किन्नौर: जनजातीय जिला किन्नौर की वन अधिकार संघर्ष समिति के प्रतिनिधिमंडल ने डीसी किन्नौर गोपालचंद के माध्यम से राज्यपाल को जनजातीय क्षेत्रों में नौतोड़ व एफआरए से संबंधित समस्याओं का हल करने के लिए ज्ञापन सौंपा. प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय से नौतोड़ व एफआरए की मांग करने वाले लोगों के बारे में दोबारा सोच-विचार करने की मांग की है.
वन अधिकार संघर्ष समिति किन्नौर के जिला अध्यक्ष जिया लाल नेगी ने मीडिया से रूबरू होते हुए कहा कि किन्नौर में छोटे किसानों को 20 बीघा तक जमीन बतौर नौतोड़ प्राप्त करने के लिए हिमाचल प्रदेश नौतोड़ नियम 1968 बनाए गए हैं. नौतोड़ प्राप्त करने का अधिकार भी वाजिब उल अर्ज व नक्शा बर्तन में दर्ज है.
जिया लाल नेगी ने कहा कि नौतोड़ प्राप्त करना यहां के लोगों का पारंपरिक ही नहीं बल्कि कानूनी अधिकार है. उन्होंने कहा कि इसी तरह एफआरए नियम के तहत भी लोगों ने कुछ खाली भूमि पर किसानी की है, लेकिन लंबे समय से जिला में सभी मामले लंबित है. इससे हजारों लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. सरकार को दोनों मामलों को जल्द से जल्द निपटाना चाहिए.
बता दें कि जिला किन्नौर में नौतोड़ के 6 हजार 6 सौ 66 मामले लंबित हैं, जिसमें 1167 मामले मंजूर हुए हैं, लेकिन अब तक लोगों को पट्टे नहीं दिए गए हैं.
ऐसे में सरकार की ओर से लंबे समय से नौतोड़ व एफआरए पर अब तक कोई नियम नहीं बनाये जा रहे है, जिससे किन्नौर के हजारों लोग प्रभावित हो रहे हैं. किन्नौर में लॉकडाउन के बाद नौतोड़ व एफआरए की सभी फाइल लंबित पड़ी है, जिसे जल्द खोलकर दोनों को लागू करने पर विचार करना चाहिए.