धर्मशालाः दुनिया भर में कोरोना वायरस से कोहराम मचाया हुआ है इससे होटल और रेस्टोरेंट इंडस्ट्री पूरी तरह से बर्बाद हो गई है. पर्यटन नगरी धर्मशाला को फरवरी से लेकर मई के महीने तक इस इंडस्ट्री को सबसे ज्यादा मुनाफा होता था, लेकिन सरकार की नई बंदिशों की वजह से सब बर्बाद हो गया है.
1 साल में पर्यटक इंडस्ट्री को लगभग 10 हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान
जिले में कोरोना के कारण 1 साल में पर्यटक इंडस्ट्री को लगभग 10 हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ है. स्थिति इस कदर खराब हो गई है कि जिन्होंने होटल लीज पर ले रखे थे. अब वापस लौटने में लगे हैं. होटल का कारोबार करने वालों ने अपने कर्मचारियों को अनिश्चितकाल के लिए छुट्टी पर भेज दिया है. होटल मालिक तब तक अपने होटलों को बंद रखेंगे जब सरकार से उन्हें कोई राहत नहीं मिल जाती और कोरोना का कहर खत्म नहीं हो जाता.
होटल मालिकों का यह भी कहना है कि सरकार ने केवल इसलिए होटलों को खुला रखने की बात कही थी कि होटल मालिकों से टैक्स की भरपाई कर सकें परंतु जब पर्यटक ही नहीं है तो आमदनी का रास्ता भी बंद हो चुका है तो ऐसे में होटलों की तालाबंदी करना ही उन्हें सही लगा.
पर्यटकों की ओर से बुकिंग कैंसिल कराने से कारोबार पर दोहरी मार
धर्मशाला सहित मैक्लोडगंज नड्डी, धर्मकोट क्षेत्रों के होटलों में पर्यटकों की ओर से बुकिंग कैंसिल कराने से कारोबार पर दोहरी मार पड़ी है. सरकार की सख्ती के आगे लोग अब इस तरह सतर्क है कि शादियों के आयोजन के लिए भी नई बुकिंग भी कैंसिल करवा दिया है. पर्यटन व्यवसाय पर निर्भर आर्थिकी को कोरोना से गहरी चोट पहुंची है जिस से उभर पाने का रास्ता फिलहाल नजर नहीं आ रहा है.
पिछले 2 साल से घाटे में चल रहे पर्यटन व्यवसाय से जुड़े श्रमिकों के सामने रोटी का संकट खड़ा हो गया है. ऐसे में उन्हें अपने घर परिवार की आजीविका चलाने की चिंता सता रही है. लंबे समय से खाली पड़े होटल रिसोर्ट में पूरी तरह सन्नाटा पसरा है. इससे होटल संचालकों को लाखों का नुकसान हुआ है.
कोरोना महामारी से पर्यटन गतिविधियां पूरी तरह ठप
कोरोना महामारी के चलते यहां पर्यटन गतिविधियां पूरी तरह ठप पड़ गई है. मार्च 2020 में लॉकडाउन लगा था जिससे होटल व्यवसाय को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था. हालांकि कुछ समय बाद हालात सामान्य होने से उनकी उम्मीद बंधी थी सामान्य होते हालात के बीच इस बार देश प्रदेश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर चलने से आमजन व होटल कारोबारी मुसीबत में आ गए हैं.
होटल रिसोर्ट से जुड़े संचालक व श्रमिकों की रोजी-रोटी पर्यटन व्यवसाय से चलती है. कोरोना से लगातार चल रहे घाटे के कारण कर्मियों को वेतन देने की स्थिति में नहीं है. इस संकट से बाहर निकलने का कोई रास्ता उन्हें नजर नहीं आ रहा है, जिसको लेकर होटल व्यवसायियों ने होटल को बंद करने में ही अपनी भलाई समझी है.
ये भी पढे़ंः- नई बंदिशों के लिए हो जाएं तैयार! 5 मई को होगी जयराम मंत्रिमंडल की बैठक