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विधायक जगत सिंह नेगी ने देश के प्रथम मतदाता स्वर्गीय श्याम सरन नेगी को दी श्रद्धांजलि

विधायक जगत सिंह नेगी ने वीरवार को देश के प्रथम मतदाता स्वर्गीय मास्टर श्याम सरन नेगी के निवास स्थान कल्पा पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी. बता दें कि देश के प्रथम मतदाता स्वर्गीय मास्टर श्याम सरन नेगी का 5 नवंबर को निधन हुआ था. जिसके बाद उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए सीएम जयराम ठाकुर भी 8 नवंबर कल्पा पहुंचे थे. (Jagat Singh Negi paid tribute to Shyam Saran Negi)

Jagat Singh Negi paid tribute to Shyam Saran Negi
Jagat Singh Negi paid tribute to Shyam Saran Negi
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Published : Nov 9, 2022, 2:53 PM IST

किन्नौर: जिला किन्नौर के विधायक जगत सिंह नेगी ने वीरवार को देश के प्रथम मतदाता स्वर्गीय मास्टर श्याम सरन नेगी के निवास स्थान कल्पा पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. इस दौरान उनके साथ कांग्रेस के कार्यकर्ता व पदाधिकारी भी मौजूद रहे है. किन्नौर विधायक जगत सिंह नेगी ने स्वर्गीय श्याम सरन नेगी के परिवारजनों से संवेदनाएं प्रकट की. बता दें कि देश के प्रथम मतदाता स्वर्गीय मास्टर श्याम सरन नेगी का 5 नवंबर को निधन हुआ था. जिसके बाद उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए सीएम जयराम ठाकुर भी 8 नवंबर कल्पा पहुंचे थे. (Jagat Singh Negi paid tribute to Shyam Saran Negi)

आखिरी वोट भी पहले डाल गए नेगी: दरअसल हिमाचल में 12 नवंबर को मतदान होना है. चुनाव आयोग ने 80 साल से अधिक उम्र के बुजुर्ग और दिव्यांगों को घर से मतदान करने की सहूलियत दी है. घर से मतदान करने के इच्छुक लोग 12D फॉर्म भर सकते हैं. जिसके बाद चुनाव आयोग उनके घर से मतदान की व्यवस्था करेगा. श्याम सरन नेगी ने भी इसी प्रक्रिया के तहत घर से वोट दिया था. जिला प्रशासन ने बकायदा उनके घर में मतदान की व्यवस्था की और रेड कार्पेट पर गाजे-बाजों के साथ देश के पहले मतदाता का स्वागत किया था. हर बार चुनाव में आयोग द्वारा ये व्यवस्था उस पोलिंग बूथ पर भी की जाती थी जहां नेगी मतदान करते थे. इस तरह श्याम सरन नेगी ने अपना आखिरी वोट भी हिमाचल के अन्य मतदाताओं से पहले डाल दिया था.

बूथ पर जाकर करना चाहते थे मतदान लेकिन: श्याम सरन नेगी इस बार भी बूथ पर जाकर मतदान करना चाहते थे. इसीलिए उन्होंने तबीयत खराब होने के बावजूद प्रशासन द्वारा 12D फॉर्म भरने की सलाह को ठुकरा दिया था. लेकिन उम्र के इस पड़ाव में बीमारी ने उन्हें मजबूर कर दिया और जब उन्हें लगा कि तबीयत खराब होने के कारण वो बूथ तक नहीं जा पाएंगे तो उन्होंने 12D फॉर्म भरकर घऱ से ही बैलेट के जरिये अपना वोट दिया. उम्र का तकाजा उन्हें हर बार ये कहने पर मजबूर कर देता था कि शायद 'इस बार वोट ना दे पाऊं', लेकिन वोटिंग के प्रति उनका जज्बा आखिरी सांस तक बना रहा और मौत आने से दो दिन पहले वो अपना आखिरी वोट डाल गए.

ये भी पढ़ें: हिमाचल प्रदेश: पंचतत्व में विलीन हुए देश के प्रथम मतदाता श्याम सरन नेगी, राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार

किन्नौर: जिला किन्नौर के विधायक जगत सिंह नेगी ने वीरवार को देश के प्रथम मतदाता स्वर्गीय मास्टर श्याम सरन नेगी के निवास स्थान कल्पा पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. इस दौरान उनके साथ कांग्रेस के कार्यकर्ता व पदाधिकारी भी मौजूद रहे है. किन्नौर विधायक जगत सिंह नेगी ने स्वर्गीय श्याम सरन नेगी के परिवारजनों से संवेदनाएं प्रकट की. बता दें कि देश के प्रथम मतदाता स्वर्गीय मास्टर श्याम सरन नेगी का 5 नवंबर को निधन हुआ था. जिसके बाद उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए सीएम जयराम ठाकुर भी 8 नवंबर कल्पा पहुंचे थे. (Jagat Singh Negi paid tribute to Shyam Saran Negi)

आखिरी वोट भी पहले डाल गए नेगी: दरअसल हिमाचल में 12 नवंबर को मतदान होना है. चुनाव आयोग ने 80 साल से अधिक उम्र के बुजुर्ग और दिव्यांगों को घर से मतदान करने की सहूलियत दी है. घर से मतदान करने के इच्छुक लोग 12D फॉर्म भर सकते हैं. जिसके बाद चुनाव आयोग उनके घर से मतदान की व्यवस्था करेगा. श्याम सरन नेगी ने भी इसी प्रक्रिया के तहत घर से वोट दिया था. जिला प्रशासन ने बकायदा उनके घर में मतदान की व्यवस्था की और रेड कार्पेट पर गाजे-बाजों के साथ देश के पहले मतदाता का स्वागत किया था. हर बार चुनाव में आयोग द्वारा ये व्यवस्था उस पोलिंग बूथ पर भी की जाती थी जहां नेगी मतदान करते थे. इस तरह श्याम सरन नेगी ने अपना आखिरी वोट भी हिमाचल के अन्य मतदाताओं से पहले डाल दिया था.

बूथ पर जाकर करना चाहते थे मतदान लेकिन: श्याम सरन नेगी इस बार भी बूथ पर जाकर मतदान करना चाहते थे. इसीलिए उन्होंने तबीयत खराब होने के बावजूद प्रशासन द्वारा 12D फॉर्म भरने की सलाह को ठुकरा दिया था. लेकिन उम्र के इस पड़ाव में बीमारी ने उन्हें मजबूर कर दिया और जब उन्हें लगा कि तबीयत खराब होने के कारण वो बूथ तक नहीं जा पाएंगे तो उन्होंने 12D फॉर्म भरकर घऱ से ही बैलेट के जरिये अपना वोट दिया. उम्र का तकाजा उन्हें हर बार ये कहने पर मजबूर कर देता था कि शायद 'इस बार वोट ना दे पाऊं', लेकिन वोटिंग के प्रति उनका जज्बा आखिरी सांस तक बना रहा और मौत आने से दो दिन पहले वो अपना आखिरी वोट डाल गए.

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