैंप की तरह रुक कर वापस जा रहे हैं.

जिससे जिला के पर्यटन को तो नुकसान हो रहा है साथ में जिला के व्यापार पर व स्थानीय होटल व्यवसायियों पर भी इसका भारी असर पड़ रहा है.

ये भी पढ़ें- हादसों से नहीं लिया सबक, चंबा-तीसा मार्ग से गुजरना खतरे से खाली नहीं!

Last Updated : Mar 14, 2021, 8:03 PM IST
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