धर्मशाला: धर्म गुरू दलाई लामा कोरोना महामारी के चलते तीन महीने के लंबे अंतराल के बाद शनिवार को ऑनलाइन वर्चुअल क्लास के माध्यम से अपने अनुयायियों से रू-ब-रू हुए. दलाई लामा ने अपने अनुयायियों को कोरोना के चलते दुनियाभर में उपजी भय और चिंता की नकारात्मक भावनाओं से निपटने के लिए आंतरिक शांति विकसित करने की सलाह दी.
लाइव टीचिंग कार्यक्रम के दौरान दलाई लामा ने विशेष रूप से चार बिंदुओं को लेकर अपने विचार प्रकट किए. उन्होंने आंतिरक शांति विकसित करने, मानव सेवा, धर्म के माध्यम से हर जगह शांति, आधुनिक युग में धर्म व विज्ञान और विश्वभर में पर्यावरण के संरक्षण के विषयों की महता को लेकर अपने विचार रखे. धर्म गुरु दलाई लामा ने विश्व के तमाम नागरिकों से अपील की है कि वह इस वैश्विक जलवायु परिवर्तन के दीर्घकालिक मुद्दे पर भी ध्यान दें. अगले दो दशकों के भीतर इसके दूरगामी परिणाम होने की उम्मीद है.
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दलाई लामा ने कहा कि तिब्बती बौद्ध दर्शन मन के परिवर्तन को स्वयं के भीतर और दुनिया में शांति और खुशी प्राप्त करने की कुंजी के रूप में बताता है. वर्तमान परिस्थितियों का उल्लेख करते हुए दलाई लामा ने कहा कि एक व्यक्ति जीवित रहने के लिए समुदाय पर निर्भर है, जो हमें एक दूसरे के प्रति दया और करुणा की सीख देता है. यह मानव स्वभाव का आंतरिक गुण है. इसी तरह आज जिस कोविड-19 संकट का हम सामना कर रहे हैं, इसके लिए हमें वैश्विक सहयोग पर जोर देना चाहिए, ताकि हम सभी एक मानव परिवार के सदस्यों के रूप में एकजुट होकर लड़ सके. दलाई लामा की ऑनलाइन वर्चुअल शिक्षा का आयोजन रविवार को भी जारी रहेगा.