धर्मशाला: हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन की शुरूआत भी हंगामे के साथ हुई. मंगलवार सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होते ही सत्तापक्ष और विपक्ष में नोंकझोंक हुई. मंगलवार को भी इन्वेस्टर्स मीट पर नियम 130 के तहत सत्तापक्ष का प्रस्ताव पास न करने पर विपक्ष ने भेदभाव का आरोप लगाया और वॉकआउट किया.
वॉकआउट करने के बाद नेता प्रतिपक्ष ने सरकार द्वारा गठित रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) पर सवाल उठाए. नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने इस मसले पर सरकार को घेरते हुए कहा कि जिस समय रेरा के गठन की मांग उठी थी उसी समय मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा था कि प्रदेश में रेरा की कोई जरूरत नही हैं.
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने बाकायदा लिख के दिया था कि इस अथॉरिटी का गठन नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि सरकार रेरा को रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी कहती है, लेकिन ब्यूरोक्रेट्स इसे रूपी अर्निंग रेगुलेटरी अथॉरिटी कह रहे हैं.
उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के कार्यकाल में भी रेरा का गठन करने से इनकार कर दिया था वहीं जयराम सरकार ने भी पहले इसके गठन से इनकार किया और अब रात के अंधेरे में अधिकारी भी तैनात कर दिया.
उन्होंने कहा कि इसके पीछे सरकार की जो भी मंशा है वो थोड़े समय बाद सबके सामने आ जाएगी. उन्होंने कहा कि रेरा के जरिये सरकार पूरे देश के बिल्डरों को प्रदेश में बुलाना चाहती है. इन बिल्डरों द्वारा प्रदेश में फ्लैट बनाये जाएंगे जिन्हें करोड़ों के हिसाब से बेचा जाएगा, जो हिमाचली की हैसियत से बाहर होंगे.
अग्निहोत्री ने कहा कि सरकार की मंशा ये है कि बाहरी लोगों को हिमाचल की ज़मीन दी जाए, लेकिन कांग्रेस किसी भी कीमत में प्रदेश को बिकने नही देगी. उन्होंने कहा कि जयराम ठाकुर को बताना चाहिए कि आखिर किस मजबूरी में उन्हें रेरा का गठन करने पड़ा.