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किन्नौर के दुर्गम क्षेत्रों में बर्फबारी के चलते लोग परेशान, सरकार से की ये मांग

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Published : Jan 7, 2021, 7:09 PM IST

किन्नौर में बर्फबारी के बाद कई समस्याएं पैदा हो जाती हैं. ऐसे में जिला मुख्यालय व आसपास के क्षेत्रों में तो जिला प्रशासन सड़क बहाली कर देता है, लेकिन जिला के कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां अप्रैल महीने के अंत तक सड़क मार्ग बंद होने से जद्दोजहद करते रहते हैं. इस विषय में किन्नौर कांग्रेस कमेटी के जिला प्रवक्ता सूर्या बोरस ने कहा कि जिला के पीडब्ल्यूडी विभाग की छोटी मशीनें ग्लेशियर हटाने में भी असफल होते हैं. ऐसे में स्नोक्टर की खासी आवश्यकता भी खलती है.

snowfall in inaccessible areas of Kinnaur, किन्नौर के दुर्गम इलाकों में बर्फबारी
किन्नौर के दुर्गम क्षेत्रों में बर्फबारी के चलते लोग परेशान

किन्नौर: जनजातीय जिला किन्नौर में बर्फबारी के बाद कई समस्याएं पैदा हो जाती हैं. ऐसे में जिला मुख्यालय व आसपास के क्षेत्रों में तो जिला प्रशासन सड़क बहाली कर देता है, लेकिन जिला के कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां अप्रैल महीने के अंत तक सड़क मार्ग बंद होने से जद्दोजहद करते रहते हैं.

ऐसे में लोगों को कई बार दूरदराज क्षेत्रों से आपातकाल परिस्थितियों में मेडिकल सुविधा व रोजमर्रा की खरीदारी करने के लिए भी पैदल चलकर मुख्य सड़क तक आना पड़ता है. जिसमें कई घंटों का समय लगता है. कारण सड़क से बर्फ हटाने के लिए मशीनों की कमी है.

वीडियो.

इस विषय में किन्नौर कांग्रेस कमेटी के जिला प्रवक्ता सूर्या बोरस ने कहा कि जिला किन्नौर में भारी बर्फबारी के बाद सबसे बड़ी समस्या लोगों को आपातकाल परिस्थिति में आवाजाही की समस्या आती है, क्योंकि जिला के दुर्घम क्षेत्र जिसमें छितकुल, कुनोचारनग, ठंगी, चुलिंग, लीप्पा, आसरंग, बारंग जैसे ऐसे क्षेत्र हैं जहां अप्रैल महीने से पहले सड़क नहीं खुल पाते हैं. जिसके चलते लोगों को भारी बर्फबारी में पैदल चलकर गंतव्यों व चिकित्सालयों तक जाना पड़ता है.

'स्नोक्टर की सरकार से पिछले कई वर्षों से मांग'

ऐसे में कई मरीजों की मृत्यु भी हो जाती है. उन्होंने कहा कि जिला के इन दुर्गम क्षेत्रों में सड़क बहाली के लिए स्नोक्टर पर सरकार से पिछले कई वर्षों से मांग की का रही है, लेकिन हर बसर सरकार केवल आश्वासन देकर भूल जाती है.

उन्होंने कहा कि जिला में बर्फबारी के बाद सीमांत क्षेत्रों में भी बर्फबारी से सड़क बंद होने के कारण भी सेना के जवानों को कई बार पैदल चलकर सीमा तक जाना पड़ता है. ऐसे में सरकार जिला किन्नौर के लिए स्नोक्टर का प्रवधान करे, ताकि लोगों को बर्फबारी के दौरान सड़क बहाली कर समस्या से निजात मिल सके.

बता दें कि पिछले वर्ष भी भारी बर्फबारी के बाद जिला के करीब 28 सड़क सम्पर्क मार्ग फरवरी के अंतिम माह तक लगातार अवरुद्ध रहे थे. जिसके बाद निर्माणाधीन परियोजना व बीआरओ के मशीनों की सहायता से करीबन 10 दिन तक जद्दोजहद के बाद सड़क बहाल की गई थी. जिसके बाद दुर्गम क्षेत्र के लोगों को परेशानियों से हल्की निजात मिली थी.

स्नोक्टर की खासी आवश्यकता

वहीं, जिला में भारी बर्फबारी के बाद ग्लेशियरों का सिलसिला भी जारी रहता है. ऐसे में जिला के पीडब्ल्यूडी विभाग के छोटी मशीनें ग्लेशियर हटाने में भी असफल होते हैं. ऐसे में स्नोक्टर की खासी आवश्यकता भी खलती है.

किन्नौर: जनजातीय जिला किन्नौर में बर्फबारी के बाद कई समस्याएं पैदा हो जाती हैं. ऐसे में जिला मुख्यालय व आसपास के क्षेत्रों में तो जिला प्रशासन सड़क बहाली कर देता है, लेकिन जिला के कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां अप्रैल महीने के अंत तक सड़क मार्ग बंद होने से जद्दोजहद करते रहते हैं.

ऐसे में लोगों को कई बार दूरदराज क्षेत्रों से आपातकाल परिस्थितियों में मेडिकल सुविधा व रोजमर्रा की खरीदारी करने के लिए भी पैदल चलकर मुख्य सड़क तक आना पड़ता है. जिसमें कई घंटों का समय लगता है. कारण सड़क से बर्फ हटाने के लिए मशीनों की कमी है.

वीडियो.

इस विषय में किन्नौर कांग्रेस कमेटी के जिला प्रवक्ता सूर्या बोरस ने कहा कि जिला किन्नौर में भारी बर्फबारी के बाद सबसे बड़ी समस्या लोगों को आपातकाल परिस्थिति में आवाजाही की समस्या आती है, क्योंकि जिला के दुर्घम क्षेत्र जिसमें छितकुल, कुनोचारनग, ठंगी, चुलिंग, लीप्पा, आसरंग, बारंग जैसे ऐसे क्षेत्र हैं जहां अप्रैल महीने से पहले सड़क नहीं खुल पाते हैं. जिसके चलते लोगों को भारी बर्फबारी में पैदल चलकर गंतव्यों व चिकित्सालयों तक जाना पड़ता है.

'स्नोक्टर की सरकार से पिछले कई वर्षों से मांग'

ऐसे में कई मरीजों की मृत्यु भी हो जाती है. उन्होंने कहा कि जिला के इन दुर्गम क्षेत्रों में सड़क बहाली के लिए स्नोक्टर पर सरकार से पिछले कई वर्षों से मांग की का रही है, लेकिन हर बसर सरकार केवल आश्वासन देकर भूल जाती है.

उन्होंने कहा कि जिला में बर्फबारी के बाद सीमांत क्षेत्रों में भी बर्फबारी से सड़क बंद होने के कारण भी सेना के जवानों को कई बार पैदल चलकर सीमा तक जाना पड़ता है. ऐसे में सरकार जिला किन्नौर के लिए स्नोक्टर का प्रवधान करे, ताकि लोगों को बर्फबारी के दौरान सड़क बहाली कर समस्या से निजात मिल सके.

बता दें कि पिछले वर्ष भी भारी बर्फबारी के बाद जिला के करीब 28 सड़क सम्पर्क मार्ग फरवरी के अंतिम माह तक लगातार अवरुद्ध रहे थे. जिसके बाद निर्माणाधीन परियोजना व बीआरओ के मशीनों की सहायता से करीबन 10 दिन तक जद्दोजहद के बाद सड़क बहाल की गई थी. जिसके बाद दुर्गम क्षेत्र के लोगों को परेशानियों से हल्की निजात मिली थी.

स्नोक्टर की खासी आवश्यकता

वहीं, जिला में भारी बर्फबारी के बाद ग्लेशियरों का सिलसिला भी जारी रहता है. ऐसे में जिला के पीडब्ल्यूडी विभाग के छोटी मशीनें ग्लेशियर हटाने में भी असफल होते हैं. ऐसे में स्नोक्टर की खासी आवश्यकता भी खलती है.

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