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हिमाचल में तिब्बती समुदाय मना रहा लोसर उत्सव, नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है त्यौहार

तिब्बती समुदाय के लोग लोसर उत्सव को बहुत धूमधाम से मना रहे हैं. लोसर उत्सव को बौद्ध धर्म के लोग नव वर्ष के रूप में मनाते हैं. हिमाचल के धर्मशाला और शिमला में तिब्बति समुदाय के लोग बौद्ध मंदिरों में सुबह विशेष पूजा-अर्चना कर उत्सव को मना रहे हैं.

Loshar Utsav
लोसर उत्सव
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Published : Feb 25, 2020, 11:57 PM IST

धर्मशाला: प्रदेश में इन दिनों तिब्बती समुदाय के लोग लोसर उत्सव को बहुत धूमधाम से मना रहे हैं. लोसर उत्सव को बौद्ध धर्म के लोग नव वर्ष के रूप में मनाते हैं. हिमाचल के धर्मशाला और शिमला में तिब्बति समुदाय के लोग बौद्ध मंदिरों में सुबह विशेष पूजा-अर्चना कर उत्सव को मना रहे हैं. लोसर उत्सव 24 से 26 फरवरी तक मनाया जाएगा. तिब्बती कैलेंडर के तहत ये 2147वां वर्ष है और इसका शुभारंभ मेल आयरल माउस है.

वहीं, उत्सव के दौरान निर्वासित तिब्बती सरकार के सभी कार्यालय भी बंद रहेंगे. इस साल कोरोना वायरस के चलते तिब्बती समुदाय इस पर्व को सादगी से मना रहा है. केंद्रीय तिब्बती प्रशासन ने इसके लिए विशेष संदेश जारी किया था.

वीडियो रिपोर्ट

इस बार उत्सव में मांस का सेवन करना पूरी तरह से वर्जित रहेगा. चीन में फैले कोरोना वायरस के चलते इस बार विदेशों से बौद्ध अनुयायी मैक्लोडगंज नहीं पहुंच पाए हैं. लोगों द्वारा अपने घरों के मंदिरों और बौद्ध मठों में विशेष पूजा आयोजित की गई.

पूजा-अर्चना के दौरान बौद्ध धर्म के अनुयायी अपने ईष्टदेव से बुरी आत्माओं को घरों से दूर करने और देवता के अपने घर में निवास की कामना करते हैं. वहीं, घर में बनाई गई मदिरा का भोग ईष्टदेव को लगाया जाता है. बता दें कि लोसर उत्सव में बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग शांति और खुशहाली की कामना करते हैं.

पढ़ें: राज देवता माधव राय की अगवानी में निकली शिवरात्रि महोत्सव की दूसरी जलेब, जानें इसका महत्व

धर्मशाला: प्रदेश में इन दिनों तिब्बती समुदाय के लोग लोसर उत्सव को बहुत धूमधाम से मना रहे हैं. लोसर उत्सव को बौद्ध धर्म के लोग नव वर्ष के रूप में मनाते हैं. हिमाचल के धर्मशाला और शिमला में तिब्बति समुदाय के लोग बौद्ध मंदिरों में सुबह विशेष पूजा-अर्चना कर उत्सव को मना रहे हैं. लोसर उत्सव 24 से 26 फरवरी तक मनाया जाएगा. तिब्बती कैलेंडर के तहत ये 2147वां वर्ष है और इसका शुभारंभ मेल आयरल माउस है.

वहीं, उत्सव के दौरान निर्वासित तिब्बती सरकार के सभी कार्यालय भी बंद रहेंगे. इस साल कोरोना वायरस के चलते तिब्बती समुदाय इस पर्व को सादगी से मना रहा है. केंद्रीय तिब्बती प्रशासन ने इसके लिए विशेष संदेश जारी किया था.

वीडियो रिपोर्ट

इस बार उत्सव में मांस का सेवन करना पूरी तरह से वर्जित रहेगा. चीन में फैले कोरोना वायरस के चलते इस बार विदेशों से बौद्ध अनुयायी मैक्लोडगंज नहीं पहुंच पाए हैं. लोगों द्वारा अपने घरों के मंदिरों और बौद्ध मठों में विशेष पूजा आयोजित की गई.

पूजा-अर्चना के दौरान बौद्ध धर्म के अनुयायी अपने ईष्टदेव से बुरी आत्माओं को घरों से दूर करने और देवता के अपने घर में निवास की कामना करते हैं. वहीं, घर में बनाई गई मदिरा का भोग ईष्टदेव को लगाया जाता है. बता दें कि लोसर उत्सव में बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग शांति और खुशहाली की कामना करते हैं.

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