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बर्फ'भारी' के बीच किन्नौर के ठंगी में माघ मेले की धूम, देवता रापुक शंकरस ने लोगों को दिया आशीर्वाद

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Published : Feb 7, 2020, 11:10 PM IST

Updated : Feb 8, 2020, 7:10 AM IST

जनजातीय जिला किन्नौर के पूह खंड के तहत ठंगी गांव में इन दिनों माघ मेले की शुरुआत हो चुकी है. बारिश हो या फिर बर्फबारी ये मेला पूरे आठ दिन चलता है. आस्था और विश्वास के इस मेले में ग्रामीण पूरी धरती के अच्छे की कामना करते हैं.

Magh fair
माघ मेले की धूम

किन्नौर: जनजातीय जिला किन्नौर के पूह खंड के तहत ठंगी गांव में इन दिनों माघ मेले की शुरुआत हो चुकी है. बारिश हो या फिर बर्फबारी ये मेला पूरे आठ दिन चलता है. आस्था और विश्वास के इस मेले में ग्रामीण पूरी धरती के अच्छे की कामना करते हैं.

Magh fair
देवता रापुक शंकरस ने लोगों को दिया आशीर्वाद

बता दें कि ठंगी माघ मेले की शुरुआत से लेकर आठवें दिन के अंत तक अलग-अलग तौर तरीकों व पारम्परिक रूप से मेले को मनाया जाता है. इसमें ठंगी के स्थानीय देवता रापुक शंकरस की पालकी उनके मंदिर से ठंगी स्कूल के प्रांगण में लेकर जाते हैं.

वीडियो.

मेले में गांव की महिलाएं व पुरुष पूरी पारम्परिक वेशभूषा व आभूषण पहनकर देवता रापुक शंकरस के समक्ष हर दिन अलग-अलग तरीके से मेला करते हैं. वहीं, कुछ पुरुष मुखौटे पहनकर भी इस मेले में प्रवेश करते हैं जिसे मेले की शोभा मानी जाती है और इन मुखौटे वाले व्यक्तियों को देवता रापुक शंकरस द्वारा मेले में प्रमुख रूप से प्रथम श्रेणी में रखा जाता है.

Magh fair
माघ मेले की धूम

मान्यताओं के अनुसार देवता रापुक शंकरस के गुर के रूप भी इन मुखौटों के रूप जैसे माने जाते हैं इसलिए इनका महत्व अधिक माना जाता है. माघ मेले में स्थानीय लोग व बौद्ध भिक्षु मिलकर पूजा पाठ व सुख समृद्धि की कामना करते हैं. इस पूजा पाठ में पहाड़ों से लाई गयी जड़ी-बूटी वाले धूप को जलाया जाता है, जिससे पूरे गांव में इसकी खुशबू फैल जाती है जिसे धुपांग शेननू भी कहते हैं.

साथ ही माघ मेले में देवता रापुक शंकरस के समक्ष फसलों के सूखे दाने और पेड़ पौधों की पूजा करते हैं जिसे स्थानीय बोली में रूम पजाम कहते हैं. रूम पजाम से आने वाले समय में सभी फसलों अच्छी होती हैं और हरियाली रहती है. इस मेले के दौरान बाहर से आए सभी मेहमानों के लिए घर में किन्नौरी खानपान का खास ध्यान रखा जाता है. इस दौरान किन्नौरी अंगूरी (मदिरा) ओगला, फाफड़ा के चिल्टे, चूल फाण्टिंग, सूखे मेवों की थालियां परोसी जाती हैं और पूरे आठ दिन लोगों की खूब सेवा की जाती है.

ये भी पढ़ें: अद्भुत हिमाचल: क्या है लूण लोटा...क्यों कोई झूठ बोलने की नहीं करता हिम्मत

किन्नौर: जनजातीय जिला किन्नौर के पूह खंड के तहत ठंगी गांव में इन दिनों माघ मेले की शुरुआत हो चुकी है. बारिश हो या फिर बर्फबारी ये मेला पूरे आठ दिन चलता है. आस्था और विश्वास के इस मेले में ग्रामीण पूरी धरती के अच्छे की कामना करते हैं.

Magh fair
देवता रापुक शंकरस ने लोगों को दिया आशीर्वाद

बता दें कि ठंगी माघ मेले की शुरुआत से लेकर आठवें दिन के अंत तक अलग-अलग तौर तरीकों व पारम्परिक रूप से मेले को मनाया जाता है. इसमें ठंगी के स्थानीय देवता रापुक शंकरस की पालकी उनके मंदिर से ठंगी स्कूल के प्रांगण में लेकर जाते हैं.

वीडियो.

मेले में गांव की महिलाएं व पुरुष पूरी पारम्परिक वेशभूषा व आभूषण पहनकर देवता रापुक शंकरस के समक्ष हर दिन अलग-अलग तरीके से मेला करते हैं. वहीं, कुछ पुरुष मुखौटे पहनकर भी इस मेले में प्रवेश करते हैं जिसे मेले की शोभा मानी जाती है और इन मुखौटे वाले व्यक्तियों को देवता रापुक शंकरस द्वारा मेले में प्रमुख रूप से प्रथम श्रेणी में रखा जाता है.

Magh fair
माघ मेले की धूम

मान्यताओं के अनुसार देवता रापुक शंकरस के गुर के रूप भी इन मुखौटों के रूप जैसे माने जाते हैं इसलिए इनका महत्व अधिक माना जाता है. माघ मेले में स्थानीय लोग व बौद्ध भिक्षु मिलकर पूजा पाठ व सुख समृद्धि की कामना करते हैं. इस पूजा पाठ में पहाड़ों से लाई गयी जड़ी-बूटी वाले धूप को जलाया जाता है, जिससे पूरे गांव में इसकी खुशबू फैल जाती है जिसे धुपांग शेननू भी कहते हैं.

साथ ही माघ मेले में देवता रापुक शंकरस के समक्ष फसलों के सूखे दाने और पेड़ पौधों की पूजा करते हैं जिसे स्थानीय बोली में रूम पजाम कहते हैं. रूम पजाम से आने वाले समय में सभी फसलों अच्छी होती हैं और हरियाली रहती है. इस मेले के दौरान बाहर से आए सभी मेहमानों के लिए घर में किन्नौरी खानपान का खास ध्यान रखा जाता है. इस दौरान किन्नौरी अंगूरी (मदिरा) ओगला, फाफड़ा के चिल्टे, चूल फाण्टिंग, सूखे मेवों की थालियां परोसी जाती हैं और पूरे आठ दिन लोगों की खूब सेवा की जाती है.

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Intro:किन्नौर न्यूज़ स्पेशल स्टोरी ।

बर्फभारी के बीच किन्नौर के ठंगी में माघ मेले की धूम,देवता रापुक शंकरस निकले मन्दिर प्रांगण में बाहर,लोगो को दिया आशीर्वाद,वर्ष में एक बार सबसे खास है यह मेला।

किन्नौर-जनजातीय जिला किन्नौर के पूह खंड के तहत ठंगी गांव में इन दिनों माघ मेले की शुरुआत हो चुकी है. बारिश हो या फिर बर्फबारी ये मेला पूरे आठ दिन चलता है. आस्था और विश्वास के इस मेले में ग्रामीण पूरी धरती के अच्छे की कामना करते हैं.
बता दें कि ठंगी माघ मेले की शुरुआत से लेकर आठवें दिन के अंत तक अलग-अलग तौर तरीकों व पारम्परिक रूप से मेले को मनाया जाता है. इसमें ठंगी के स्थानीय देवता रापुक शंकरस की पालकी उनके मंदिर से ठंगी स्कूल के प्रांगण में स्थानीय पुरुष,महिलाए व कारदार लेकर जाते हैं.इस दौरान पूरे मार्ग पर महिलाएं गीत गाती हुई धूप से पूजती हुई मेला प्रांगण तक लेकर आते है,.Body:मेले में गांव की महिलाएं व पुरूष पूरी पारम्परिक वेशभूषा व आभूषण पहनकर देवता रापुक शंकरस के समक्ष हर दिन अलग-अलग तरीके से मेला करते हैं. और कुछ पुरुष मुखोटे पहनकर भी इस मेले में प्रवेश करते है जिसे मेले की शोभा मानी जाती है और इन मुखोटे वाले व्यक्तियों को देवता रापुक शंकरस द्वारा मेले में प्रमुख रूप से प्रथम श्रेणी में रखा जाता है मान्यताओ अनुसार देवता रापुक शकरस के गूर के रूप भी इन मुखोटों के रूप जैसे माने जाते है इसलिए इनका महत्व अधिक माना जाता है।

Conclusion:माघ मेले में स्थानीय लोग व बौद्ध भिक्षु मिलकर पूजा पाठ व सुख समृद्धि की कामना करते हैं. इस पूजा पाठ में पहाड़ो से लाई गयी जड़ीबूटी वाले धूप को जलाया जाता है जिससे पूरे गाँव में इसकी खुशबू फैल जाती है जिसे धुपांग शेननू भी कहते है जिससे गाँव के दूसरे गुप्त देवी देवताओं को रापुक शंकरस द्वारा धूप की खुशबू का आभास करवाया जाता साथ ही माघ मेले में देवता रापुक शंकरस के समक्ष हरेक फसलों के सूखे दाने और पेड़ पौधों की पूजा करते हैं जिसे स्थानीय बोली में रूम पजाम कहते हैं. रूम पजाम से आने वाले समय में सभी फसलों अच्छी होती हैं और हरियाली रहती है.
इस मेले के दौरान बाहर से आए सभी मेहमानों के लिए घर में किन्नौरी खानपान का खास ध्यान रखा जाता है इस दौरान किन्नौरी अंगूरी (मदिरा) ओगला,फाफड़ा के चिलटे,चूल फाण्टिंग,सूखे मेवों की थालिया परोसी जाती है और पूरे आठ दिन लोगो की खूब सेवा की जाती है।
Last Updated : Feb 8, 2020, 7:10 AM IST
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