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देवभूमि के परमवीर की बहादुरी के किस्से, कहा था- या तो तिरंगा लहराते हुए आऊंगा या फिर तिरंगे में लिपट कर

आज कारगिल विजय दिवस है और कारगिल की शौर्य गाथा में सबसे ऊपर नाम आता है देवभूमि के कैप्टन विक्रम बत्रा का. कारगिल वॉर के दौरान मोर्चे पर तैनात बढ़ी हुई दाढ़ी में 22 साल का लड़का जो देश सेवा के जोश से लबरेज था.

डिजाइन फोटो.
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Published : Jul 26, 2019, 12:46 PM IST

Updated : Jul 26, 2019, 1:32 PM IST

धर्मशाला: कारगिल के पांच सबसे इंपॉर्टेंट पॉइंट जीतने में सबसे मेन रोल निभाने वाले कैप्टन बत्रा भारतीय सेना के बहादुर सैनिक थे. परमवीर चक्र पाने वाले आखिरी आर्मी मैन विक्रम बत्रा के बारे में खुद इंडियन आर्मी चीफ ने कहा था कि अगर वो जिंदा वापिस आता, तो इंडियन आर्मी का हेड बन गया होता.

कैप्टन बत्रा की डायरी भी देशभक्ति की शायरी से भरी होती थी. कैप्टन बत्रा ने अपने परिवार से एक वादा किया था. 'या तो मैं लहराते तिरंगे के पीछे आऊंगा, या तिरंगे में लिपटा हुआ आऊंगा. पर मैं आऊंगा जरूर'.

कैप्टन विक्रम बत्रा की शोर्य गाथा (वीडियो).

19 जून, 1999 को कैप्टन विक्रम बत्रा की लीडरशिप में इंडियन आर्मी ने घुसपैठियों से प्वांइट 5140 छीन लिया था. ये बड़ा इंपॉर्टेंट और स्ट्रेटेजिक प्वांइट था, क्योंकि ये एक ऊंची, सीधी चढ़ाई पर पड़ता था. वहां छिपे पाकिस्तानी घुसपैठिए भारतीय सैनिकों पर ऊंचाई से गोलियां बरसा रहे थे. ये भारतीय सेना के लिए एक बड़ी कामयाबी थी, मगर जोश से लबरेज कैप्टन बत्रा यहीं रूकने वाले नहीं थे.

इस प्वॉइंट पर फतह हासिल करते ही विकम बत्रा अगले प्वांइट 4875 को जीतने के लिए चल दिए, जो सी लेवल से 17 हजार फीट की ऊंचाई पर था और 80 डिग्री की चढ़ाई पर पड़ता था. बत्रा ने इस प्वॉइंट पर भी विजय हासिल कर भारतीय तिरंगा फहराया और इसी दौरान कैप्टन बत्रा शहीद भी हो गए. अक्सर अपने मिशन में कामयाबी मिलने के बाद कैप्टन विक्रम बत्रा जोर से कहते थे ‘ये दिल मांगे मोर.

kargil vijay divas
साथियों के साथ कैप्टन विक्रम बत्रा.

युद्ध के दौरान कैप्टन बत्रा के साथी नवीन, जो बंकर में उनके साथ थे, बताते हैं कि अचानक एक बम उनके पैर के पास आकर फटा और वो बुरी तरह घायल हो गए. पर विक्रम बत्रा ने तुरंत उन्हें वहां से हटाया, जिससे नवीन की जान बच गई. पर उसके आधे घंटे बाद कैप्टन ने अपनी जान दूसरे ऑफिसर को बचाते हुए खो दी. 7 जुलाई 1999 को उनकी मौत एक जख्मी ऑफिसर को बचाते हुए हुई थी. इस ऑफिसर को बचाते हुए कैप्टन ने कहा था, आप हट जाओ. आपके बीवी-बच्चे हैं.कैप्टन विक्रम बत्रा की बहादुरी के किस्से भारत में ही नहीं सुनाए जाते, पाकिस्तान में भी विक्रम बहुत पॉपुलर हैं. पाकिस्तानी आर्मी भी उन्हें शेरशाह कहा करती थी और आज भी दुश्मनों के दिलों में बत्रा का खौफ पलता है.

कारिगल विजय दिवस पर शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा के पिता जीएल बत्रा कहा कि ये हमारी बड़ी विजय थी और हमारे लिए गौरव की बात है. उन्होंने वर्तमान परिस्थितियों को लेकर कहा कि आज भी पाकिस्तान के साथ माहौल तनावपूर्ण है. उन्होंने कहा कि आज भी पाकिस्तान घुसपैठ करता है और अभी बड़े कदम उठाने की जरुरत है और लगातार दिखना होगा कि हम बहुत कुछ कर सकते हैं.

वीडियो.

जीएल बत्रा ने कहा कि वर्तमान में उनकी एक इच्छा है जिसका जिक्र पहले भी कर चुके हैं. जीएल बत्रा की चाह है कि दिल्ली में बहुत से मार्ग है जिनका नाम परमवीर चक्र विजेताओं के नाम से होना चाहिए. उन्होंने कहा कि इससे युवाओं को भी प्रेरणा मिलेगी.

जीएल बत्रा ने कहा कि वर्तमान सरकार का जो रवैया बहुत सही है, लेकिन एकदम से बड़ा कदम उठाया जाना भी संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से सरकार मुंह तोड़ जबाब दे रही है, उससे भी जोरदार तरीके से जबाब देना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत सरकार को कड़े फैसले लेने की जरूरत है और सरकार को और सख्त फैसले लेने चाहिए, ताकि दुश्मन अपनी हरकतों से बाज आए.

धर्मशाला: कारगिल के पांच सबसे इंपॉर्टेंट पॉइंट जीतने में सबसे मेन रोल निभाने वाले कैप्टन बत्रा भारतीय सेना के बहादुर सैनिक थे. परमवीर चक्र पाने वाले आखिरी आर्मी मैन विक्रम बत्रा के बारे में खुद इंडियन आर्मी चीफ ने कहा था कि अगर वो जिंदा वापिस आता, तो इंडियन आर्मी का हेड बन गया होता.

कैप्टन बत्रा की डायरी भी देशभक्ति की शायरी से भरी होती थी. कैप्टन बत्रा ने अपने परिवार से एक वादा किया था. 'या तो मैं लहराते तिरंगे के पीछे आऊंगा, या तिरंगे में लिपटा हुआ आऊंगा. पर मैं आऊंगा जरूर'.

कैप्टन विक्रम बत्रा की शोर्य गाथा (वीडियो).

19 जून, 1999 को कैप्टन विक्रम बत्रा की लीडरशिप में इंडियन आर्मी ने घुसपैठियों से प्वांइट 5140 छीन लिया था. ये बड़ा इंपॉर्टेंट और स्ट्रेटेजिक प्वांइट था, क्योंकि ये एक ऊंची, सीधी चढ़ाई पर पड़ता था. वहां छिपे पाकिस्तानी घुसपैठिए भारतीय सैनिकों पर ऊंचाई से गोलियां बरसा रहे थे. ये भारतीय सेना के लिए एक बड़ी कामयाबी थी, मगर जोश से लबरेज कैप्टन बत्रा यहीं रूकने वाले नहीं थे.

इस प्वॉइंट पर फतह हासिल करते ही विकम बत्रा अगले प्वांइट 4875 को जीतने के लिए चल दिए, जो सी लेवल से 17 हजार फीट की ऊंचाई पर था और 80 डिग्री की चढ़ाई पर पड़ता था. बत्रा ने इस प्वॉइंट पर भी विजय हासिल कर भारतीय तिरंगा फहराया और इसी दौरान कैप्टन बत्रा शहीद भी हो गए. अक्सर अपने मिशन में कामयाबी मिलने के बाद कैप्टन विक्रम बत्रा जोर से कहते थे ‘ये दिल मांगे मोर.

kargil vijay divas
साथियों के साथ कैप्टन विक्रम बत्रा.

युद्ध के दौरान कैप्टन बत्रा के साथी नवीन, जो बंकर में उनके साथ थे, बताते हैं कि अचानक एक बम उनके पैर के पास आकर फटा और वो बुरी तरह घायल हो गए. पर विक्रम बत्रा ने तुरंत उन्हें वहां से हटाया, जिससे नवीन की जान बच गई. पर उसके आधे घंटे बाद कैप्टन ने अपनी जान दूसरे ऑफिसर को बचाते हुए खो दी. 7 जुलाई 1999 को उनकी मौत एक जख्मी ऑफिसर को बचाते हुए हुई थी. इस ऑफिसर को बचाते हुए कैप्टन ने कहा था, आप हट जाओ. आपके बीवी-बच्चे हैं.कैप्टन विक्रम बत्रा की बहादुरी के किस्से भारत में ही नहीं सुनाए जाते, पाकिस्तान में भी विक्रम बहुत पॉपुलर हैं. पाकिस्तानी आर्मी भी उन्हें शेरशाह कहा करती थी और आज भी दुश्मनों के दिलों में बत्रा का खौफ पलता है.

कारिगल विजय दिवस पर शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा के पिता जीएल बत्रा कहा कि ये हमारी बड़ी विजय थी और हमारे लिए गौरव की बात है. उन्होंने वर्तमान परिस्थितियों को लेकर कहा कि आज भी पाकिस्तान के साथ माहौल तनावपूर्ण है. उन्होंने कहा कि आज भी पाकिस्तान घुसपैठ करता है और अभी बड़े कदम उठाने की जरुरत है और लगातार दिखना होगा कि हम बहुत कुछ कर सकते हैं.

वीडियो.

जीएल बत्रा ने कहा कि वर्तमान में उनकी एक इच्छा है जिसका जिक्र पहले भी कर चुके हैं. जीएल बत्रा की चाह है कि दिल्ली में बहुत से मार्ग है जिनका नाम परमवीर चक्र विजेताओं के नाम से होना चाहिए. उन्होंने कहा कि इससे युवाओं को भी प्रेरणा मिलेगी.

जीएल बत्रा ने कहा कि वर्तमान सरकार का जो रवैया बहुत सही है, लेकिन एकदम से बड़ा कदम उठाया जाना भी संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से सरकार मुंह तोड़ जबाब दे रही है, उससे भी जोरदार तरीके से जबाब देना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत सरकार को कड़े फैसले लेने की जरूरत है और सरकार को और सख्त फैसले लेने चाहिए, ताकि दुश्मन अपनी हरकतों से बाज आए.

Intro:खामोश सितारों में यू भरक जाओ मत, बिरानी रातों में इस कदर खो जाओ मत।
अभी तक जिंदगी में फूल भी खिलेगें, ए दिल इन कंटो में अरक जाओ मत।


धर्मशाला - यह लाइन किसी कवि दोबार उसकी डायरी में नही लिखी गई यह लाइन कारगिल युद्ध के हीरो शहीद कैप्टन बिक्रम बत्रा की डायरी में लिखी हुई है जो उन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान लिखी थी। दुश्मन जिसके नाम से खोफ खाता था वो हीरो अपनी डायरी में अपने अंदाज को बयां करता था आज 20 वर्ष के बाद भी शहीद कैप्टेन बिक्रम बत्रा की बहादुरी के किसे सुनने को मिलते है कि किस तरह से उन्होंने पाकिस्तान के कब्जे से पॉइंट 5140 ओर पॉइंट 4875 पर दुश्मन को खदेड़ कर फिर से भारतीय झंडे को लहराया था लेकिन इसी दौरान उनकी सहादत भी हो गई थी। बता दे कि बिक्रम बत्रा कहते थे की या तो तिरंगा लहराकर आऊंगा या तिरंगे से लिपटकर आऊंगा लेकिन आऊंगा जरूर।


Body:कारिगल विजय दिवस पर शहीद कैप्टेन बिक्रम बत्रा के पिता जीएल बत्रा कहते है की हमारी विजय थी और हमारे लिए बड़े गौरव की बात है और पाकिस्तान की सेना को बाहर निकाला था। उन्होंने वर्तमान परिस्थितियों को लेकर कहा कि आज भी पाकिस्तान के साथ माहौल जो है वो तनाव पूर्ण है उन्होंने कहा कि आज भी पाकिस्तान घुसपैठ करता है लेकिन अभी भी बड़े कदम लेने की जरुरत है और लगातार दिखना होगा कि हम बहुत कुछ कर सकते है। वही जीएल बत्रा ने कहा कि वर्तमान में उनकी एक इच्छा है जिसका जिक्र वो कर चुके है कि दिल्ली में बहुत से मार्ग है जिनका नाम परमबीर चक्र विजेताओं के नाम से होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे युवाओ को भी प्रेणना मिलेगी ।



Conclusion:जीएल बत्रा ने कहा की वर्तमान सरकार का जो रेवया है वो बहुत सही है लेकिन ऐसा भी नही हो सकता हैं की एकदम से बड़ा कदम उठाया जाए।उन्होंने कहा कि जिस तरह से सरकार मुह तोड़ जबाब दे रही है उससे भी जोरदार तरीके से जबाब देना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को कड़े फैसले लेने की जरूरत है और सरकार को ओर सख्त फैसले लेने चाहिए ताकि वो अपनी हरकतों से बाज आये।
Last Updated : Jul 26, 2019, 1:32 PM IST
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