किन्नौरः जनजातीय जिला किन्नौर में भारी बर्फबारी के बाद कई दिनों से पीने के पानी की समस्या बनी हुई है. जिला के लोगों को कई किलोमीटर दूर जाकर पानी लाने के लिए जाना पड़ रहा है. पैदल मार्ग समेत सडकों पर फिसलन का भी लगातार खतरा बना हुआ है.
आईपीएच एक्सईएन रिकांगपिओ उदय बोद्ध ने कहा कि जिला किन्नौर के पांगी, रिकांगपिओ, तरांडा भावावेळी, शुदारनग में इन दिनों पानी की भारी समस्या से लोगों को गुजरना पड़ रहा है. इन क्षेत्रों में पीने के पानी के मुख्यस्त्रोतों पर पहाड़ियों से गलेशियर गिरे हैं और ऐसे में विभाग को पहाड़ियों पर जाना संभव नहीं है.
इन दिनों पहाड़ों से गलेशियरों गिरने का खतरा बना हुआ है. इसलिए रिकांगपिओ और पंगी के मुख्य जलस्त्रोत काशनग के टूटने के बाद नालजो जलस्त्रोत वैकल्पिक तौर ठीका किया गया है. वहीं, भावावेली, तरांडा, नान्सपो में भी फिलहाल आसपास के छोटे पानी के स्रोतों से पाइपलाइन से पानी दिया जा रहा है. साथ ही कई क्षेत्रों में पाइपलाइनों के ब्रांच के बीचों बीच पानी की लाइनों को खोला गया है. जिससे लोग बर्तनों में पानी भर रहें हैं.
एक्सईएन ने कहा कि बर्फबारी से जिला में आईपीएच विभाग के लगभग सभी मुख्य जलस्त्रोतों को नुकसान हुआ है. ऐसे में कुछ एक पहाड़ियों पर जल स्त्रोतों को देखने के लिए विभाग ने मौके का दौरा किया, लेकिन इस वक्त इन जलस्त्रोत के ठीक ऊपर गलेशियरों के गिरने के खतरे के बीच काम करना नामुमकिन है.
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जैसे ही पहाड़ों में गलेशियरों का आना थम जाएगा वैसे ही विभाग मुख्यस्त्रोत से लोगों को पानी देगा, फिलहाल वैकल्पिक स्त्रोतों से पानी दिया जा रहा है. साथ ही जिन क्षेत्रों में संभव होगा वहां फील्ड अधिकारियों को मुख्य जलस्त्रोत पर जाकर पानी के लाइनों को ठीक करने के भी निर्देश दिए गए हैं.