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25 क्विंटल मक्खन से किया गया बज्रेश्वरी देवी की पिंडी का लेप, जानिए क्यों किया जाता है ऐसा - GHRIT FESTIVAL AT BAJRESHWARI

बज्रेश्वरी देवी मंदिर में दो दिवसीय घृत पर्व का शुभारंभ हो गया. 25 क्विंटल माखन से मां की प्रतिमा पर लेप किया गया.

25 क्विंटल मक्खन से किया गया ब्रजेश्वरी देवी की पिंडी का लेप
25 क्विंटल मक्खन से किया गया ब्रजेश्वरी देवी की पिंडी का लेप (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jan 15, 2025, 5:49 PM IST

Updated : Jan 15, 2025, 7:04 PM IST

कांगड़ा: मशहूर शक्तिपीठ मां बज्रेश्वरी देवी को माखन का लेप लगाने के साथ ही दो दिवसीय घृत पर्व का शुभारंभ हो गया है. 30 क्विंटल घी से तैयार किए गये 25 क्विंटल माखन से मंदिर न्यास के पुजारियों ने रातभर मां की प्रतिमा पर लेप किया. देसी घी को सर्दियों के इस मौसम में 101 बार ठंडे जल में रगड़-रगड़ धोया जाता है और माखन तैयार किया जाता है. घी से माखन तैयार करने की प्रक्रिया एक सप्ताह पहले ही मंदिर में पूरी हो जाती है.

वहीं, सुबह पांच बजे ही मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शन करने के लिए खोल दिए गए थे और भक्तों ने भी लंबी लंबी लाइनों में लगकर मां बज्रेश्वरी देवी के दर्शन किए. इस मौके पर मंदिर के प्रांगण में ही माता के भक्तों ने लंगरों का भी आयोजन किया था. घृत मंडल पर्व के आयोजन के पीछे कई तरह की मान्यताएं और लोक कथाएं प्रचलित हैं. एक मान्यता के अनुसार जालंधर दैत्य को वध करते समय माता के शरीर पर कई घाव हो गए थे. इन्हें ठीक करने के लिए माता के शरीर पर देवताओं ने घृत (घी) का लेप किया था. मान्यता है कि देवी-देवताओं ने देसी घी को एक सौ एक बार शीतल जल से धोया था और माखन तैयार किया था. इसके बाद इस माखन को माता के घावों पर लगाया था. तब से लेकर अब तक ये प्रक्रिया निरंतर जारी है.

लोगों में बांटा जाता है ये माखन

हर साल करीब 25 से 30 क्विंटल माखन तैयार करके स प्रथा को निभाया जाता है. इस साल भी 25 क्विंटल माखन मां की प्रतिमा पर चढ़ाया गया है. माखन से लेप करने के बाद सूखे मेवे, फलों से माता का श्रृंगार किया जाता है. घृतमंडल पर्व मकर संक्रांति से लेकर सात दिन तक चलता है. इस दौरान लोग मंदिर में माता के इसी स्वरूप के दर्शन करते हैं.सात दिन बाद इस माखन को माता की पिंडी से उतारा जाता है. इसके बाद इसे लोगों में बांटा जाएगा. माना जाता है कि ये माखन किसी भी प्रकार के चर्म रोगों, जोड़ों के दर्द को ठीक कर देता है, लेकिन इसे खाने के लिए प्रयोग नहीं किया जाता है.

ये भी पढ़ें: कोमा में था मरीज, PGI से डॉक्टरों ने भेज दिया था घर, नाहन मेडिकल कॉलेज की महिला डॉक्टर ने 'फूंक दी जान'

कांगड़ा: मशहूर शक्तिपीठ मां बज्रेश्वरी देवी को माखन का लेप लगाने के साथ ही दो दिवसीय घृत पर्व का शुभारंभ हो गया है. 30 क्विंटल घी से तैयार किए गये 25 क्विंटल माखन से मंदिर न्यास के पुजारियों ने रातभर मां की प्रतिमा पर लेप किया. देसी घी को सर्दियों के इस मौसम में 101 बार ठंडे जल में रगड़-रगड़ धोया जाता है और माखन तैयार किया जाता है. घी से माखन तैयार करने की प्रक्रिया एक सप्ताह पहले ही मंदिर में पूरी हो जाती है.

वहीं, सुबह पांच बजे ही मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शन करने के लिए खोल दिए गए थे और भक्तों ने भी लंबी लंबी लाइनों में लगकर मां बज्रेश्वरी देवी के दर्शन किए. इस मौके पर मंदिर के प्रांगण में ही माता के भक्तों ने लंगरों का भी आयोजन किया था. घृत मंडल पर्व के आयोजन के पीछे कई तरह की मान्यताएं और लोक कथाएं प्रचलित हैं. एक मान्यता के अनुसार जालंधर दैत्य को वध करते समय माता के शरीर पर कई घाव हो गए थे. इन्हें ठीक करने के लिए माता के शरीर पर देवताओं ने घृत (घी) का लेप किया था. मान्यता है कि देवी-देवताओं ने देसी घी को एक सौ एक बार शीतल जल से धोया था और माखन तैयार किया था. इसके बाद इस माखन को माता के घावों पर लगाया था. तब से लेकर अब तक ये प्रक्रिया निरंतर जारी है.

लोगों में बांटा जाता है ये माखन

हर साल करीब 25 से 30 क्विंटल माखन तैयार करके स प्रथा को निभाया जाता है. इस साल भी 25 क्विंटल माखन मां की प्रतिमा पर चढ़ाया गया है. माखन से लेप करने के बाद सूखे मेवे, फलों से माता का श्रृंगार किया जाता है. घृतमंडल पर्व मकर संक्रांति से लेकर सात दिन तक चलता है. इस दौरान लोग मंदिर में माता के इसी स्वरूप के दर्शन करते हैं.सात दिन बाद इस माखन को माता की पिंडी से उतारा जाता है. इसके बाद इसे लोगों में बांटा जाएगा. माना जाता है कि ये माखन किसी भी प्रकार के चर्म रोगों, जोड़ों के दर्द को ठीक कर देता है, लेकिन इसे खाने के लिए प्रयोग नहीं किया जाता है.

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Last Updated : Jan 15, 2025, 7:04 PM IST
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