धर्मशाला: गुरुवार को धर्मशाला के मैक्लोडगंज में स्टूडेंट फॉर फ्री तिब्बत(एसएफटी) ने चीन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया. इस दौरान एसएफटी कार्यकर्ताओं ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का सिर लटकाकर 50 फीट लंबा बैनर लहराया. दो दिन में तैयार किए गए इस बैनर पर डाउन विद चाइना, तिब्बत की आजादी और भारत की सुरक्षा जैसे स्लोगन लिखे गए थे.
इस दौरान भारत सहित अंतरराष्ट्रीय समुदाय से एसएफटी ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में चाइना को वोट न करने की अपील की. रिन्झिन छोडन ने कहा कि हम स्वतंत्र देश भारत में रह रहे हैं. भारत सरकार के आभारी हैं, जिन्होंने हमें यहां रहने को शरण दी है. रिन्झिन ने कहा कि तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा पर गाना बनाने वाले दो कलाकारों और उस गाने को शेयर करने वाले को चीन सरकार की ओर से सजा सुनाई गई है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मांग है कि तिब्बत की आजादी को मान्यता दें.
स्टूडेंट फॉर फ्री तिब्बत की नेशनल डायरेक्टर रिन्झिन ने कहा कि 23 जुलाई का दिन कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना यानी सीसीपी के लिए खुशी का दिन है, लेकिन तिब्बत सहित अन्य 3-4 देशों के लिए ये दुख की बात है. इसी दिन हजारों लोगों को सीसीपी ने मौत के घाट उतारा है. 1959 में चीन ने तिब्बत में कई तिब्बतियों को मार डाला था.
रिन्झिन ने कहा कि तिब्बत की आजादी और भारत की सुरक्षा का हमारा नारा है. तिब्बत के आजाद देश घोषित होने तक भारत सहित नेपाल, भूटान और अन्य देशों में चीन की घुसपैठ जारी रहेगी. उन्होंने कहा कि भारत से यही मांग है कि तिब्बत को एक स्वतंत्र देश की मान्यता प्रदान करें. इसलिए अक्तूबर में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के लिए होने वाली वोटिंग में चीन को वोट न करें, क्योंकि चीन ने हमेशा मानवाधिकार कानून की अवहेलना की है.
ये भी पढ़ें: खबर का असर! कुलदीप को मिला सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने का आश्वासन