किन्नौर: जनजातीय जिला किन्नौर में इन दिनों चीन सीमा से लगते सभी गांवों को अलर्ट किया गया है. जिला किन्नौर के चीन सीमा से सटे कूनो चारङ्ग, छितकुल, समदो, कौरिक, शिपकिला वाले क्षेत्रों में सेना और आईटीबीपी के जवान तैनात हो चुके हैं. सेना के आलाधिकारियों ने कूनो चारङ्ग के प्रधान से भी 15 जून को ग्रामीणों को क्षेत्र से 25 किलोमीटर बाहर जाने से रोकने की सूचना देने को कहा है.
बता दें कि पिछले दिनों भी चीन व किन्नौर स्पीति के मध्य पहाड़ियों के आसपास कुछ हेलीकॉप्टर मंडराते दिखे थे जिसके बेस्ड जिला में हाई अलर्ट जारी है. इस विषय में किन्नौर के बारे में जानकारी रखने वाले व नेशनल जनरल हिमालयन कमेटी फॉर एक्शन आन तिब्बत भगत सिंह किन्नर ने कहा कि चीन अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आता है. इसी के चलते किन्नौर के तिब्बत से व्यापार सबंध खराब हो गए हैं.
भगत सिंह किन्नर ने कहा कि सन् 2000 में भी चीन ने अपनी नापाक हरकत से सतलुज नदी पर बाढ़ का कहर ढाया था. जिसमें जिला किन्नौर के साथ हिमाचल के कई इलाकों को भारी नुकसान हुआ था और लगभग एक वर्ष के लिए किन्नौर यातायात सुविधाओं से कट गया था. सतलुज की बाढ़ से सड़कें बदहाल हुई थीं. लोगों को करीब एक वर्ष पैदल चलकर अपने गंतव्यों तक जाना पड़ा था.
उन्होंने कहा कि चीन ने सन् 2000 में पारछू नामक कृतिम झील जो चीन सीमा व किन्नौर के मध्य है उस बांध से पानी को छोड़ा था जिससे हिमाचल को इसका भारी खामियाजा भुकतना पड़ा था. उन्होंने कहा कि अब भी चीन देश के विभिन्न चीन सीमा से सटे भारतीय क्षेत्रों में अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आ रहा है. पिछले दिनों भी किन्नौर व स्पीति के मध्य पहाड़ियों पर चीन के हेलीकॉप्टर मंडराते देखा गये हैं. इसी तरह चीन बीच-बीच में इस तरह की गतिविधियां पहले भी करता रहा है, लेकिन देश की सेना ने हमेशा उनको मुंह तोड़ जवाब दिया है.
वहीं, दूसरी ओर जिलादण्डाधिकारी किन्नौर गोपालचन्द ने कहा कि वे लगातार सेना के अधिकारियों व आईटीबीपी के अधिकारियों के साथ सम्पर्क में हैं और अब तक चीन सीमा से सटे सभी ग्रामीण इलाकों में परिस्थिति सामान्य है. फिलहाल चीन सीमा के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों को गांव के क्षेत्र से बाहरी तरफ जाने पर रोक है.
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