किन्नौर: जिला किन्नौर के हांगो में बुधवार से तीरंदाजी का त्यौहार शुरू हो गया है. जिसे हर साल यहां पर मनाया जाता है. बताया जाता है कि इस त्यौहार का खास महत्व हांगो वेली में सैकड़ों वर्ष पूर्व से है. यह त्यौहार बुरी शक्तियों को गांव से बाहर निकालने के लिए मनाया जाता है.
इस त्योहार में हांगो गाव के पुरुष एक मैदान में बर्फ के असुर राक्षस की मूर्ति बनाते हैं. जिसे तोंगबा कहा जाता है. इसके बाद समूचे गांव के पुरुष एक साथ अपने घरों से अपने पुरखों के बनाए गए तीर कमान लेकर गांव के मध्य एक मैदान पर आते हैं. जिसके बाद सभी इस बर्फ से बनी राक्षसी मूर्ति को खूब सजाते हैं.
बता दें कि अगर इस त्योहार में बर्फबारी नहीं हुई हो तो यहां के लोग मिट्टी का पुतला बनाकर उस पर तीरंदाजी करते हैं. इस राक्षसी मूर्ति की मान्यता है कि गांव के अंदर सर्दियों में जितनी भी बुरी शक्तियां आई होती हैं उसे ग्रामीण बौद्ध धर्म के लामाओं के मंत्र और तीर कमान मारकर उसे गांव से बाहर निकालते हैं.
जिला के हांगरंग घाटी में इस खास त्यौहार में लामाओं और स्थानीय लोगों द्वारा इस बर्फ की मूर्ति को बनाने से पहले सभी ग्रामीणों के घर में बौद्ध अनुष्ठान किए जाते हैं. जिसके बाद घर से सभी बुरी शक्तियों को निकालकर गांव के मध्य मैदान में कपड़े में बंद कर लाया जाता है और इस बर्फ की मूर्ति के अंदर दबाया जाता है. जिसके बाद सभी ग्रामीण मिलकर इस पर तीर से हमला करते हैं और साल भर के लिए गांव में बीमारियों को बुरी शक्तियों को बाहर निकालने की कामना भी करते हैं.
अंत में जब मूर्ति तीर कमान के हमले से तरहस नहस हो जाती है तो इसके अंदर ग्रामीणों और लामाओं के द्वारा दबाई गया बुरी शक्तियों की चीजों को जलाया जाता है. इस दौरान महिलाओं और बच्चों को इससे दूर रखा जाता है.
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