धर्मशाला: वैश्विक कोरोना महामारी के चलते 25 मार्च से जारी लॉकडाउन ने हर कारोबार के पहिए थाम दिए हैं. लोग घरों में बंद हैं. देश में लॉकडाउन का तीसरा चरण जारी है. आर्थिक मंदी की वजह से लोगों का रोजगार छिन गया है.
टूरिज्म के लिए विश्व में अपनी अलग पहचान रखने वाला हिमाचल प्रदेश भी इससे अछूता नहीं है. लॉकडाउन के कारण टूरिज्म क्षेत्र से जुड़े सभी कारोबारियों का व्यापार ठप है. हिमाचल में हर साल गर्मियों में देश-विदेशों के करीब 50 लाख पर्यटक आते हैं, लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते एक भी टूरिस्ट हिमाचल घूमने नहीं आया है.
होटल कारोबारियों की तरह टैक्सी चालकों पर भी इसकी मार पड़ रही है. प्रदेश में टैक्सी और होटल कारोबार एक दूसरे के पूरक हैं. या यूं कहें कि आपसी सहयोग से दोनों का धंधा चलता है. प्रदेश में घूमने आए पर्यटक टैक्सी बुक कर एक डेस्टिनेशन से दूसरी डेस्टिनेशन में जाते हैं. ऐसे में टूरिस्ट न आने से टैक्सियां पार्किंग में जंग खा रही हैं. धंधा ठप होने से गाड़ियों कि किस्तें निकालना मुश्किल हो गया है ऊपर से EMI पर ब्याज की मार ने टैक्सी चालकों की चिंता बढ़ा दी है.
हालांकि हिमाचल के टैक्सी चालक अपने नुकसान की परवाह किए बिना कोरोना महामारी के दौर में लॉकडाउन का समर्थन कर रहे हैं. वहीं, प्रदेश सरकार से मुश्किल की इस घड़ी में EMI पर ब्याज की छूट और जब तक हालात सामान्य नहीं हो जाते रोड टैक्स में रियायत की मांग कर रहे हैं.
जयराम सरकार ने हाल ही में होटल कारोबारियों को कुछ रियायतें दी हैं पर अभी तक टैक्सी चालकों को राहत नहीं मिली है. अकेले धर्मशाला में समर सीजन में करीब 15 लाख टूरिस्ट आते हैं. इस बार लॉकडाउन के चलते एक भी टूरिस्ट नहीं आया है. ऐसे में टैक्सी चालकों की रोजी-रोटी की फिक्र जायज है.
फिलहाल कोरोना महामारी जिस तेज गति से पूरे देश में फैल रही है. उसको देखकर लगता है कि हिमाचल में पर्यटकों का आना मुश्किल है. टूरिस्ट इंडस्ट्री में आई ये मंदी आगे कुछ सालों तक जारी रहेगी. नुकसान की भरपाई के लिए सबको कोरोना वैक्सीन के बनने का इंतजार है, जिस पर भारत समेत कई देशों में रिसर्च जारी है, जिसके बाद ही हालात सामान्य हो सकते हैं.