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दो छोटे तैराकों का हुनर देख दंग रह जाएंगे आप, बिना हांथ-पांव चलाए घंटों पानी में तैरते हैं ये बच्चे

नूरपुर के दो सगे भाइयों की अनोखी प्रतिभा देख इन दिनों लोग दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर हैं. दोनों भाइयों की प्रतिभा देख लोग हैरान हैं. दोनों बच्चे पानी में बिना हाथ-पैर हिलाए घंटों लेटे रहते हैं.

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Published : Aug 30, 2019, 7:04 PM IST

swimmers of nurpur kangra

कांगड़ा: नूरपुर उपमंडल के तहत आते लोधवां पंचायत के दो सगे भाई पानी में बिना हाथ-पैर हिलाए घंटों लेटे रह लेते हैं. दोनों भाई इतनी छोटी सी उम्र में तैराकी के इतने माहिर हो चुके हैं की बड़े-बड़े तैराकों को पानी पिला दें. दोनों भाई स्वीमिंग पूल में घंटो बिना हाथ पांव लेटे रहते हैं, लेकिन पानी की एक बूंद तक मूंह में नहीं जाती. राजवंश और आर्यवंश नाम के इन बच्चों के इस अद्भुत कारनामे को देखकर हर कोई हैरान हो जाता है.

इन दोनों छोटे तैराकों में से आर्यवंश तैराकी क्षेत्र में आगे बढकर ओलम्पिक में हिस्सा लेना चाहता हैं. वहीं, राजवंश का सपना भारतीय सेना में अधिकारी के रूप में देश की सेवा करना है. दोनों बच्चों ने इस हुनर को सीखाने का श्रेय अपने पिता को दिया है.

माना जाता है कि प्राण निकलने के बाद ही शरीर हल्का होकर पानी के ऊपर आता है, लेकिन इन बच्चों ने अनोखी कला सीखी है, जिसमें ये बिना तैरे ही घंटो अपने आप को पानी के ऊपर रख सकते हैं.ये विधि उस समय कारगर सिद्ध होती है जब कोई इंसान समुन्द्र या गहरी नदी में फंस जाता है. एक निश्चित समय के बाद थकने के कारण इंसान डूब जाता है, लेकिन इस विधि से इंसान थकने के बाद बिना हिले आराम भी कर सकता है.

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ये भी पढ़ें-कुल्लू में राज्य स्तरीय यूथ फोरम का आयोजन, इतने लोग राष्ट्रीय युवा मंच ओडिशा में लेंगे भाग

बच्चों के पिता और ट्रेनर विकास चम्बयाल ने कहा कि ये सिर्फ एक सांस लेने और छोड़ने के बीच की कला है. जब भी इंसान सांस लेता है तो पेट में हवा भरने से शरीर हबा से भरी रबड़ ट्यूब की तरह पानी में तैरती है. जब सांस छोड़ी जाती है तो शरीर खाली होने के कारण भारी होकर डूबना शुरू हो जाता है.

विकास चम्बयाल का कहना है कि अपने आप को पानी के ऊपर रखने के लिए बराबर मात्रा में सांस लेनी और छोड़नी पड़ती है. पानी में तैरते समय उतनी ही सांस छोड़े पेट खाली न रहे और बराबर मात्रा में उतनी ही सांस फिर से अंदर लें .

ये भी पढ़ें-करसोग सिविल अस्पताल में डॉक्टरों की कमी से मरीज परेशान, स्वास्थ्य मंत्री के आश्वासन के बावजूद समस्या बरकरार

कांगड़ा: नूरपुर उपमंडल के तहत आते लोधवां पंचायत के दो सगे भाई पानी में बिना हाथ-पैर हिलाए घंटों लेटे रह लेते हैं. दोनों भाई इतनी छोटी सी उम्र में तैराकी के इतने माहिर हो चुके हैं की बड़े-बड़े तैराकों को पानी पिला दें. दोनों भाई स्वीमिंग पूल में घंटो बिना हाथ पांव लेटे रहते हैं, लेकिन पानी की एक बूंद तक मूंह में नहीं जाती. राजवंश और आर्यवंश नाम के इन बच्चों के इस अद्भुत कारनामे को देखकर हर कोई हैरान हो जाता है.

इन दोनों छोटे तैराकों में से आर्यवंश तैराकी क्षेत्र में आगे बढकर ओलम्पिक में हिस्सा लेना चाहता हैं. वहीं, राजवंश का सपना भारतीय सेना में अधिकारी के रूप में देश की सेवा करना है. दोनों बच्चों ने इस हुनर को सीखाने का श्रेय अपने पिता को दिया है.

माना जाता है कि प्राण निकलने के बाद ही शरीर हल्का होकर पानी के ऊपर आता है, लेकिन इन बच्चों ने अनोखी कला सीखी है, जिसमें ये बिना तैरे ही घंटो अपने आप को पानी के ऊपर रख सकते हैं.ये विधि उस समय कारगर सिद्ध होती है जब कोई इंसान समुन्द्र या गहरी नदी में फंस जाता है. एक निश्चित समय के बाद थकने के कारण इंसान डूब जाता है, लेकिन इस विधि से इंसान थकने के बाद बिना हिले आराम भी कर सकता है.

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बच्चों के पिता और ट्रेनर विकास चम्बयाल ने कहा कि ये सिर्फ एक सांस लेने और छोड़ने के बीच की कला है. जब भी इंसान सांस लेता है तो पेट में हवा भरने से शरीर हबा से भरी रबड़ ट्यूब की तरह पानी में तैरती है. जब सांस छोड़ी जाती है तो शरीर खाली होने के कारण भारी होकर डूबना शुरू हो जाता है.

विकास चम्बयाल का कहना है कि अपने आप को पानी के ऊपर रखने के लिए बराबर मात्रा में सांस लेनी और छोड़नी पड़ती है. पानी में तैरते समय उतनी ही सांस छोड़े पेट खाली न रहे और बराबर मात्रा में उतनी ही सांस फिर से अंदर लें .

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नूरपुर उपमंडल के तहत आते लोधवां पंचायत के दो बच्चे विलक्षण प्रतिभा के धनी है और उनकी यह प्रतिभा है पानीं में बिना कोई हाथ-पैर हिलाए घंटों लेटे रहना|अमूमन माना जाता है कि पानी उस समय तक शरीर को बाहर नहीं निकालता जब तक उसमें प्राण हो और प्राण जाने के बाद ही शरीर हल्का होकर पानी के ऊपर आता है|लेकिन इन बच्चों ने अनोखी कला सीखी है जिसमें यह बिना तैरे ही अपने आप को पानी के ऊपर रख सकते है और वो भी मिनटों में नहीं बल्कि घंटो ऐसा कर सकते है|यह बिधि उस समय कारगर सिद्ध होती है जब कोई इंसान किसी समुन्द्र में या गहरी नदी में फंस जाए तो कुछ समय के लिए तो तैर कर अपने को बचा सकता है लेकिन लगतार तैरना किसी के वश की बात नहीं और ऐसे में एक निश्चित समय के बाद थकने के कारण इंसान डूब सकता है|पर इस विशेष विधि से इंसान तैरने के साथ अगर थक जाए तो वो बिना हिले आराम भी कर सकता है|राजवंश और आर्यवंश नाम के इन बच्चों के इस अद्भुत कारनामें को देखकर हर कोई अचरज खाता है|
इनके पिता विकास चम्बयाल जो कि इनके प्रशिक्षक भी है उनका कहना है कि यह मात्र एक श्वास लेने और छोड़ने के बीच की ही कला है जिसमें जब भी इंसान श्वास लेता है तो पेट में हवा भरने से शरीर हल्का हो जाता है जैसे किसी ट्यूब में हवा भरी जाने के बाद वो पानी में तैरती है और जब सांस छोड़ी जाती है तो शरीर फिर से भारी होने के कारण डूबना शुरू हो जाता है|उन्होंने कहा कि अपने आप को पानी के ऊपर रखने के लिए बराबर मात्रा में सांस लेना और छोड़ना होता है जिसमें हम उतनी ही सांस छोड़ते है कि पेट खाली ना रहे और बराबर मात्रा में उतनी ही सांस पुनः ले लेते है|
इन दोनों छोटे तैराकों में से आर्यवंश तैराकी क्षेत्र में आगे बढकर ओलम्पिक में हिस्सा लेना चाहता है वहीँ दूसरे का सपना भारतीय सेना में अधिकारी के रूप में देश की सेवा करना है|इन्होने इस बिधि को सीखाने का श्रेय अपने पिता को ही दिया है|
बाईट_आर्यवंश चम्बयाल,तैराक
बाईट_राजवंश चम्बयाल,तैराक
बाईट_विकास चम्बयाल,पिता और प्रशिक्षक

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