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कांगड़ा: हिमाचल की बेटी मालविका ने विकसित की पाचन और स्तन कैंसर की दवा - एटलांटा-प्रोएजियों अग्नाशय कैंसर

मालविका शर्मा, प्रोफेसर जी-रेन लियू और उनकी टीम ने एटलांटा-प्रोएजियों अग्नाशय के कैंसर के उपचार और रोगी के लंबे समय तक जीवित रहने में प्रभावी दवा को विकसित करने में सफलता पाई है. यह दवा ट्रिपल-नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर के खिलाफ भी खासी प्रभावी है.

मालविका शर्मा (फाइल)
मालविका शर्मा (फाइल)
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Published : Feb 25, 2021, 2:36 PM IST

Updated : Feb 25, 2021, 2:50 PM IST

बैजनाथ/कांगड़ा: अमरीका की जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी से हाल में पीएचडी की उपाधि प्राप्त हिमाचल की बेटी मालविका शर्मा ने अग्नाशय (पाचन) और स्तन कैंसर के इलाज के लिए प्रभावी दवा एटलांटा-प्रोएजियों विकसित करने में सफलता प्राप्त की है. इस दवा को चिकित्सा क्षेत्र में इसे एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है.

वीडियो

दवा को विकसित करने में मिली सफलता

एक अध्ययन के अनुसार मालविका शर्मा, प्रोफेसर जी-रेन लियू और उनकी टीम द्वारा विकसित एटलांटा-प्रोएजियों अग्नाशय के कैंसर के उपचार और रोगी के लंबे समय तक जीवित रहने में प्रभावी दवा को विकसित करने में सफलता पाई है. वहीं, जनरल ऑफ एक्सपेरिमेंटल मेडिसिन में प्रकाशित एक दूसरे अध्ययन से पता चलता है कि उपरोक्त दवा ट्रिपल-नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर के खिलाफ भी खासी प्रभावी है. ये हार्ड-टू-ट्रीट प्रकार का स्तन कैंसर का निदान करता है.

नई रक्त वाहिकाओं के विकास को मिलेगा बढ़ावा

मालविका शर्मा ने बताया कि कैंसर से जुड़े फाइब्रोब्लास्ट एंजियोजेनेसिस या नई रक्त वाहिकाओं के विकास को बढ़ावा देते हैं. एंजियोजेनेसिस कैंसर के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि ठोस ट्यूमर को बढ़ने के लिए रक्त की आपूर्ति की आवश्यकता होती है. दोनों अध्ययनों में मालविका शर्मा, लियू और उनकी टीम ने रात-दिन मेहनत की है. अग्नाशय के कैंसर के मामले में, यह रक्त वाहिकाओं को फिर से खोल देता है जो घने स्ट्रोमा के कारण उच्च असाधारण तनाव के कारण ढह जाता है.

ट्रिपल-नेगेटिव स्तन कैंसर के मामले में दवा की एंटी-एंजियोजेनिक गतिविधि अनियमित, लीकी एंजियोजेनिक ट्यूमर वाहिकाओं को कम कर देती है. दोनों मामलों में प्रोएजियों ने दवाओं को प्रभावी रूप से कैंसर तक पहुंचने की अनुमति दी. मालविका शर्मा द्वारा दवा इस मायने में विशिष्ट है कि यह केवल कैंसर से जुड़े फाइब्रोब्लास्ट को लक्षित करती है, कोशिकाओं का एक उपवर्ग जो सक्रिय रूप से कैंसर का समर्थन करने में संलग्न है. बल्कि निष्क्रिय फाइब्रोब्लास्ट के बजाय यह दवा के दुष्प्रभावों को कम करता है और इसकी प्रभावशीलता को बढ़ाता है.

बी. फार्मा में स्वर्ण पदक प्राप्त कर चुकी हैं मालविका

मालविका शर्मा मूलत: पपरोला बैजनाथ की रहने वाली हैं. इनके पिता संजय शर्मा पंजाब नैशनल बैंक से वरिष्ठ प्रबंधक सेवानिवृत्त हुए, वहीं इनकी माता डाॅ. अंजना मिश्र पपरोला आयुर्वेदिक कॉलेज में मेडिसिन विभाग में एसोसिएट प्रोफेफसर हैं. मालविका शर्मा की दसवीं की पढ़ाई पालमपुर के माऊंट कार्मल स्कूल से हुई. इसके बाद पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से बी. फार्मा में स्वर्ण पदक प्राप्त किया और मोहाली के नाईपर संस्थान से एम. फार्मा में भी गोल्ड मेडल प्राप्त किया. एटलांटा यूनिवर्सिटी से पीएचडी करने के बाद अब वह न्यूयार्क के सलोन कैटरिंग कैंसर इंस्टीच्यूट में शोध कर रही हैं.

ये भी पढ़ें- हमीरपुर में जल शक्ति विभाग के SDO और JE के साथ मारपीट, जांच में जुटी पुलिस

ये भी पढ़ें: जेबीटी प्रशिक्षित बेरोजगार संघ ने धर्मशाला में निकाली रैली, सरकार के खिलाफ नारेबाजी

बैजनाथ/कांगड़ा: अमरीका की जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी से हाल में पीएचडी की उपाधि प्राप्त हिमाचल की बेटी मालविका शर्मा ने अग्नाशय (पाचन) और स्तन कैंसर के इलाज के लिए प्रभावी दवा एटलांटा-प्रोएजियों विकसित करने में सफलता प्राप्त की है. इस दवा को चिकित्सा क्षेत्र में इसे एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है.

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दवा को विकसित करने में मिली सफलता

एक अध्ययन के अनुसार मालविका शर्मा, प्रोफेसर जी-रेन लियू और उनकी टीम द्वारा विकसित एटलांटा-प्रोएजियों अग्नाशय के कैंसर के उपचार और रोगी के लंबे समय तक जीवित रहने में प्रभावी दवा को विकसित करने में सफलता पाई है. वहीं, जनरल ऑफ एक्सपेरिमेंटल मेडिसिन में प्रकाशित एक दूसरे अध्ययन से पता चलता है कि उपरोक्त दवा ट्रिपल-नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर के खिलाफ भी खासी प्रभावी है. ये हार्ड-टू-ट्रीट प्रकार का स्तन कैंसर का निदान करता है.

नई रक्त वाहिकाओं के विकास को मिलेगा बढ़ावा

मालविका शर्मा ने बताया कि कैंसर से जुड़े फाइब्रोब्लास्ट एंजियोजेनेसिस या नई रक्त वाहिकाओं के विकास को बढ़ावा देते हैं. एंजियोजेनेसिस कैंसर के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि ठोस ट्यूमर को बढ़ने के लिए रक्त की आपूर्ति की आवश्यकता होती है. दोनों अध्ययनों में मालविका शर्मा, लियू और उनकी टीम ने रात-दिन मेहनत की है. अग्नाशय के कैंसर के मामले में, यह रक्त वाहिकाओं को फिर से खोल देता है जो घने स्ट्रोमा के कारण उच्च असाधारण तनाव के कारण ढह जाता है.

ट्रिपल-नेगेटिव स्तन कैंसर के मामले में दवा की एंटी-एंजियोजेनिक गतिविधि अनियमित, लीकी एंजियोजेनिक ट्यूमर वाहिकाओं को कम कर देती है. दोनों मामलों में प्रोएजियों ने दवाओं को प्रभावी रूप से कैंसर तक पहुंचने की अनुमति दी. मालविका शर्मा द्वारा दवा इस मायने में विशिष्ट है कि यह केवल कैंसर से जुड़े फाइब्रोब्लास्ट को लक्षित करती है, कोशिकाओं का एक उपवर्ग जो सक्रिय रूप से कैंसर का समर्थन करने में संलग्न है. बल्कि निष्क्रिय फाइब्रोब्लास्ट के बजाय यह दवा के दुष्प्रभावों को कम करता है और इसकी प्रभावशीलता को बढ़ाता है.

बी. फार्मा में स्वर्ण पदक प्राप्त कर चुकी हैं मालविका

मालविका शर्मा मूलत: पपरोला बैजनाथ की रहने वाली हैं. इनके पिता संजय शर्मा पंजाब नैशनल बैंक से वरिष्ठ प्रबंधक सेवानिवृत्त हुए, वहीं इनकी माता डाॅ. अंजना मिश्र पपरोला आयुर्वेदिक कॉलेज में मेडिसिन विभाग में एसोसिएट प्रोफेफसर हैं. मालविका शर्मा की दसवीं की पढ़ाई पालमपुर के माऊंट कार्मल स्कूल से हुई. इसके बाद पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से बी. फार्मा में स्वर्ण पदक प्राप्त किया और मोहाली के नाईपर संस्थान से एम. फार्मा में भी गोल्ड मेडल प्राप्त किया. एटलांटा यूनिवर्सिटी से पीएचडी करने के बाद अब वह न्यूयार्क के सलोन कैटरिंग कैंसर इंस्टीच्यूट में शोध कर रही हैं.

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Last Updated : Feb 25, 2021, 2:50 PM IST
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